अहंकारी व बेलगाम सत्ता के नियंत्रण के लिए मज़बूत विपक्ष ज़रूरी

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                                      – तनवीर जाफ़री – 

हमारा देश वर्तमान समय में अव्यवस्था,अराजकता तथा व्याकुलता के दौर से गुज़र रहा है। पहले से ही बेरोज़गारी व मंहगाई जैसे अभूतपूर्व हालात का सामना कर रहे देश के नागरिकों के सामने कृषक आंदोलन तथा उत्तर प्रदेश में  महिलाओं विशेषकर दलित महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार व जघन्य अपराधों ने इन असामान्य हालात में जलती आग में घी डालने का काम कर दिया है। केवल एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश के हाथरस, आज़मगढ़,बलरामपुर तथा भदोही व बाराबंकी में  बलात्कार व नृशंस हत्या जैसी कई घटनाओं ने उन सत्ताधीशों की शासन क्षमता पर सवाल खड़ा कर दिया है जिन्होंने दिल्ली व उत्तर प्रदेश की सत्ता तक पहुँचने के लिए जनता में यही भय फैलाया था कि यू पी ए के शासन में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चौपट है,बेटियों का बलात्कार हो रहा है और वे पूरी तरह असुरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश में अखिलेश राज को गुंडा राज बताया जाता था। और अपना शासन आने पर जनता को ‘राम राज’ का एहसास दिलाने का सपना दिखाया गया था। परन्तु देश की जनता के लिए ‘राम राज’ का सपना तो मात्र एक दुःस्वप्न साबित हो चुका है। देश की जिन बच्चियों के लिए ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ‘ का नारा दिया गया था और इस मिशन की मार्केटिंग में सैकड़ों करोड़ रूपये फूँक दिए गए थे उन्हीं बच्चियों के साथ केवल बलात्कार ही नहीं हो रहा बल्कि शासन के अधिकारियों द्वारा भी जिस तरीक़े का क्रूरता पूर्ण बर्ताव किया जा रहा है उसका दूसरा उदाहरण स्वतंत्र भारत के इतिहास में आज तक देखने को नहीं मिला। हाथरस की घटना जिसने देश में उबाल पैदा कर दिया है,इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जहाँ दलित युवती का कथित तौर पर पहले सामूहिक बलात्कार किया गया फिर उसकी रीढ़ की  हड्डी तोड़ दी गयी व ज़ुबान काट डाली गयी। उसके बाद इन साक्ष्यों को मिटाने के लिए पुलिस व प्रशासन द्वारा मरणोपरांत उस मृतक बच्ची को उसके मां बाप की अनुमति के बिना,बिना किसी संस्कार संबंधी धार्मिक रीति रिवाज को पूरा किये हुए, यहाँ तक कि रात में अंतिम संस्कार हरगिज़ न किये जाने जैसी हिन्दू मान्यताओं व परंपराओं के विरुद्ध भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच मध्यरात्रि में उस बदनसीब का दाह संस्कार स्वयं पुलिस वालों के हाथों मिट्टी का तेल व पेट्रोल आदि चिता में छिड़ककर कर दिया गया। इसी तरह बलरामपुर व बाराबंकी की घटनाओं में भी पुलिस पर पीड़ित मृतक युवती का संस्कार देर रात उसके परिजनों की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कराए जाने का आरोप है।
                                       उम्मीद तो यही थी कि दलितों के नाम पर व दलित वोटों के सहारे ‘राजशाही ठाठ बाठ’ हासिल करने वाली मायावती,राम विलास पासवान तथा राम दास अठावले जैसे नेता हाथरस व अन्य स्थानों पर दलित बेटी के साथ हुए अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे तथा पीड़ित परिवार के  साथ खड़े होकर अपनी हमदर्दी का इज़हार करेंगे। परन्तु दलित रहनुमाओं ने चुप्पी साध ली। हाँ मायावती ने ‘ट्वीटबाज़ी’ बयानबाज़ी कर अपना फ़र्ज़ अदा करने का दिखावा ज़रूर कर दिया। ऐसे में निश्चित रूप से न केवल हाथरस के पीड़ित दलित परिवार के साथ बल्कि देश के समस्त वंचित,पीड़ित व उपेक्षित समाज के साथ विपक्षी पार्टियों के खड़े होने की ज़रुरत थी।और इस फ़र्ज़ को बख़ूबी निभाने का काम कांग्रेस पार्टी द्वारा निभाया गया व निभाया जा रहा है। सत्ता से सवाल पूछने की सज़ा के रूप में कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी को पुलिसिया धक्का मुक्की का सामना करना पड़ा यहाँ तक की उनके चोट लगने व घायल होने का भी समाचार आया। इसी प्रकार हाथरस जा रहे तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल पर  पुलिस ने कथित रूप से लाठी चार्ज किया जिसमें  टी एम सी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और प्रतिमा मंडल धक्का-मुक्की के दौरान नीचे गिर गये।