सीएम अशोक गहलोत के दिल्ली दौरे से राजस्थान में एक बार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री गहलोत जोधपुर के एक दिन के दौरे के बाद मंगलवार रात को वहां दिल्ली के लिये रवाना हो गये. गहलोत बुधवार को दिल्ली (Delhi) में बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. गहलोत की राहुल गांधी से मुलाकात किये जाने की भी चर्चा है. गहलोत के दिल्ली दौरे के बाद मंत्री बनने की लाइन में लगे विधायकों की धड़कनें बढ़ी हुई है.
माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में जीत के बाद दो धड़ों में बंटी कांग्रेस पार्टी के अंदरुनी समीकरण बदल गये हैं. गहलोत खेमा पायलट कैम्प की बजाय ज्यादा मजबूत हुआ है. सीएम अशोक गहलोत दिल्ली रवाना होने के साथ राजस्थान में सियासी पारा चढ़ने लग गया. गहलोत के इस दिल्ली दौरे को पूरी तरह से मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है.
मंत्रिमंडल में अभी 9 मंत्री पद खाली चल रहे हैं
गहलोत मंत्रिमंडल में अभी 9 मंत्री पद खाली हैं. फिलहाल सीएम गहलोत समेत मंत्रिमंडल में 21 सदस्य हैं. राजस्थान विधानसभा के सदस्यों की संख्या को देखते हुये अभी 9 मंत्री और बनाये जाने हैं. राजस्थान विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 200 है. नियमानुसार कुल सदस्यों में से 15 फीसदी सदस्य को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. गत वर्ष हुये सियासी घटनाक्रम के बाद अभी 9 मंत्री पद खाली हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार में सभी पद नहीं भरे जायेंगे
माना यह भी जा रहा है कि अगर एक व्यक्ति एक पद का पालन किया जाता है तो राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा से मंत्री पद वापस लिया जा सकता है. इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि इन तीनों के पास संगठन के बड़े पद भी हैं. अगर ऐसा होता है तो मंत्री के 12 पद खाली हो सकते हैं. लेकिन सियासी समीकरणों के चलते मंत्रिमंडल विस्तार में सभी पद नहीं भरे जायेंगे.
सभी पक्षों को शामिल करना बड़ी चुनौती
इस कवायद में पायलट कैम्प को सतुंष्ट करने के साथ ही सरकार का साथ दे रहे निर्दलीय विधायकों को भी शामिल किया जाना संभावित है. वहीं बसपा से कांग्रेस में शामिल हुये विधायक भी मंत्री पद की आस लगाये बैठे हैं. उन्हें भी गहलोत सरकार संतुष्ट करने का प्रयास कर सकती है. ऐसे में मंत्रिमंडल में पायलट कैम्प, निर्दलीय और बसपा से आये विधायकों को शामिल करना पार्टी के लिये बड़ी चुनौती है. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार से पहले गहलोत एक बार पार्टी आलाकमान से मिलकर सभी बातें पूरी तरह से क्लियर करना चाहते हैं. इसके लिये क्या फॉर्मूला अपनाया जायेगा दिल्ली दौरे में इसी की कवायद की जायेगी. PLC