व्यापम : यह पूरा न्याय है ?

0
22

–  डॉ नीलम महेंद्र –

Vyapam-scam,story-of-Vyapamबात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी क्योंकि अगर सरकार की जानकारी के बिना यह प्रवेश हुए तो फिर सरकार क्या कर रही थी और अगर सरकार की जानकारी में हुए तो वो होने क्यों दे रही थी? दोनों ही स्थितियों में सरकार सवालों के घेरे से बच नहीं सकती। तो जिस दोषी सिस्टम और सरकारी तंत्र के सहारे पूरा घोटाला हुआ उस का कोई दोष नहीं उसे कोई सजा नहीं लेकिन जिसने इस सिस्टम का फायदा उठाया दोषी वो है और सजा का हकदार भी।

तो यह समझा जाए कि सरकार की कोई जवाबदेही नहीं है न तो सिस्टम के प्रति न लोगों के प्रति, उसकी जवाबदेही है सत्ता और उसकी ताकत के प्रति यानी खुद के प्रति। ‘व्यापम’ अर्थात व्यवसायिक परीक्षा मण्डल, यह उन पोस्ट पर भर्तियाँ या एजुकेशन कोर्स में एडमिशन करता है जिनकी भर्ती मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं करता है जैसे मेडिकल इंजीनियरिंग पुलिस नापतौल इंस्पेक्टर शिक्षक आदि।

साल भर पूरी मेहनत से पढ़कर बच्चे इस परीक्षा को एक बेहतर भविष्य की आस में देते हैं। परीक्षा के परिणाम का इंतजार दिल थाम कर करते हैं। वह बालक जो अपनी कक्षा और कोचिंग दोनों ही जगह हमेशा अव्वल रहता है  तब निराश हो जाता हैं जब पता चलता है कि मात्र एक नम्बर से वह अनुत्तीर्ण हो गया लेकिन उसे आज पता चला कि वह एक नम्बर नहीं बल्कि चन्द रुपयों से अनुत्तीर्ण हुआ था। यह परीक्षा बुद्धि बल की  नहीं धन बल की थी। आज ऐसे अनेकों बच्चे यह प्रश्न पूछ रहे हैं कि जिस डिग्री के लिए वे सालों मेहनत करते हैं  वो पैसे से खरीदे गए एक कागज के टुकड़े से अधिक क्या है जिस पर कुछ खरीदे गए शब्द लिखे जाते हैं। जब एक होनहार बालक को उसके हक से महरूम किया जाता है तो केवल वो बालक नहीं बल्कि पूरा देश पीछे चला जाता है क्योंकि जो योग्य है वो परिस्थितियों के आगे हार जाता है और जो अयोग्य है वो परिस्थितियों को खरीद लेता है लेकिन इस खरीद फरोख्त में देश का विकास रुक जाता है। आप खुद सोचिए कि आपका इलाज ‘व्यापम’ की देन एक अयोग्य डाक्टर बेहतर करता जिसने अपने किसी स्वार्थ की पूर्ति के लिए डिग्री खरीदी या फिर वो योग्य बालक जो अपने स्वप्न को पूरा करने के लिए डाक्टर बनना चाह रहा था लेकिन बन न सका।
कहते हैं सच्चाई की हमेशा जीत होती है तो शिक्षा के क्षेत्र में देश के इस सबसे बड़े घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आखिर आ ही गया। फैसले में 2008 से 2012 के बीच प्रवेश पाने वाले 634 मेडिकल छात्रों के दाखिले निरस्त किए गए हैं और जो डाक्टर बन चुके हैं उनकी डिग्री छीन ली जाएगी। जस्टिस खेहर की अगुवाई वाली पीठ का कहना है कि विद्यार्थी जालसाजी को स्वीकार कर चुके हैं इसलिए वे किसी राहत की पात्रता नहीं रखते।
सही भी है आखिर किसी योग्य छात्र का हक मारा गया होगा, किसी होनहार विद्यार्थी का भविष्य दांव पर लगा होगा, किसी पिता के अपने पुत्र के लिए देखे गए सपने को कुचला गया होगा, किसी माँ का अपने बच्चे के लिए माँगी गई मन्नतों पर से विश्वास उठा होगा, कुछ मुठ्ठी भर रसूखदार और पैसे वालों के द्वारा कितने होनहारों और देश दोनों के भविष्य से खेला गया।
लेकिन चूंकि  “बुरे काम का बुरा नतीजा  ” होता है तो कल तक पैसे के दम पर  किसी के सपनों की लाश पर अपने भविष्य का महल बनाने वालों का खुद का भविष्य आज दांव पर लग गया है। कहने को न्याय हुआ लेकिन क्या यह पूर्ण न्याय है? जिस सिस्टम में यह सब सम्भव हो पाया उस सिस्टम का क्या? जिन अधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया उनका क्या? जिन नेताओं के सरंक्षण में इस घोटाले को अंजाम दिया गया उन नेताओं का क्या?