उधर लखनऊ में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज किया गया। बड़े ही आश्चर्यजनक तरीक़े से हाथरस  में पीड़िता के गांव की ओर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे तथा राजनैतिक दलों के लोगों व मीडिया कर्मियों को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी। सरकार के इस तानाशाही रवैये को न केवल भाजपा नेता उमा भारती ने ग़लत बताया बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस के कई पूर्व महानिदेशकों व आई पी एस अधिकारियों ने भी इसकी निंदा की व इस तरह की पुलिस कारगुज़ारी को ग़लत व ग़ैर ज़रूरी भी बताया।
                                                        बहरहाल इस समय विपक्ष आए दिन ख़राब होते जा रहे इस तरह के वातावरण को लेकर राम राज का वादा व दावा करने वाले सत्ताधीशों से दो दो हाथ कर रहा है। परन्तु दलाल मीडिया और सत्ता पक्ष के लोगों को इसमें विपक्ष द्वारा की जा रही राजनीति नज़र आ रही है। महिलाओं के अधिकारों के लिए मुखर रहने वाली स्मृति ईरानी भी कांग्रेस की सक्रियता को ‘राजनीति’ करना बता रही हैं। यदि ऐसी घटनाओं पर विपक्ष ख़ामोश रहे तो यही मीडिया कहता नज़र आएगा कि इतने बड़े हादसे के बाद विपक्ष ख़ामोश क्यों है? क्या सांप सूंघ गया है? क्या विपक्ष मुर्दा गया है? क्या विपक्ष शक्तिहीन हो गया है ? क्या विपक्ष समाप्त हो गया है ?आदि आदि। और जब यही राहुल व प्रियंका गाँधी तथा उनकी पार्टी के हज़ारों नेता व कार्यकर्ता मज़लूमों के साथ खड़े होकर उनकी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं तो उनके इस कर्तव्य को ‘राजनीति करना ‘ बताया जा रहा है ? उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की जनता का मिज़ाज भांपते हुए हाथरस के पुलिस अधीक्षक व उप पुलिस अधीक्षक सहित दो पुलिस निरीक्षकों को बर्ख़ास्त तो ज़रूर कर दिया। शासन के सचिव को पीड़ित परिवार से मिलने भेजा। इतना ही नहीं बल्कि राहुल गाँधी व प्रियंका गाँधी द्वारा पीड़ित परिवार से मिलने के बाद योगी सर्कार ने हाथरस घटना की जांच सी बी आई से कराने का निर्देश भी जारी कर दिया। और पीड़ित परिवार के लिए सांत्वना पैकेज की घोषणा भी कर डाली।  परन्तु इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं कि सुशासन व राम राज का दर्शन कराने का दावा करने वाली सरकार का राज ‘गुंडा राज’ व ‘बलात्कार प्रदेश’ में कैसे परिवर्तित हो गया ? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने ट्वीट में फ़रमाते हैं कि “उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। हम आपकी प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पबद्ध है। यह हमारा संकल्प है-वचन है।” परन्तु यह केवल फ़िल्मी संवाद प्रतीत होते हैं और इनमें राजनेताओं की गंभीर शब्दावली का अभाव नज़र आता है।
                                       मीडिया हो या सत्ता व शासन के लोग,उन्हें देश को विपक्षहीन करने के दुष्प्रयासों से बाज़ आना चाहिए। बजाए इसके मज़बूत विपक्ष पर विश्वास करना चाहिए। नफ़रत व सांप्रदायिक एजेंडे को अमल लाने के बजाए विपक्ष की जनहितकारी आवाज़ों को महत्व देना चाहिए। आज योगी आदित्य नाथ जैसे गद्दी गोरखनाथ के गद्दीनशीन व्यक्ति जिनकी उनके अनुयाई पूजा करते हैं,जिनके चित्र भक्तों ने अपने मंदिरों में लगाए हुए हैं आज उनके नाकाम मुख्यमंत्री साबित होने की वजह से उन्हीं के पुतले जलाए जा रहे हैं और उनके चित्र,नाम व पुतलों के साथ तरह तरह की बे अदबी  की जा रही है। सत्ता अपनी कमज़ोरियों,सत्ता संचालित करने की अपनी नाकामियों को स्वीकार करने के बजाए इसका ठीकरा विपक्ष पर यही कह कर फोड़ रहा है कि विरोध के बहाने विपक्ष राजनीति कर रहा है? परन्तु लोकतंत्र की सबसे बड़ी हक़ीक़त यही है कि अहंकारी व बेलगाम सत्ता के नियंत्रण के लिए मज़बूत विपक्ष का होना बेहद ज़रूरी है।और विपक्ष को समाप्त या कमज़ोर करने की मीडिया या सत्ता पक्ष की किसी भी साज़िश को लोकतंत्र विरोधी षड़यंत्र समझा जाना चाहिए।
 

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com

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