Story of Success – नौनिहालों के जीवन में स्वास्थ्य का उजाला

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story-of-successआई एन वी सी न्यूज़
नागौर ,

घर के आंगन में चहल-कदमी करने वाले नौनिहाल जब किसी जन्मजात विकृति से ग्रसित हो जाए तो मायूसी का माहौल छा जाता हैं। यही मायूसी खुशी में छा गयी जब उसका ईलाज होकर वह बिल्कुल स्वस्थ हो गया। यह सब संभव हुआ राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कारण संभव हुआ। यह राष्ट्रव्यापी पुनीत कार्यक्रम जन्मजात विकृति से ग्रसित नौनिहालों के जीवन में नया उजाला लेकर आया है।

नहीं फूलती अक्षिता व मनोज की सांसें

नागौर जिले के डेगाना कस्बे में ललित कुमार की 17 वर्षीय बेटी अक्षिता और नागौर तहसील के धनेरिया गांव में रामकिशोर की 10 वर्षीय पुत्री मनोज को उम्र बढ़ने के साथ-साथ दौड़ने में तकलीफ होने लगी और सांसें भी फूलने लगी। चिकित्सा संस्थान में जांच करवाने पर पता चला कि इन दोनों के दिल में छेद है, जिसके कारण तेज चलने पर भी उनकी सांसें फूलने लगती है। इसी बीच दोनों ही बालिकाओं के विद्यालयों में पहुंची राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकीय दल को संस्था प्रधान ने इनकी बीमारी के बारे में बताया। चिकित्सकीय दल ने स्क्रीनिंग के बाद दोनों बालिकाओं को उच्च चिकित्सा संस्थान के लिए रैफर कर दिया। इसके बाद पिछले माह अक्षिता व मनोज का जयपुर के नारायणा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में दिल के छेद का सफल ऑपरेशन कर दिया गया, अब ये दोनों ही बिल्कुल ठीक है।

अब साफ बोलती पूजा और दौड़ लगाती है तानिया

जिले के देहाती क्षेत्र में रहने वाली नन्हीं बालिका पूजा पुत्री बंशीराम कटे तालू होने के कारण साफ बोल नहीं पाती थी। ठीक इसी तरह तानिया पुत्री मनोज मुड़े हुए पैर होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाती। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम इन दोनों बालिकाओं के जीवन में उम्मीद की किरण लेकर आया। इन दोनों बालिकाओं को पिछले जून माह में उच्च चिकित्सा संस्थान में सफल ऑपरेशन किया गया, आज वे बिल्कुल ठीक हैं। अब पूजा साफ बोलने के साथ-साथ ठीक से खा-पी सकती है। वहीं तानिया को तेज चलने और धीरे-धीरे दौड़ने में किसी तरह की तकलीफ नहीं होती।

अब तक 47 नौनिहालों का ऑपरेशन

आरबीएसके के जिला नोडल अधिकारी व आरसीएचओ डॉ. मुश्ताक अहमद ने बताया कि अकेले नागौर जिले से 47 नौनिहाल ऎसे हैं, जिनके दिल में छेद होने की बीमारी को विभिन्न उच्च चिकित्सा संस्थानों में ऑपरेशन के जरिए निशुल्क दूर किया गया। सही कहें तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जा रहा यह कार्यक्रम जन्मजात विकृति वाले बच्चों के लिए लाइफ लाइन साबित हुआ है। इनके अलावा कटे तालू की जन्मजात विकृति से ग्रसित 16 तथा मुड़े हुए पैर की विकृति से ग्रसित 10 बच्चों का आरबीएसके के तहत निशुल्क ईलाज करवाया जा चुका है और वे अब बिल्कुल स्वस्थ है।

8 हजार 443 बच्चे चिन्हित, 5400 बच्चों का ईलाज

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. हुकमचंद मारू ने बताया कि नागौर जिले में इस राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम को शुरू हुए एक साल से अधिक समय हो गया है। अब तक जिले में आरबीएसके की मोबाइल हैल्थ टीमों ने 2 लाख 97 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गई है जिनमें से 8 हजार 443 बच्चों को चिकित्सा संस्थानों में ईलाज के लिए रैफर किया गया। उक्त बच्चों में से अब तक 5400 का सरकारी व निजी चिकित्सा संस्थानों में ईलाज करवाया जा चुका है।

सभी नौनिहालों को ईलाज के लिए विशेष प्रयास

प्रदेश में संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मोबाइल हैल्थ टीमों की ओर से स्क्रीनिंग में पाए गए संभावित बीमार सभी बच्चों को ईलाज से जोड़ने की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश भर में 476 टीमें ठेट गांवों तक सक्रिय हैं। स्क्रीनिंग में संभावित बीमार बच्चों को स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने के साथ ही रैफरल उपचार के साथ ही नियमित फॉलोअप करने के निर्देश दिए गए हैं। ब्लॉक स्तर पर बीसीएमओ इस कार्यक्रम की पुरी मॉनिटरिंग करेंगे। आरबीएसके की मोबाइल टीमों को अब नौनिहालों की हैल्थ स्क्रीनिंग के बाद रैफरल कार्ड में पूर्ण जानकारी के साथ-साथ भामाशाह या एनएफएसए के नंबंर भी आवश्यक रूप से अंकित करने होंगे। इसके साथ-साथ बच्चे की पुरी जानकारी ऑनलाइन भी इंद्रार्ज होगी।

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