क्या इन सभी की सन्लिप्तता के बिना इतना बड़ा घोटाला 1990 के दशक से लेकर 2013 तक इतने सालों तक संभव है? बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी क्योंकि अगर सरकार की जानकारी के बिना यह प्रवेश हुए तो फिर सरकार क्या कर रही थी और अगर सरकार की जानकारी में हुए तो वो होने क्यों दे रही थी? दोनों ही स्थितियों में सरकार सवालों के घेरे से बच नहीं सकती। तो जिस दोषी सिस्टम और सरकारी तंत्र के सहारे पूरा घोटाला हुआ उस का कोई दोष नहीं उसे कोई सजा नहीं लेकिन जिसने इस सिस्टम का फायदा उठाया दोषी वो है और सजा का हकदार भी। तो यह समझा जाए कि सरकार की कोई जवाबदेही नहीं है न तो सिस्टम के प्रति न लोगों के प्रति, उसकी जवाबदेही है सत्ता और उसकी ताकत के प्रति यानी खुद के प्रति। लेकिन हम लोगों को भी शायद भ्रष्टाचार और उसकी देन घोटालों की आदत हो चुकी है तभी तो बड़े से बड़े घोटाले भी इस देश के नागरिक की तन्द्रा भंग नहीं कर पा रहे ।
अगर व्यापम घोटाले की ही बात करें तो इसमें 2000 से ज्यादा गिरफ़्तारियाँ हुई, 55 एफआईआर,26 चार्ज शीट दाखिल हुई, 42 संदिग्ध मौतें इस मामले से जुड़े लोगों की हुई और 2500 से ज्यादा आरोपी हैं।

बात सिर्फ घोटाले तक सीमित नहीं है बात यह  है कि जिस परीक्षा की तैयारी के लिए ही छात्रों के माता पिता द्वारा स्कूल फीस के अलावा कोचिंग सेन्टर वालों को मोटी फीस दी जाती है, पहली बार में सेलेक्शन नहीं होने पर ड्राप लिया जाता है और छात्रों द्वारा जी तोड़ मेहनत की जाती है उस परीक्षा की विश्वसनीयता क्या रह जाती है। जो छात्र 25 से 40 लाख खर्च करके डाँक्टर या इंजीनियर बनता है क्या वह नौकरी लगने पर अपने द्वारा की गई इन्वोस्टमेन्ट वसूलने पर नहीं लगाएगा? तो फिर यह भ्रष्टाचार का चक्रव्यूह टूटेगा कैसे? और बात यह भी है कि जब तक योग्य व्यक्ति पदों पर नहीं होंगे तो देश आगे बढ़ेगा कैसे? हमारी ये परीक्षाएँ और इनमें बिकने वाली डिग्रियाँ माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘मेक इन इंडिया ‘ और स्किल्ड इंडिया जैसे प्रोजेक्टों को आगे बढ़ाएँगीं ? किसी भी देश की तरक्की में शिक्षा और शिक्षित युवा का महत्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन जब शिक्षा विभाग में ही भ्रष्टाचार की दीमक लग जाए तो युवा नहीं देश का भविष्य दांव पर लग जाता है।न्यायालय के फैसले से जिन छात्रों ने गलत तरीके से परीक्षा उत्तीर्ण की उन्हें सजा मिली लेकिन पूर्ण न्याय तभी होगा जब इस प्रकार के कदम उठाए जाएं जिससे भविष्य में न तो किसी छात्र के साथ अन्याय हो और न ही कोई छात्र अनुचित तरीके से डिग्री हासिल कर पाए क्योंकि भविष्य तो दोनों का ही दांव पर लगता है किसी का उसी समय किसी का कुछ समय बाद जैसे कि ये 634 छात्र।

_____________

dr nilam mahendraपरिचय –

डाँ नीलम महेंद्र

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

समाज में घटित होने वाली घटनाएँ मुझे लिखने के लिए प्रेरित करती हैं।भारतीय समाज में उसकी संस्कृति के प्रति खोते आकर्षण को पुनः स्थापित करने में अपना योगदान देना चाहती हूँ।

हम स्वयं अपने भाग्य विधाता हैं यह देश हमारा है हम ही इसके भी निर्माता हैं क्यों इंतजार करें किसी और के आने का देश बदलना है तो पहला कदम हमीं को उठाना है समाज में एक सकारात्मकता लाने का उद्देश्य लेखन की प्रेरणा है।

राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय समाचार पत्रों तथा औनलाइन पोर्टल पर लेखों का प्रकाशन फेसबुक पर ” यूँ ही दिल से ” नामक पेज व इसी नाम का ब्लॉग, जागरण ब्लॉग द्वारा दो बार बेस्ट ब्लॉगर का अवार्ड

संपर्क – : drneelammahendra@hotmail.com  & drneelammahendra@gmail.com

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here