शिव’राज’ के एक दर्जन साल

0
22

– जावेद अनीस –

29 नवंबर को शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री अपने बारह  साल पूरे कर लिए हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ चुनिन्दा राजनेता ही ऐसे हुए हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है. भाजपा के केवल तीन नेता ही ऐसा सके हैं जिसमें शिवराज के आलावा नरेंद्र मोदी और रमन सिंह शामिल हैं. मध्यप्रदेश की राजनीति में ऐसा करने वाले वे इकलौते राजनेता हैं.

राष्ट्रीय राजनीति में संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे शिवराजसिंह चौहान को 2005 में जब भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बनाकर मध्यप्रदेश भेजा था तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि शिवराज इतनी लंबी पारी खेलेंगे, इस दौरान वे अपनी पार्टी को दो बार विधानसभा चुनाव जितवा चुके हैं और अब तीसरे जीत की तैयारी कर रहे हैं. इस दौरान वे पार्टी के अंदर से मिलने वाली हर चुनौती को पीछे छोड़ने में कामयाब रहे हैं और विपक्ष को भी हावी नहीं होने दिया. आज मध्यप्रदेश की सरकार और संगठन दोनों में उन्हीं का दबदबा है,जो विरोधी थे उन्हें शांत कर दिया गया है या फिर उन्हें सूबे से बाहर निर्वासन पर भेज दिया गया है. पिछले बाढ़ सालों में उन्हें केवल बाहर से ही नहीं बल्कि पार्टी के अंदर से भी घेरने की कोशिश की गयी है लेकिन वे हर चुनौती से पार पाने में कामयाब रहे हैं.

दरअसल शिवराज चौहान के राजनीति की शैली टकराव की नहीं बल्कि जमीनी ,समन्वयकारी और मिलनसार वाली रही है. वे एक ऐसे नेता है जो अपना काम बहुत नरमी और शांतिभाव से करते हैं लेकिन नियंत्रण ढीला नहीं होने देते. इस दौरान वे अपनी छवि एक नरमपंथी नेता के तौर पर पेश करने में बी कामयाब रहे है, एक ऐसा चेहरा जिस पर सभी समुदाय के लोग भरोसा कर सकें.

शिवराज की यही सबसे बड़ी ताकत है कि वे बदलते वक्त के हिसाब से अपने आप को ढाल लेते हैं तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद शिवराज सिंह चौहान अभी भी राज्य में पार्टी का सबसे विश्वसनीय चेहरा बने हुये है. 2014 में पार्टी के अंदरूनी समीकरण बदल गये थे लेकिन तमाम आशंकाओं के बीच वेअमित शाह और नरेंद्र मोदी के केंद्रीय नेतृत्व से तालमेल बिठाने में कामयाब रहे. आज वे भाजपा के इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिन्हें भाजपा के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है, नीति आयोग में भी उन्हें  राज्यों की योजनाओं में तालमेल जैसी भूमिका दी गयी है.इधर सीबीआई ने भी व्यापमं घोटाले में हार्ड डिस्क से छेड़छाड़ के आरोपों को भी खारिज करते हुये उन्हें क्लीनचिट दे दी है. दरअसल व्यापमं घोटाला पिछले कई सालों से शिवराज सिंह चौहान के लिए गले की फांस बना हुआ है जाहिर है सीबीआई से उन्हें बड़ी राहत मिली है. आज वे बीजेपी के मुख्यमंत्रियों की जमात में सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री और स्वीकार्य नेता बन चुके हैं.

