भ्रष्टाचार का शिकार : परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद का परिवार

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– निर्मल रानी –

shaheed abdulhameed,shahidaddulhamid,abdulhamidहमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं यह बात किसी से छुपी नहीं है। राजनीति,न्यायपालिका,मीडिया,लाल फीता शाही आदि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसे भ्रष्टाचार ने अपने शिकंजे में न ले रखा हो। भारतीय सेना जिसे भ्रष्टाचार के विषय में अपवाद समझा जाता था इस विभाग से भी भ्रष्टाचार संबंधी कई खबरें आने लगी हैं। परंतु कभी हमारे देश की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले शहीद का परिवार भी भ्रष्टाचार का शिकार होगा ऐसा तो सोचा भी नहीं जा सकता था। और वह भी एक ऐसे अमर शहीद का परिवार जिसने मरणोपरांत अपनी बहादुरी के चलते परमवीर चक्र जैसा अति विशिष्ट सैन्य सेवा मैडल हासिल किया हो? उसे भी भ्रष्टाचारियों ने नहीं बख्शा इससे अधिक शर्म की बात और क्या हो सकती है?  इन दिनों देश 1965 की भारत-पाक जंग की यादें इस युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर ताज़ा कर रहा है। 1965 के इस भारत-पाक युद्ध की दास्तान ग्रेनेडियर वीर अब्दुल हमीद का जि़क्र किए बिना अधूरी रह जाती है। वही अब्दुल हमीद जिसने दुश्मन देश पाकिस्तान की सेना के कई पैटन टैेंक अपनी टैंक रोधी जीप से उड़ा दिए थे और पाकिस्तानी सेना को भारतीय क्षेत्र में आगे बढऩे से रोक दिया था। इस घटना के बाद पाकिस्तानी सेना ने अब्दुल हमीद की जीप को निशाना बनाकर अपने टैंक के गोले से अब्दुल हमीद के शरीर को छलनी कर दिया। भारत सरकार ने अब्दुल हमीद के अदम्य साहस के लिए उन्हें भारतीय सेना के सबसे बड़े शौर्य मैडल परमवीर चक्र से नवाज़ा। आज देश इस महान शहीद के आगे नतमस्तक है तथा अब्दुल हमीद जैसे महान योद्धा पर फख्र करता है।

वीर अब्दुल हमीद की इकलौती बेटी का नाम नजबुन्निसां है। नजबुन्निसां के पति शेख अलाऊद्दीन जि़ला ग्राम विकास अभिकरण (डीआरडीए) गाज़ीपुर से लिपिक के पद से सेवानिवृत हुए हैं। अवकाश प्राप्ति के बाद अब्दुल हमीद के इस दामाद  को विभिन्न प्रकार के अवकाश प्राप्ति के बाद के भुगतान किए जाने हैं। इन भुगतानों के लिए अब्दुल हमीद की बेटी नजबुन्निसां संबंधित कार्यालय के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों से यहां तक कि प्रदेश के शासन तक से गत् डेढ़ वर्ष से अपनी फरियाद कर रही है। सारा जीवन पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ अपनी सेवा देने वाले शेख़ अलाऊद्दीन की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। नजबुन्निसां के अनुसार उनका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। वे डीआरडीए के लिपिकों से लेकर जि़ला विकास अधिकारी, मुख्य अधिकारी तथा जि़ला अधिकारी गाज़ीपुर के कार्यालयों के चक्कर लगा-लगा कर अपनी हिम्मत हार चुकी है। परंतु अभी तक उन्हें अपने पति की अवकाश प्राप्ति के बाद होने वाला भुगतान नहीं किया गया। नजबुन्निसां के पति जोकि फरवरी 2014 को जि़ला ग्राम विकास अभिकरण गाज़ीपुर से क्लर्क के पद से सेवानिवृत हुए थे। अवकाश प्राप्ति तक का उनका पूरा सेवाकाल सरकारी दस्तावेज़ों व अभिलेखों में सराहनीय सेवा के रूप में दर्ज है। इसके बावजूद उनका एसीपी,छटे वेतन आयोग का एरियल,ग्रेच्युटी तथा अवकाश का नकदीकरण आदि का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है।

