सूटकेश के साए से निकलता देश

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narendra modi invc news-संजय कुमार आजाद –

महान क्रांतिकारी देशभक्त वीर सावरकर ने कहा था –“ बिना युद्ध के स्वातंत्र्य एकाएक प्राप्त नही होता,परन्तु यह भी सच है कि गुलाम राष्ट्र एकाएक युद्ध करने की स्थिति में नहीं आता.” यह विदेशियो से भारत की मुक्ति के संदर्भ में उनके स्पष्ट विचार थे. १५ अगस्त १९४७ को सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण विदेशियो से कोंग्रेसिओ के हाथो हुआ जिसे हम आज आज़ादी मानते हैं. लगभग छ:दशक से ज्यादा समय तक इस देश पर लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र चलता रहा वह भी फिरकापरस्तों की ज़मात कांग्रेसियो के कुटिल नीतिओ से सिर्फ एक परिवार के तानाशाही रवैये को देश झेलता रहा.

१९४७ के युवा अपने आँखों में स्वर्णिम भविष्य के सपने बुनते जो भारत की कल्पना की थी वह तो नही हाँ उन्हें और उनके संतानों को एक ऐसा भारत मिला जिसकी शानो शौकत,जिसके महापुरुषों, जिसके संस्कार और संस्कृति को इन फिरकापरस्त कांग्रेसियो ने मार्क्स मुल्ला और मैकाले से गठजोड़ कर धुल धूसरित करने का अथक प्रयास किया.इन फिरकापरस्त और दहशतगर्दों की ज़मात ने देश के विकास को विनाश में बदलने का जो प्रयास किया उसका वीभत्स रूप आज भी जम्मू कश्मीर हो या पूरा पूर्वोतर क्षेत्र बंगाल हो या केरल, कहीं आतंकबाद, कहीं अलगावबाद, कहीं नक्सलवाद, कहीं जातिवाद से भारत का समाज रक्तरंजित हुआ.

देश आर्थिक रूप से भी और सामरिक रूप से भी कमजोर हुआ. इनके अराजक नेतृत्व में भारत की स्थिति क्या थी वो जग ज़ाहिर है.ऐसे विषम त्राश्दी से मुक्ति के लिए पिछले साल भारत के महान जनता ने जो जनादेश दिया वह अपने सत्तारोहण के पहली वर्षगाँठ मना रहा है .एक साल कोई बड़ा समय नहीं होता और  जनता ने जो पांच साल का जनादेश दिया उसके अनुसार अभी कोई मूल्यांकन करना जल्द्वाज़ी होगी फिर भी ऐसा माना गया है की ‘पालने में ही पूत के पैर के लक्ष्ण दीखते’ हैं. वर्तमान सरकार के कार्यकलापों को देखकर तो ऐसा लगता है की देश की पंगु शाशन व्यवस्था अब सूटकेश के सहारे नहीं चल रही बल्कि सूटकेश के साए से मुक्त हो रही है.

नेहरु के ज़माने में मूंदड़ा से शुरू हुआ यह सूटकेश का खेल बदस्तूर सोनिया नियंत्रित मनमोहन सरकार तक ज़ारी रहा.भारत के इन सुट्केशों से स्विट्ज़रलैंड से लेकर इटली तक गुलज़ार होता रहा और हम भारतीय मनरेगा के मदहोश में डूबे अपनी विनाश की कहानी में अपनी जवानी गलाते रहे?

अभी हाल ही में वर्मान सरकार के एक साल पुरे होने के अवसर पर देश भर के युवाओं के वीच एक सर्वेक्षण हुआ जिसके आधार पर आज भी वर्तमान नेतृत्व का सितारा बुलंद है. देश के ६१ फीसदी युवा इस सरकार को सूझ बुझ की सरकार मानते हैं ६२ फीसदी नौकरीपेशा मानते हैं की देश में बदलाव आया है.६१ फीसदी लोग इस सरकार के कामकाज से संतुस्ट हैं.वर्तमान सरकार द्वारा कालेधन पर गंभीरता और कठोर क़ानून के साथ साथ स्वच्छ भारत अभियान ,प्रधानमंत्री जनधन योजना ,मेक इन इंडिया,पेंशन योजना,सुरक्षा बीमा जैसे सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर देश भरोसा करने को तैयार है.

