रायपुर,
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने आज यहां राजभवन में उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक लेकर प्रदेश में उच्च शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने की दृष्टि से आधुनिक तकनीकी एवं संचार संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने आज यहां राजभवन में उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक लेकर प्रदेश में उच्च शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता बढ़ाने की दृष्टि से आधुनिक तकनीकी एवं संचार संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया।
इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री अमिताभ जैन, राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव श्री आर. सी. सिन्हा, तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव श्री अमित अग्रवाल सहित पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. के. पाण्डे, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के. पाटिल, छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जी. बी. गुप्ता, स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई के कुलपति डॉ. बी. सी. मल, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. मांडवी सिंह, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सच्चिदानंद जोशी, बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन. डी. आर. चन्द्रा, सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बी. एल. शर्मा, बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जी. डी. शर्मा, कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यू. के. मिश्रा उपस्थित थे।
बैठक को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री दत्त ने कहा कि वर्तमान समय में तकनीकी संसाधनों ने जीवन को आसान और सुविधाजनक बनाया है। यह जरूरी है कि उच्च शिक्षा के शिक्षकगण नई तकनीक, संचार, ज्ञान एवं कौशल से अवगत हों और इसका उपयोग वे अपने अध्यापन कार्य में करें। इससे न केवल उनका कार्य आसान होगा बल्कि उनकी पहुंच अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक हो सकेगी। इससे उन्हें अपने अध्ययन सामग्री को अपडेट रखने, प्रदर्शन को आकर्षक, आसान एवं समझने योग्य बनाने में सहुलियत होगी। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग में एडूसेट के द्वारा संचार के आधुनिक साधनों की सहायता से दूरस्थ शिक्षा दी जाती है। स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के प्रशिक्षण की भी अच्छी व्यवस्था है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में नेट परीक्षा आदि के उपरांत सीधे शिक्षण का दायित्व मिल जाता है। यह जरूरी है कि उनमें शिक्षकीय गुणों का लगातार विकास किया जाए और इसके लिए आवश्यक उपाय सुनिश्चित किये जायें।
इस अवसर पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ के प्रो. डॉ. अरूण कुमार जैन ने ऑडियो-वीडियो प्रदर्शन के माध्यम से बताया कि दूरस्थ क्षेत्रों तक उच्च शिक्षा के विस्तार और वहां तक अधोसंरचना उपलब्ध करने में लगने वाले समय को आधुनिक तकनीकी एवं संचार साधनों के द्वारा कुछ हद तक कम किया जा सकता है। तकनीकी कौशल और प्रशिक्षण के क्षेत्र में अभी भी हमारा देश वैश्विक दृष्टि से काफी पीछे है। राज्य के विश्वविद्यालयों के माध्यम से शैक्षणिक सुविधाओं को कम कीमत पर उपलब्ध कराने तथा पहुंच बढ़ाने के लिए ऐसे संचार संसाधनों से लाभ मिल सकता है। उन्होंने स्वयं प्रयोग करके यह भी बताया कि किस तरह थोड़े से संसाधनों से इनका उपयोग करना अधिक आसान, सुविधाजनक और आकर्षक है। वर्तमान समय के बच्चे भी ऐसे संसाधनों के माध्यम से विषयों को आसानी से समझते हैं और उनके प्रति आकर्षित होते हैं। आज वर्तमान दौर के बच्चे पाठ्यक्रमों को डिजिटल रूप में पढ़ना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि इस संदर्भ में शिक्षकगण भी अपना माइंड सेट बदलें, कम्युनिकेशन स्किल बढ़ाएं, हिंदी एवं स्थानीय भाषा का उपयोग भी करें तथा आधुनिक संचार एवं तकनीकी संसाधनों को उपयोग में लाएं।
विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी ऐसे संसाधनों को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत बताई। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पाण्डे ने कहा कि शिक्षक अध्ययन-शाला का बेहतर उपयोग शिक्षकों के शिक्षकीय कौशल के उन्नयन करने तथा तकनीकी-संचार कौशल बढ़ाने में किया जा सकता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पाटिल ने कहा कि उनके विश्वविद्यालय में एन.आई.सी. के सहयोग से संचार माध्यमों को बढ़ावा देने के प्रयास प्रारंभ कर दिये गये हैं। बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चन्द्रा ने कहा कि ऐसे संसाधनों को बढ़ावा देने जहां फंड की जरूरत है वहीं विश्वविद्यालय से महाविद्यालयों को जोड़े जाने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जी. बी. गुप्ता ने कहा कि केवल शिक्षक ही नहीं बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों एवं पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों के बीच भी डिजिटल कौशल बढ़ाए जाने की जरूरत है। बैठक में इस बात पर भी निर्णय लिया गया कि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही प्रारंभ होने वाले राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के अन्तर्गत विश्वविद्यालयों के बीच तथा विश्वविद्यालय और उनके महाविद्यालयों के बीच आपस में समन्वय बढ़ाने के लिए अधिक प्रयास किये जाए।