हद तो यह है कि जब वीर अब्दुल हमीद की बेटी नजबुन्निसां अपने पति की अवकाश प्राप्ति के बाद मिलने वाली राशि प्राप्त करने संबंधी दौड़-भाग करते-करते थक गईं तो उनकी मां अर्थात् वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबीने एक मेल 1जून 2015 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजा। अपने इस अत्यंत मार्मिक मेल में रसूलन बीबी ने अपनी बेटी को यथाशीघ्र उपरोक्त भुगतान कराए जाने का निवेदन किया। मुख्यमंत्री ने भी इस मेल पर संज्ञान लेते हुए जि़लाधिकारी गाज़ीपुर तथा जि़ले के मुख्य विकास अधिकारी से इस विषय में जवाब मांगा। कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि नजबुन्निसां इस पूरे लापरवाही व गैरजि़म्मेदाराना प्रकरण के लिए डीआरडीए के उन लिपिकों व अधिकारियों को जि़म्मेदार ठहरा रही है जो उन्हें रिश्वत न दिए जाने के कारण उनके पति को दिए जाने वाला भुगतान नहीं कर रहे हैं। नजबुन्निसां का कहना है कि संबद्व कार्यालय के कई लिपिकों द्वारा मुंह खोलकर उनसे रिश्वत देने को कहा गया। उनका कहना है कि संभवत: प्रत्येक कार्यालय में सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों से रिश्वत लेने के बाद ही इस प्रकार के अवकाश प्राप्त के पश्चात मिलने वाली राशियां अवकाश प्राप्त लोगों को दिए जाने का प्रचलन सामान्य होगा तभी यह लोग रिश्वत लेने के आदी हो चुके यह क्लर्क उनसे बिना रिश्वत लिए सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। अपनी आर्थिक स्थिति से तंग नजबुन्निसां इतनी दु:खी हंै कि उनके अनुसार उनके घर में उनके पति को होने वाले इन भुगतानों के न हो पाने के कारण चूल्हा न जलने तक की नौबत आ चुकी है। खबर है कि यथाशीध्र समस्त देयकों का भुगतान न होने की स्थिति में इस परमवीर चक्र विजेता की बेटी अपने परिवार के साथ जि़ला अधिकारी गाज़ीपुर के आवास के समक्ष सत्याग्रह पर बैठने की योजना भी बना रही है।

