आई एन वी सी ,
भोपाल,
कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव को सोमवार को अधिकारियों विदाई दी। इससे पहले श्री श्रीवास्तव ने नवांगत कलेक्टर २००३ बैच आईएएस निशांत बरबड़े को पदभार सौंपा। वे खुद श्री बरबड़े को लेने अपनी एम्बेसडर से गए।
सोमवार शाम 4 बजे उन्होंने औपचारिकाताएं पूरी की। और विधिवत निवर्तमान कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने श्री बरबड़े को चार्ज सौंपा। इस दौरान नवीन कलेक्टर को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बधाई दी। हालांकि श्री बरबड़े १० मिनट बाद ही कलेक्टोरेट से एक फोन कॉल आ जाने के बाद चले गए।
…मेरी प्राथमिकता शासकीय योजनाएं
इस १० मिनट के दौरान उन्होंने शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन पहली प्राथमिकता बताया। श्री बरबड़े बोले भोपाल जिले के विकास में बाधक बन रही समस्याओं के निराकरण के प्रयास किए जाएंगे। वे बोले इस शहर से अच्छी तरह वाकिफ हूं। भोपाल में शासन की जो भी योजनाएं हैं उनका क्रियान्वयन ठीक तरीके से हो इस पर ज्यादा ध्यान रहेगा।
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जाते-जाते बोले… कुछ सपने रहे अधूरे
-कलेक्टोरेट में पत्रकारों से की कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने चर्चा
-शहर के इतिहास में दूसरे कलेक्टर जो रहे लंबे समय
-पारदर्शिता के लिए जाने गए
कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने सोमवार को जाते-जाते कहा, कुछ सपने अब भी अधूरे रह गए। इसके लिए प्रयास किए, प्रभावि कदम भी उठाए, लेकिन उस स्तर तक सफल नहीं हो पाए। खास तौर पर चौक बाजार को नोव्हीकल जोन बनाए जाने, ऑटो चालकों का मीटर से चलाना और विकास के कार्य में बाधा बन रहे धार्मिक स्थलों को हटाना। इसके लिए उन्होंने राजनीतिक हस्तेक्षप की बात भी स्वीकारी।
वे कलेक्टोरेट में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। भारी मन से वे बोले अभी शहर को बहुत कुछ दिया जाना है और बदलाव की जरूरत हैं। वे बोले पुराने भोपाल के लिए मैं कुछ बेहतर करना चाहता था। छोला ओवर ब्रिज, बैरसिया रोड का निर्माण प्राथमिकता में शामिल थे, इनका शुभारंभ भी हुआ। हालांकि शहर विकास में अधिकांश प्रयास सफल भी रहे। उल्लेखनीय है कि श्री श्रीवास्तव पूरे कार्यकाल में अपनी पारदर्शिता के लिए जाने गए। वहीं भोपाल के इतिहास में दूसरे कलेक्टर हैं, जो लंबा वक्त एक पद पर रहते बिताया। श्री श्रीवास्तव ३ साल १ माह पद पर रहे। इन्होंने २७ अप्रैल २०१० को पद संभाला था और सोमवार, २७ अप्रैल को रिलीव हुए। इससे पहले १९७४ से ७८ तक डीएस यादव ने सबसे लंबा समय व्यतीत किया था।
-ये काम रहे उल्लेखनीय
खसरों का डिजीटलाइजेशन, नक्शों में बंटान डालना, सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने और राजस्व में बढ़ौतरी। उन्होंने बताया, जब ज्वाईन किया था तब रजिस्ट्रियों से रेवेन्यू २५० करोड़ था, जो आज ५०० करोड़ से भी अधिक है। उन्होंने बेेबाकी से कहा मेरी प्राथमिकता हमेशा जमीन और शहर विकास रही। शासन की करोड़ों की जमीनें निजी हाथों में थी, इसे शासकीय दर्ज कराया अतिक्रमण हटाए।
-जो रहा मलाल
वे बोले, ट्रांसपोर्ट नगर व आरा मशीनों की शिफ्टिंग प्रमुख थी। आज ट्रांसपोर्ट नगर में ५८० व्यापारियों ने भूखंडों की रजिस्ट्री करा ली है, जबकि शुरुआत में केवल १९ लोगों ने हिम्मत दिखाई थी। जेपी अस्पताल में डायलिसिस मशीनें लगाई, इससे किडनी रोगियों को मुफ्त इलाज हो रहा है। ऐसा ही प्रयास बैरसिया अस्पताल में करना चाहता था, लेकिन नहीं कर पाया। न्यू मार्केट के लिए मल्टी लेवल पार्किंग और चौक बाजार को नो व्हीकल जोन नहीं बना पाए। प्रयास हुए भी किन्तु स्थानीय रहवासी और राजनीति आड़े आई। वहीं आम आदमी को राहत देने ऑटो में मीटर की व्यवस्था लागू की गई, लेकिन अन्य विभागों का सहयोग नहीं मिला। मुहिम डंडे बस्ते में चली गई।
-…और इसके लिए जाने जाएंगे
भोपाल में मेट्रो शहरों की तर्ज पर एडवेंचर स्पोर्टस शुरू किए। लगातार तीनों साल यह खेल हुए। इसके लिए बकायदा जिला प्रशासन ने एक समिति बनाई, जिससे यह काम आगे भी हो। जेपी अस्पताल का कायाकल्प भी बड़ी सफलता रही।