बापू हम शर्मिंदा हैं

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–  प्रो.(डॉ.) डी. पी. शर्मा “ धौलपुरी“ –

– देश के स्वतंत्रता संग्राम से भी बढ़कर है ये क्रिकेट की जंग”
– कृतज्ञ राष्ट्र के वाशिंदे “बापू हम शर्मिंदा हैं “

We-are-embarrassed,-mahatmaदेश का नैतिक चरित्र आज अधपतन के मार्ग से फिसलते हुए एक ऐसी दलदल में जा फंसा है जहाँ दबे-दबे पनपते रहे महारोग राष्ट्रीय चरित्र की सम्पूर्ण काया को संदिग्ध रूप से सड़ांध में परिवर्तित करते रहे हैं/ आखिर कब तक?

राष्ट्रपिता आपको अपमानित करके हमने आपके त्याग और बलिदान को व्यापार के धरातल पर बेच दिया है / अभी हाल में पढ़ा कि एक क्रिकेट के खिलाड़ी को  महात्मा गाँधी जी से भी बड़े ब्रांड एम्बेसडर के रूप महिमा मंडित किया / पढ़कर थोड़ा अचरज भी और बहुत दुःख भी हुआ कि आखिर चापलूसी मैं भी कुछ नैतिकता एवम ऐतिहासिक तथ्यात्मकता होनी चाहिए परंतु अब ये अवधारणाएं  शायद विलुप्त हो रहीं हैं/

यूँ तो कहते हैं कि एक ठगों का भी अपना ईमान होता है, परन्तु हमने तो व्यापारिक अड्डे पर आपकी की शहादत को ‘क्रिकेट के तथाकथित खिलाड़ी (नटवरलालों)’ से तुलना करके ऐसा कृत्य किया है जिससे आपकी आत्मा शायद ही हमें माफ़ कर सके / परन्तु फिर भी हमने ये कृत्य यह सोच कर अंजाम तक पहुँचाया है कि “ हे राम इन्हें माफ़ करना, ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं” /

व्यापार क़ी अशीमित भूख एवं निर्लज्ज महत्वाकांछाओं के भंवर में पड़कर व्यापार के अतिउत्साही लोग अपनी चरित्रवान माँ (मात्रभूमि एवं राष्ट्रपिता) क़ी तुलना क्रिकेट रूपी व्यापार के खिलाड़ी  से कर व्यापारिक पुण्य का काम कर रहे हैं, ताकि थोथी लोकप्रियता, क्रिकेट के धरातल पर मानसिक रूप से दिवालिया हो चुके लोगों तक पहुंचाई जा सके /

अंतर्राष्ट्रीय जुए का पार्याय कहे जाने वाले क्रिकेट के तथाकथित महानतम खिलाडियों को हमने महात्मा गाँधी जी से भी अधिक महान घोषित कर दिया है, और हो भी क्यों न, इन खिलाडियों ने हमारे अपने खेलों को कब्र में दफ़न कर उसी क्रिकेट का तथाकथित महानतम नायक बनने का गौरव हासिल किया है जो कभी हमारी गुलाम माँ का चीर हरण करने वालों का पसंदीदा खेल हुआ करता था? जलालत के दंश को झेल रहा सम्पूर्ण राष्ट्र इस मूकदर्शक तमाशे को देखकर सुख और दुःख के झंझावातों में जूझकर भी आज असहाय महसूस कर रहा है / शुक्र है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यापर एवं राजनैतिक व्यापारियों को वेदखल  कर दिया है /

विशुद्ध व्यापारिक प्रतिष्पर्र्धा के धरातल पर खेले जाने वाले इस जुए रूपी खेल एवं उसके तथाकथित महानतम खिलाडियों , जिनका देश के लिए त्याग नगण्य ही नहीं वल्कि शून्य है, क़ी तुलना हम यदि एक ऐसे महापुरुष से करें जो देश के लिए भूखा रहा, नंगे पैर अर्ध वस्त्रों में दर दर जनता क़ी पीड़ा तो टटोलता, भागता रहा, कालजयी शारीरिक , मानसिक प्रताड्नाओं को इसलिए झेलता रहा कि आने वाला कल भारत के लिए एक नये सूरज के साथ नवीन आशाओं का ऐसा संसार लेकर आयेगा जिसमें नवीन आशाएं होंगी , नैतिकता और त्याग के साथ साथ मात्रभूमि क़ी खुशाली के लिए/ परन्तु अफ़सोस भ्रस्टाचार , अनैतिकता, अनाचार क़ी दल दल में धन्श्ता जा रहा भारत का जान मानस मानसिक दिवालिये पन क़ी ऐसी तस्वीर पेश करेगा ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा होगा  / आखिर शुरुआती तौर पर ही सही परंतु सर्वोच्च न्यायलय को दखल देना पड़ा/ अभी ये दखल सिर्फ ऊपरी परत है / इसके अंदर के खेल भी अभी खुलने वाकी हैँ  /…..