अब ज़रा सोचिए कि क्या फौज में कार्यरत कोई व्यक्ति इस प्रकार के समाचार सुनने के बाद अपनी जान की बाज़ी लगाकर देश की रक्षा करने का साहस करेगा? यहां एक सवाल और भी है कि जब इतने सम्मानित व प्रसिद्धि प्राप्त शहीद परिवार के सदस्य के साथ रिश्वतखोरों व भ्रष्टाचारियों द्वारा इस प्रकार की हरकत की जा रही है तो एक साधारण परिवार से संंबंध रखने वाला व्यक्ति बिना रिश्वत दिए अपने अवकाश प्राप्त संबंधी भुगतान अथवा कोई दूसरे सरकारी कार्य करा सकता है, क्या इस बात की कल्पना भी की जा सकती है? और इसी परिपेक्ष्य में यह बात भी काबिलेगौर है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपना सारा जीवन अपने विभाग की सेवा करने में लगा दिया हो उसे अवकाश प्राप्ति के बाद भ्रष्टाचारियों द्वारा आिखर रिश्वत तलब करने के रूप में यह कैसी सौगात दी जाती है। जबकि प्राय: उसके अपने विभागीय सहयोगी उसे विदाई पार्टी देकर विभाग के प्रति की गई उसकी सेवाओं को याद कर उसे बिदा करते हैं। यहां नजबुन्निसां का यह कथन बिल्कुल गलत नहीं है कि संभवत: प्रत्येक कार्यालय में सेवानिवृत होने वाले लोगों से रिश्वत लेकर इस प्रकार के देयों का भुगतान किए जाने का प्रचलन हो गया है। निश्चित रूप से लगभग प्रत्येक विभाग में प्रत्येक अवकाश प्राप्त व्यक्ति के मुंह से प्राय: यह सुनने को मिलता है कि उनके रिटायरमेंट के बाद उन्हें अपने भुगतान के लिए संबद्ध लिपिकों व अधिकारियों को रिश्वत देनी ही पड़ती है। लिपिकों के अवकाश प्राप्ति की तो बात ही क्या अवकाश प्राप्त आला अधिकारी तक रिश्वत दिए बिना अपने भुगतान नहीं करा पाते। परंतु इसी के साथ-साथ यह बात भी बिल्कुल सच है कि जो भी व्यक्ति अवकाश प्राप्ति के बाद जल्द से जल्द संबद्ध लिपिकों की जेबें भरने जैसी ‘चतुराई’ दिखाता है और लिपिकों को सुविधा शुल्क के रूप में रिश्वतखोरी की रक़म का भुगतान जितनी जल्दी कर देता है उसे अवकाश प्राप्ति के बाद मिलने वाले सभी प्रकार के देय यथाशीघ्र प्राप्त हो जाते हैं। और जो ऐसा नहीं करता उसके भुगतान में तरह-तरह की खामियां निकालने व उसमें अड़चनें डालने की कोशिशें की जाती हैं।

कहना गलत नहीं होगा कि हमारे देश में भ्रष्टाचार इस हद तक अपने पांव पसार चुका है कि इस व्यवस्था का विरोध करने वाले सैकड़ों ईमानदार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इतना ही नहीं बल्कि किसी कार्यालय में मौजूद ईमानदार व्यक्ति दूसरे भ्रष्ट कर्मचारियों की नज़रों में कांटे की तरह खटकता रहता है। कई ईमानदार लोगों को तो उसी के अपने भ्रष्ट सहयोगी पागल तक कहने लगते हैं। इस भ्रष्ट व्यवसथा ने देश के आम लोगों को ही दु:खी नहीं कर रखा बल्कि इस प्रथा के चलते हमारे देश की गिनती भी दुनिया के कुछ गिने-चुने भ्रष्ट देशों की सूची में होने लगी है। ऐसे में वीर अब्दुल हमीद की बेटी से रिश्वत मांगे जाने का प्रकरण भी इतना आश्चर्यचकित तो नहीं करता परंतु यह घटना यह सोचने को ज़रूर मजबूर करती है कि आिखर रिश्वतखोरों के हौसले किस कद्र बढ़ चुके र्हैं और उनका ज़मीर कितना मुर्दा हो चुका है कि वे एक परमवीर चक्र विजेता व देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देने वाले शहीद के परिवार को भी चंद पैसों की रिश्वत लिए बिना बख्शना नहीं चाहते? ज़ाहिर है ऐसी कलंकित करने वाली परिस्थितियों के लिए हमारे देश की भ्रष्ट एवं लचर व्यवस्था ही जि़म्मेदार है। यानी यदि किसी भ्रष्टाचारी के विरुद्ध कोई अधिकारी या कोई विभाग कोई कार्रवाई करना भी चाहे तो रिश्वत का ही सहारा लेकर उस कार्रवाई से बचने का गुण भी रिश्वतखोर भलीभांति जानते हैं। एक प्रसिद्ध कव्वाली के बोल-‘बात कहुूं मैं साफ मेरे हाथों में है इंसाफ यह पैसा बोलता है’। इन परिस्थितियों में बिल्कुल सही व अर्थपूर्ण प्रतीत होते हैं।

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nirmalrani11परिचय -:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क : – Nirmal Rani  : 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City13 4002 Haryana ,  Email : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

* Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS .

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