Mahendra-BhishmaMahendra-Bhishma-storystory-by-Mahendra-BhishmaMahendra-Bhishma-writer
तौब़ा-तौब़ा ‘अन्ततः वह अकाल मृत्यु का ग्रास बन ही गया।’ मेरे अन्तस तक मेरी ही मौन वाणी तीर की भाँति...
स्टोरी अनिल ने बिस्तर पर लेटे-लेटे दीवार घड़ी की ओर देखा, सुबह के नौ बजनेे को थे ‘ओह! मॉय गॉड’...
कहानी " मात " रात्रि प्रारम्भ हो चुकी थी या यों कह लिया जाये कि शाम ढल चुकी थी। गाँव...