शिरीष खरे
मुम्बईकरों को पानी की परेशानी के बीच सूचना के अधिकार से एक हैरतअंगेज सूचना निकली है कि बृहन्मुम्बई महानगर पालिका द्वारा कम से कम 18 पानी कंपनियों को उनकी मुनाफाखोरी के लिए लाखों लीटर पानी दिया जा रहा है। एक तरफ जहां शहर के रहवासियों के सामने पानी का घनघोर संकट छाया हुआ है वहीं दूसरी तरफ इन 18 कंपनियों को हर रोज 8,10,000 लीटर पानी दिया जा रहा है और बदले में उनसे पूरे साल भर के लिए सिर्फ 1 करोड़ 55 लाख रूपए लिए जा रहे हैं। जबकि इतने पानी में करीब 8,000 से ज्यादा रहवासियों की पानी की जरूरत पूरी की जा सकती है। मगर ऐसा न करते हुए पानी कंपनियों को 1000 लीटर पानी सिर्फ 40 रूपए के हिसाब से दिया जा रहा है। इसके बाद यह कंपनियां 1 लीटर पानी को 40 रूपए तक बेचकर भारी मुनाफा कमा रही हैं।
‘घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन’ ने सूचना के अधिकार के मार्फत जो दूसरी सूचना निकाली है वह यह कि मुंबई में ऐसे कई पानी उपभोक्ता है जो पानी का इस्तेमाल तो कर रहे हैं मगर बिल जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे पेण्डिंग बिल का जोड़ 700 करोड़ रूपए से ज्यादा बन रहा है।
‘घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन’ के सिम्प्रीत सिंह ने बताया है कि “बीएमसी कानून 1988 की कलम 61बी के मुताबिक सभी नागरिकों के लिए पानी का इन्तजाम करना महापालिका की जिम्मेदारी है मगर यह बड़े खेद ही बात है कि वह खुद ही हजारों नागरिकों को पीने का पानी देने की बजाय कंपनियों को मुनाफाखोरी के लिए पानी सप्लाई करता है।” बातचीत के दौरान सिम्प्रीत सिंह ने बताया कि इस देश का संविधान और सुप्रीम कोर्ट तक यह कह रहा है कि हर नागरिक को जीने के अधिकार के भीतर स्वच्छ पानी का अधिकार भी दिया गया है। इसके बावजूद बीएमसी ने 01.01.1995 की कट आफ डेट लगाते हुए कई नागरिकों को पानी से वंचित रखा है। भला अमीर और गरीब के बीच ऐसे दोहरे मापदण्ड क्यों अपनाए जा रहे हैं ?´´
देखा जाए तो खासतौर से मुम्बई की झोपड़ियों में रहने वाली महिलाओं को पानी हासिल करना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। यह महिलाएं पानी के लिए हर रोज 2 से 3 घण्टे बिताती हैं और कई बार तो उन्हें 2 से 3 किलोमीटर पैदल भी चलती है। फिर भी बीएमसी द्वारा एक तो कंपनियों के फायदे के लिए पानी देना और दूसरा करोड़ों रूपए बकाया होते हुए भी पानी की सप्लाई बन्द न करना बताता है मुंबई का पानी कालाबाजार में किस हद तक डूबा है।
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शिरीष खरे ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ के ‘संचार-विभाग’ से जुड़े हैं।
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