स्वाइन फ्लू – डरें नहीं – बचाव करें।

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Dr. Anrudh Verma– डा0 अनुरूद्ध वर्मा –

हर तरफ स्वाइन फ्लू की ही चर्चा है। हर व्यक्ति भयभीत है कि कहीं उसे भी स्वाइन फ्लू न हो जाये। पिछले वर्षों में भी स्वाइन फ्लू की घटनायें प्रकाश में आई थी परन्तु इस बार प्रकोप कुछ ज्यादा ही है। इस बार स्वाइन फ्लू देश के 18 राज्यों में फैलने की खबर है। समाचार-पत्र एवं न्यूज चैनल स्वाइन फ्लू की खबरों से भरे पड़े है। सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से चिंतित है और इसकी रोक थाम एवं उपचार के लिये हर संभव उपाय कर रही हैं फिर भी जनता दशहत में है। वैसे तो स्वाइन फ्लू वायरस जनित रोग है परन्तु हर फ्लू स्वाइन फ्लू नहीं होता है इसलिये घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे बचाव एवं उपचार पूरी तरह संभव है परन्तु सतर्क एवं सावधान रहने की जरूरत है।

क्यों होता है स्वाइन फ्लू:-

आमतौर पर यह बीमारी एच 1 एन 1 वायरस के कारण फैलती है।
कौन ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं:- ?
गर्भवती महिलायें, बच्चे, बृद्ध, डायविटीज रोगी, एच0आई0वी0 रोगी, दमा के रोगी व्रांकाइटिस के रोगी, नशे के लती, कुपोषण, एनीमिया एवं अन्य गंभीर बीमारियों से ग्र्रसित लोगों के इससे प्रभावित होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है।

कैसे फैलती है यह बीमारी:- ?

स्वाइन फ्लू का संक्रमण किसी स्वाइन फ्लू के रोगी के सम्पर्क में आने पर होता है। यह रोगी व्यक्ति से हाथ मिलाने, खांसने, छीकने या सामने से या नजदीक से बात करने से होता हैं श्वसन-तंत्र के रास्ते से स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण स्वाइन फ्लू की बीमारी हो जाती है।

क्या लक्षण है स्वाइन फ्लू बीमारी के:- ?

स्वाइन फ्लू बीमारी के लक्षण सामान्य इन्फ्ल्युंजा की तरह है इसमें तेज बुखार, सुस्ती, सांस लेने में परेशानी, सीने मेें दर्द, रक्त चाप गिरना, खांसी के साथ खून या वलगम, नाखूनों का रंग नीला हो जाना आदि लक्षण हो सकते है। यदि इस प्रकार के लक्षण मिलें तो स्वाइन फ्लू की जांच कराकर उपचार कराना चाहिये।

क्या उपचार है स्वाइन फ्लू का:-

स्वाइन फ्लू का उपचार एलोपैथिक पद्धति के माध्यम से भी किया जा रहा है।

स्वाइन फ्लू का होम्योपैथी से बचाव एवं उपचार:-

होम्योपैथी में जब रोग फैल रहा होता है और जिस प्रकार के लक्षण ज्यादातर रोगियों में मिलते हैं उसी को ध्यान में रखकर जीनस इपिडिमकस का निर्धारण कर बचाव के लिये औषधि का का चयन किया जाता है। इसके बचाव में आर्सेनिक एल्व 200 एवं इन्फ्ल्युजिनम 200 औषधियां कारगर साबित हो सकती हैं। होम्योपैथी में रोगी के लक्षणों के आधार पर औषधि का चयन किया जाता है। हर रोगी की दवा अलग-अलग होती है। इसलिये प्रशिक्षित होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह पर ही होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग करना चाहिये।

कैसे करें स्वाइन फ्लू से बचाव:-

क्या करें क्या न करें –
– खांसते या छीकतें समय मुंह पर हाथ या रूमाल रखें।
– खाने से पहले साबुन से हाथ धोयें।
– मास्क पहन कर ही मरीज के पास जायें।
– साफ रूमाल से मुुंह ढके रहें।
– खूब पानी पियंे व पोषण युक्त भोजन करें।
– मरीज से कम से कम एक हाथ दूर रहें।
– भीड़-भाड़ इलाकों में न जाये।
– साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें।
– यदि लक्षण दिखें तो तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें।

स्वाइन फ्लू से धबराये नहीं इससे बचाव के लिये पूरी सावधानी रखें और यदि लक्षण दिखायी पड़ें तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह लें। अपने आस-पास के लोगों को इससे बचाव की जानकारी दें तभी स्वाइन फ्लू की समस्या से निजात पायी जा सकती है।
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Dr. Anrudh Vermaपरिचय :-
डा0 अनुरूद्ध वर्मा
होम्योपैथिक चिकित्स्क

शिक्षा : एम0डी0 (होम्यो)

निवास : 21/414, इन्दिरा नगर, लखनऊ

सम्पर्क : मो0नं0- 9415075558

E-mail : Dranrudh_lko@rediffmail.com

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