द्वारपिंडी अर्थात दहलीज की पूजा करने का होता है खास महत्व

0
28

दिवाली पर द्वारपिंडी अर्थात दहलीज़ की पूजा करने का खास महत्व होता है। कहते हैं कि दहलीज़ में सभी देवी और देवता निवास करते हैं जिसके चलते घर में बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं। आओ जानते हैं कि कैसे करते हैं देहरी पूजा।

सुंदर बनाएं देहरी : दीपावली पर द्वार और देहलीज़ या देहरी का खासा महत्व रहता है। यदि आपकी देहरी टूटी-फूटी या खंडित हो तो उसे ठीक करवा कर उसे मजबूत और सुंदर बना लें। कोई भी व्यक्ति हमारे घर में प्रवेश करे तो दहलीज लांघकर ही आ पाए। सीधे घर में प्रवेश न करें।

ये कार्य करें : घर को साफ और स्वच्छ कर पांचों दिन देहरी पूजा करें। जो नित्य देहरी की पूजा करते हैं उनके घर में स्थायी लक्ष्मी निवास करती है। दीपावली के अलावा विशेष अवसरों पर देहरी के आसपास घी का दीपक लगाना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का प्रवेश सरल होगा। विशेष मौके पर घर के बाहर देली (देहली या डेल) के आसपास स्वस्तिक बनाएं और कुमकुम-हल्दी डालकर उसकी दीपक से आरती उतारें। भगवान का पूजन करने के बाद अंत में देहली की पूजा करें। देहली (डेली) के दोनों ओर सातिया बनाकर उसकी पूजा करें। सातिये के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलवा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दें। इस उपाय से धनलाभ होगा।

यह कार्य ना करें : दहलीज पर पैर रखकर कभी खड़े नहीं होते। दहलीज पर कभी पैर नहीं पटकते। अपने गंदे पैर या चप्पल को रगड़कर साफ नहीं करते। दहलीज पर खड़े रहकर कभी किसी के चरण नहीं छूते। मेहमान का स्वागत या विदाई दहलीज पर खड़े रहकर नहीं करते। स्वागत दहजलीज के अंदर से और विदाई दहलीज के बाहर खड़े रहकर करते हैं। PLC
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here