फिर एक और तमाशा हुआ जिसमें पूरा देश पगलाया हुआ  था कि आखिर शतकों का शतक कब लगेगा ? हद हो गयी / क्यों प्रतिद्वंद्वी क्रिकेट टीम किसी खिलाड़ी को दया मौका देकर शतक बनवा देती, कमसे कम इस घटिया पसमंजर का अंत तो हो  जाता / कैसा हास्यास्पद लगता था  कि सन्यास लेने की इच्छा नहीं है, और तिस पर उनका कहना था कि वे शतक पर नहीं वल्कि अपनी क्रिकेट पर ध्यान दे रहे हैं? कैसा हास्यास्पद बयान है जिसे मीडिया सुर्खियाँ बनाकर छापता रहा / छापे भी क्यों नहीं मामला व्यापारिक था / विज्ञापन के कमीशन का हिस्सा सबको मिलना चाहिए क्योंकि किसी को भगवान बनाने मैं उनका भी तो योगदान है वर्ना हर कोई ऐरा गैरा धतूरा, भगवान नहीं बन जाता? ज्ञात रहे कि क्रिकेट मैं क्रिकेट संघ का पूरा एक मीडिया मैनेजमेंट टीम काम / जिसमें घटिया खेल के प्रदर्शन मैं से भी कुछ तुरुप निकालो और  खिलाड़ी  की तारीफ मैं कुछ न कुछ लिखो / कैसा तमाशा हो रहा था और आज भी हो रहा है? और भारत का कमजोर मानस इस ” जुए बाजी ” खेल को समझ नहीं पा रहा / विश्व कप मैं जब एक  महान खिलाड़ी महोदय २ रन पर आउट हुए तो मीडिया ने लिखा ” खेल भावना कोई अमुक खिलाड़ी से सीखे, आउट होते ही चले गया बिना कुछ बोले”, ये भी कोई बात हुई? वापिस पवेलियन नहीं जाते तो क्या मैदान मैं भांगड़ा करते? अतिरंजित चापलूसी की भी कोई हद होती है / यहाँ सुझाव के तौर पर ये कहा जा सकता है कि मीडिया को अपनी गरिमा का ख्याल करना चाहिए / कलम का स्वाभिमान होता है / परंतु ये भी मामला फायदे वाला था / क्या योगदान था अमुक खिलाड़ी का विश्व कप मैं जो सारे खिलाडी पगलाते हुए बोल रहे थे ये विश्व कप, उनको को समर्पित है? क्यों, क्या वो देश से ऊपर हैं / आखिर गुलामी की मानसिकता को हम कब त्यागेंगे?

एक खिलाड़ी की लोकप्रियता गिरते ही सेकड़ों नेताओं , जो कि एक विशेष संघ से सम्बन्ध रखते हैं का चूल्हा बंद हो जायेगा , क्यों कि इन ब्रांड खिलाड़ी को जो भी विज्ञापन का पैसा मिलता है, उसका एक फिक्स हिस्सा  सबको जाता है/ अगर आपकी समझ से परे है तो हम आपको बताते हैं कि , संसद का मंच जहाँ देश के कल्याण के कानून बनाये जाते हैं , किसी खिलाड़ी का शतक लगते ही कार्यवाही रोक कर लोग संसद के गरिमा पूर्ण पटल पर हंसी मजाक करते हुए , सारे काम रोक कर भारतीय टीम को बधाई देते हैं / आखिर क्यों? ऐसा हमने विश्व के किसी देश मैं न देखा न ही सुना / जब देश का वीर सिपाही सीमा पर देश क़ी हिफाजत के लिए शहीद होता है तो हम कभी भी संसद क़ी कार्यवाही रोककर उसको श्रद्धांजलि नहीं देते अथवा उसकी वीरगाथा का यशोगान नहीं करते, क्यों? क्योंकि वो राजनीति के इन परम खिलाडियों को कोई फायदा नहीं देता / क्रिकेट, खिलाड़ी सचिन एवं राजनीति के दिग्गजों का एक ऐसा रिश्ता है जो आम लोगों क़ी समझ से परे है /