आज देश के युवा ये मान रहें हैं की शैक्षणिक क्षेत्र में जो काम हो रहे है वो आवश्यक और सही दिशा में हैं , इन युवाओं का मानना है की मेक इन इंडिया के साथ स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, आइआइटी,आइआइएम, स्मार्ट सिटी कोंसेप्ट और बैंको की सहभागिता से देश में खासकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुले है. जो युवा कलतक अँधेरी कालकोठरी में अपने भविष्य तवाह कर नशे की ओर या असमाजिक गतिविधिओं की ओर अग्रसर हो रहे थे वे आज अपने सुनहले भविष्य को सम्बारने में लगे है.यह बदलाव देश की आर्थिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों के लिए वरदान है.

देश की आधी आवादी यानी महिलाओं ने भी वर्तमान सरकार के कामकाज को सकारात्मक माना है .महगाई और आर्थिक विकास पर सरकार के फैसलो के साथ इन महिलाओं ने अपनी रजामंदी देकर पहले के सुट्केशो बाली सरकार से अच्छी और सशक्त सरकार मानी है.

देश की विदेश नीति को भी भारत के आम नागरिको ने सराहा है. भूटान से मंगोलिया तक की यात्रा और भारत के साथ अन्य देशों की बढती सहभागिता, पूर्ववर्ती सुट्केशो में आस्था रखने वाली  सरकार से बेहतर और देशहित में निर्णय लेने वाली सरकार के रूप में मानती है.

वर्तमान सरकार के नेतृत्व पर गहरी आस्था रखने बाली भारत की जनता उस दौर को याद कर आज भी सिहर जाती है जब देश के प्रधानमंत्री को नियंत्रित और निर्देशित किया जाता था. साल २००४ में किसी कारणवश देश का प्रधानमंत्री नही बनने के बाद जिस तरह से फिरकापरस्तों की ज़मात कांग्रेस ने सोनिया गांधी के त्याग रूपी  इंद्रजाल को ऐसा फैलाया की कुछ समय के लिए भारत के आम नागरिक इस इंद्रजाल में फंस ही गये.सोनिया गांधी के इशारों पर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् जैसे गैर संवैधानिक संस्था का गठन कर देश की कोष का अरवों-खरवो का नुक्सान किया और  प्रधानमंत्री के पद को एक तरह से कैद कर रखा था,

वह दौर था जब राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के अध्यक्षा भारत्त के प्रधानमन्त्री को नियंत्रित रखती मानो प्रधानमंत्री नही एक अनुसेवक हो और इसके सदस्य देश के मंत्री को अपने इशारों पर और पूरी परिषद् देश के कैविनेट को अंगुलियो पर नचाती रहती जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा और विश्व में भारत की छवि घोटालेवाजो की जन्नत के देश के रूप में बनी.नेहरु के ज़माने में जो सूटकेश की साइज़ 5”X6”  थी वह सोनिया नियंत्रित मनमोहन सरकार में बढ़कर 500”X600” की हो गयी .भारत की जनता निराशा के गर्त में डूबा था .आज देश को यह विश्वास हो रहा है की देश का नेतृत्व एक सशक्त हिन्दुस्तानी नागरिक के हांथों में है जो भारत को एकबार फिर समर्थ और सशक्त भारत बनाने की दिशा में कार्यशील है.

आज का भारत फिरकापरस्तों और तथाकथित सेकुलर गिरोहों से मुक्ति चाहता है.आज का भारत अपने प्राचीन गौरवशाली परम्परा को स्मरण कर अपने संस्कृति और संस्कार पर अभिमान करना चाहता है .आज का भारत फिर एक बार विश्वगुरु बनने की अभिलाषा रखता है तथा वह सनातन संस्कृति जिसे वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास है की चाहत रखता है.देश सुट्केशी परम्परा के जोंको से मुक्ति की आस में थी जिसे वर्तमान सरकार हर क्षेत्रों से इन जोंको से मुक्ति दिलाने हेतु प्रतिबद्ध दिखती है.
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sanjay-kumar-azadपरिचय :- 

संजय कुमार आजाद

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार हैं

पता : शीतल अपार्टमेंट,निवारणपुर रांची 834002

ईमेल — azad4sk@gmail.com  , फोन–09431162589

*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं ।

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