भारत सरकार ने दिए थे फ़र्ज़ी दस्तावेज़ : स्विट्जरलैंड

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ज़ाकिर हुसैन 

नई दिल्ली.    स्विटजरलैंड सरकार ने पुणे के एक अश्व फार्म के मालिक हसन अली खान द्वारा स्विस बैंक में करीब  छह अरब डॉलर जमा कराए जाने के मामले में भारतीय अधिकारियों द्वारा भेजे गए दस्तावेज़ों को जाली क़रार दिया है.   

स्विट्जरलैंड के एक सरकारी प्रवक्ता फाल्को गली ने खुलासा एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत के दौरान किया. प्रवक्ता का कहना है कि भारतीय अधिकारियों से अप्रैल 2007 में इस बारे में कुछ जानकारी मांगी गई थी, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी भारत की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने जनवरी 2007 में हसन अली के मामले में करीब छह अरब डॉलर के काले धन से संबंधित दस्तावेज़ स्विट्जरलैंड की सरकार को भेजे थे। हसन अली पर स्विस बैंकों के खाते में मोटी रक़म जमा करने का मामला सामने आया था.  इस पर भारत के प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई करते हुए इस मामले को आगे बढ़ाया गया था। मगर कुछ समय बीतने के बाद इसे ठंडे बसते में डाल दिया गया. 

काबिले-गौर है कि जहां भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के चुनावों में विदेशी बैंकों में रखे काले धन को भारत लाने की मांग कर इसे चुनावी मुद्दा बनाया है, वहीं इस मुद्दे को लेकर केंद्र की यूपीए सरकार बचाव की मुद्रा में है। हाल ही में इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपीए सरकार ने स्वीकार किया था कि जांच में जर्मनी के एक बैंक से काला धन जमा करने वाले कई लोगों के नाम पता चले हैं, लेकिन गोपनीयता की वजह वह इसका खुलासा नहीं कर सकती। ऐसा करने से जांच पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

उधर,   भाजपा ने दावा किया है कि अगर केंद्र में एनडीए की सरकार बनती है तो सौ दिन के भीतर इस धन को भारत में वापस लाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

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