तपेश शर्मा की तीन कविताएँ

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तपेश शर्मा की तीन कविताएँ

1. उम्मीद करता हूँ !
जिस बच्चे ने पिछले साल ,
हर दिन बिना कचरा ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिस बेटी को पिछले साल ,
गर्भ में ही मार दिया गया ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिस बूढ़े बाप को पिछले साल ,
खुद ही के घर से बेघर किया गया ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिस माँ ने पिछले साल ,
जवान बेटे की अर्थी खुद की आँखो से देखी ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिस बहु को पिछले साल ,
ससुराल में दहेज़ की खातिर ज़लील किया गया ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिस व्यक्ति ने पिछले साल ,
भूकंप में अपने पुरे परिवार को खोया ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिस लड़की की पिछले साल ,
चलती गाडी में इज़्ज़त लूटी गयी ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिन परिवार के बच्चों को ,
स्कूल में ही गोलियों से भून दिया गया था ,
उम्मीद करता हूँ उसका नया साल हो ।
जिन जिन लोगो ने पिछले साल ,
अपनी उम्मीद को दफना दिया था ,
उम्मीद करता हूँ की उस उम्मीद का नया साल हो ।

2. नया क्या ?
सूर्योदय वही , धूप वही ,
कपड़े वही , शरीर वही ,
बाहर से सब कुछ वैसा ही ,
जैसा कल रात सोने से पहले था ।
मैं वही , तुम वही , फिर नया क्या ?
नया कैलेंडर नए साल का |
कैलेंडर की तारीखे वही ,
मौसम वही , त्यौहार वही । तो नया क्या ?
नया कैलेंडर नयी उम्मीद के साथ,
नयी उम्मीद नयी खुशियो की ।
ये खुशिया उन सपनो की ,
जो पिछले साल पुरे ना हो सके ।
ये सपने खुद को वहा देखने की ,
जहा पिछले साल पहुँच ना पाया ।
सपने वही , खुद वही ,
बस नए साल के रास्ते नए ।

मैं वही , तुम वही ,
फिर नया क्या ?
नया कैलेंडर ! बस नया कैलेंडर ।
नज़रे वही बस नजरिया नया !!!

3. कुछ समझ नहीं आ रहा !
क्या लिखू , क्या ना लिखू ,
कुछ समझ नहीं आ रहा |
लिखू उस उगते हुए सूरज की उम्मीद भरी रौशनी पर ,
या उन प्यारे तारो से भरी रात के चमकते चाँद पर लिखू ?
कुछ समझ नहीं आ रहा ||
उस छोटे बच्चे की ख़ुशी पर लिखू
जिसने आज नयी साईकिल खरीदी है |
या उस माँ के दर्द पर लिखू ,
जिसके बेटे का खून सड़क पर अब भी चिपका पड़ा है ?
कुछ समझ नहीं आ रहा ||
लिखू उस बहिन की मुस्कान के बारे में ,
जब राखी पर उसने अपना उपहार देखा |
या उस बाप की शर्म पर लिखू  , जिसकी बेटी अफसर बनी है ,
और उसने इसे अपनी पत्नी की कोख में ही मारने का सोचा था ?
कुछ समझ नहीं आ रहा ||
लिखू उस पिल्ले की बेचैनी को , अकेला वो बैठा है ,
जिसकी माँ उसके लिए खाना लाने गयी है |
या उस बिल्ली की पीड़ा पर लिखू !

tapesh-sharma-poet-tapesh-sharma-poem-of-tapesh-sharma-परिचय : – 
तपेश शर्मा
युवा कवि 

योग्यता : बी.कॉम तृतीय वर्ष

जन्म तिथि : 05 जनवरी 1996

रूचि : लेखन

संपर्क : 09571755331 ,

tapesh9571@gmail.com

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