नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की क्यों है प्रथा

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शारदीय नवरात्रि 2021 आरम्भ हो चुके हैं। इन 9 दिनों के मध्य मां दुर्गा के श्रद्धालु घर में प्रतिमा स्थापना तथा घट स्थापना करते हैं। मातारानी को खुश करने के लिए उन्हें पसंदीदा भोग चढ़ाते हैं तथा कार्य सिद्धि के लिए मंत्रों का जाप करते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में माता धरती पर श्रद्धालुओं के आसपास विचरण करती हैं। ऐसे में अगर उनका आशीर्वाद मिल जाए, तो श्रद्धालु की सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं।

वही नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की भी प्रथा है। इसे बेहद ताकतवर एवं शुभ फल देने वाला कहा जाता है। परम्परा है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से किसी भी प्रकार के अनिष्ट का नाश हो जाता है तथा परिवार में सुख-समृद्धि आती है। दुर्गा सप्तशती सब प्रकार की चिंताओं, क्लेश, शत्रु बाधा से छुटकारा दिलाती है तथा मुकदमे आदि में विजय दिलाती है। मगर इसके शुभ फल पाने के लिए इसका पाठ सही तरीके से करना बेहद आवश्यक है। जानिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का तरीका।

इस प्रकार करें पाठ:-
सबसे पहले शिखा बांध लें फिर पूर्व की तरफ मुख करके बैठें तथा चार बार आचमन करें। तत्पश्चात, मां दुर्गा को रोली, कुमकुम, लाल फूल, अक्षत तथा जल वगैरह अर्पित करें एवं माता के समक्ष सप्तशती के पाठ का संकल्प करें। अब देवी का ध्यान करें तथा पंचोपचार विधि से दुर्गा सप्तशती पुस्तक की पूजा करें एवं इसे अपने मस्तक से लगाएं। तत्पश्चात, सबसे पहले अर्गला स्तोत्र, कीलक एवं कवच के पाठ करें। इसके पश्चात् दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

इन बातों को रखें ध्यान:-
दुर्गा सप्तशती के पाठ करते वक़्त कुछ बातें याद रखनी आवश्यक हैं। अर्गला स्तोत्र एवं कवच पढ़ते वक़्त पाठ का आरम्भ उच्च स्वर में करें, मगर समापन मंद स्वर में करें। वहीं कीलक का पाठ पूर्ण रूप से गुप्त तौर पर करना चाहिए मतलब इसे केवल मन में ही पढ़ना चाहिए। सप्तशती की पुस्तक में संस्कृत एवं हिंदी दोनों भाषाएं उपस्थित हैं। आप किसी भी भाषा में इसे पढ़ सकते हैं। पाठ करने के पश्चात् एक कन्या का पूजन कर उसे भोजन अथवा फलाहार कराकर दक्षिणा दें। किसी जरूरतमंद को भी सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा दें। PLC

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