देश में थल सेना अध्यक्ष क़ी उम्र को लेकर बवाल हुआ था  / देश क़ी आबरू के लिए लड़ने वालों को इस कदर रुशवा करने के लिए हमारी केंद्र सरकार उतारू थी / क्यों? क्या उनके योगदान को इस कदर भुला दिया जायेगा? सेवा निबृत्ति क़ी उम्र को लेकर इतना विवाद क्यों? जबकि क्रिकेट मैं मीडिया लिखता है “ एक अमुक खिलाड़ी अपनी मर्जी के मालिक हैं, वो किस मैच मैं खेलेंगे किसमें नहीं वे खुद निर्णय करते है, क्यों? अभी हाल मैं एक अख़बार ने लिखा कि अमुक खिलाड़ी के महाशतक के लिए कोई भी वरिष्ठ खिलाड़ी बलिदान देने के लिए तैयार है , ये तो ऐसा जुमला लगता है कि ‘ पार्टी के नेता के लिए ‘ के लिए कोई भी  अपनी सीट का वलिदान देने के लिए तैयार है / किसी भी खिलाड़ी से पूछे बगैर अख़बार ने ऐसा कैसे लिख दिया?, इसका जवाब भी उनको ही देना चाहिए  था परंतु दिया नहीं / क्या भारतीय क्रिकेट किसी क़ी वन्सानुगत जागीर है ? इतनी गुलामी किस लिए? फिर भारतीय सेना के मामले मैं इतना हंगामा क्यों ? क्यों थल सेना अध्यक्ष को कहा जाता कि आपकी सेवा एवं देश के प्रति निष्ठा को ध्यान मैं रखते हुए हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं, आपका हर निर्णय सरकार नैतिकता के धरातल पर मान लेगी / कर के तो देखते सच मानिये वे स्वयं स्तीफा देकर चले जाते लेकिन हमें तो जिद है, उनका अपमान करने क़ी, जो देश के लिए कुर्वानी देना चाहते हैं….

अच्छा होता कि वह महान खिलाड़ी स्वयं  वयान जारी करते कि  उनकी तुलना राष्ट्र  पिता से न की जाये किसी भी सन्दर्भ में/  परंतु ऐसा हुआ नहीं / शायद उनकी समाधि पर अगरवत्ती लगाने वाले लोग अब स्वार्थ परता की वेदी पर उनके वालिदानों को धीरे धीरे भुला रहे हैं/ आज बापू जी हम शर्मिंदा हैं क्योंकि आज हमें आपका त्याग नहीं खेल ज्यादा पसंद है क्योंकि इसमें पैसा भी है और पाखंड भी , पावर भी है और  पागलपन भी , जूनून भी है और जमाना भी

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Prof.(Dr.) DP SharmaAbout the Author

 Prof.(Dr.)DP Sharma

International consultant/adviser (IT), ILO (United Nations)-Geneva

प्रोफेसर  डी पी शर्मा  एक स्वतंत्र स्तंभकार एवं अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टेंट /सलाहकार, आई.एल.ओ. ( यूनाइटेड नेशन्स एजेंसी )  के साथ महर्षि अरविन्द इंस्टिट्यूट रिसर्च सेण्टर अंडर राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय जयपुर से  जुड़े हुए हैं l

डॉ शर्मा को सूचना तकनीकी एवं पुनर्वास योजनाओं के क्षेत्र में किये उल्लेखनीय  कार्यों के लिए तकरीबन 46 अवार्ड्स एवं प्रशंसा पत्रों से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है जिनमें “गॉड फ़्रे फिलिप्स नेशनल गैलेंट्री अवार्ड, प्रेसिडेंसियल अवार्ड  एवं सरदार रत्न इंटरनेशनल अवार्ड  फॉर टाइम अचीवमेंट्स प्रमुख हैंl

Contact – : Email: dp.shiv08@gmail.com ,  WhatsApp:   +917339700809

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

11 COMMENTS

  1. I would like to thank you for the efforts you have made in writing this article. Thanks for writing such a good article and showing the different face of society on cricket and politics.

  2. Thank you so much sir for giving us a friendly criticism thought.

    This positive and healthy criticism thought is an evaluative or corrective exercise for any human being in any area of their life.

  3. Nice Article Sir! Eye opening for the people who blindly follow such kind of hypes created by media for the profit of a class in specific. It’s applicable for many other areas be it cricket, movies or politics.. we first have to analyze facts before following this kind of hypes on social media or anywhere

  4. Thanku sir. Healthy criticism is necessary to awaken the society and tell it to not to get misguided by virtual shine of the show culture

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