शिवराजसिंह चौहान जनता को लुभाने वाली घोषणाओं के लिए भी मशहूर रहे हैं इसी वजह से उन्हें घोषणावीर मुख्यमंत्री भी कहा गया. बच्चों और महिलाओं को केंद्र में रखते हुए उन्होंने कई सामाजिक योजनाओं की शुरुआत की. उनकी लोकप्रियता में इन योजनाओं का भी काफी योग्यदान है, इन्हीं की वजह से वे खुद छवि प्रदेश की महिलाओं के भाई और बच्चों के ‘मामा’ के रूप में पेश करने में कामयाब रहे हैं. लेकिन इन सबके बावजूद जमीनी हकीकत और आंकड़े कुछ और ही कहानी  बयान करते हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4  के अनुसार मध्यप्रदेश कुपोषण के मामले में बिहार के बाद दूसरे स्थान पर है. यहाँ अभी भी 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, इसी तरह शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है जहाँ 1000 नवजातों में से 52 अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर आधा यानी 26 ही है. इसी तरह से अभी भी प्रदेश में केवल 16.2 प्रतिशत महिलाओं को प्रसव पूर्ण देखरेख मिल पाती है. जिसके वजह से यहां हर एक लाख गर्भवती महिलाओं में से 221 को प्रसव के वक्त जान से हाथ धोना पड़ता है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 167 है यहाँ. उपरोक्त स्थितियों का मुख्य कारण सामाजिक सेवाओं की स्थिति का जर्जर होना है. जाहिर है तमाम दावों के बावजूद सामाजिक सूचकांक में मध्यप्रदेश अभी भी काफी पीछे है.

अगर मध्यप्रदेश में भाजपा और शिवराज लगातार मजबूत होते गये हैं तो इसमें कांग्रेस का भी कम योगदान नहीं है. यह माना जाता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेसी अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी से कम और आपस में ज़्यादा लड़ते हैं. पार्टी के कई सारे नेता हैं जो अपने अपने इलाकों के क्षत्रप बन कर रह गये हैं  सूबे में उनकी राजनीति का सरोकार अपने इलाकों को बचाए रखने तक ही सीमित हो गया है और उनकी दिलचस्पी कांग्रेस को मजबूत बनाने से ज्यादा अपना हित साधने में रही है. अगर बारह साल बीत जाने के बाद भी कांग्रेस अभी तक खुद को जनता के सामने भाजपा के विकल्प के रूप में पेश करने में नाकाम रही है तो इसके लिए जिम्मेदार शिवराज सिंह चौहान और भाजपा नहीं बल्कि खुद कांग्रेसी हैं. शिवराज सिंह ने तो बस इसका फायदा उठाया है.

2018 विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है लेकिन कांग्रेस में भ्रम और अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है, 2018 में शिवराज के मुकाबले कांग्रेस की तरफ से किसका चेहरा होगा यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है,कांग्रेस के लिए इस सवाल को हल करना आसान भी नहीं है, पिछले कुछ समय से कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के नाम इसके लिये चर्चा में रहे हैं लेकिन फैसला अभी तक नहीं हो सका है इधर दिग्विजय सिंह की यात्रा ने नये समीकरणों को जन्म दिया है किसी को भी अंदाजा नहीं है कि दस साल तक सूबे में हुकूमत कर चुके दिग्गी राजा के दिमाग में क्या चल रहा है?

लम्बे समय से अपने क्षत्रपों के आपसी गुटबाजी की शिकार कांग्रेस पार्टी के लिये लगातार अच्छी खबरें आ रही है, चित्रकूट उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेसी खेमा उत्साहित है और वे इसमें 2018 के जीत की चाभी देख रहे हैं, गुटों में बटे नेता भी आपसी मेल–मिलाप की जरूरत महसूस करने लगे हैं. इधर दिग्विजय सिंह की नर्मदा की “गैर-राजनीतिक” यात्रा का भी  राजनीतिक असर होता दिखाई पड़ रहा है. यह यात्रा एक तरह से मध्यप्रदेश के कांग्रेसी नेताओं को एकजुट करने का सन्देश भी दे रही है, राज्य के सभी बड़े कांग्रेसी नेता इस यात्रा में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले विपक्षी कांग्रेस की ये कोशिशें  लगातार अपनी तीसरी पारी पूरी करने जा रही सत्ताधारी पार्टी के लिये चुनौती साबित हो सकती हैं. इस बीच मध्यप्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रप आपस में किसी एक चेहरे पर सहमत हो जाते हैं तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावनाओं पर विपरीत असर पड़ना तय है .

बहरहाल तमाम चुनौतियों के बावजूद शिवराज सिंह चौहान का का कद  लगातार बढ़ा है. लेकिन कद के साथ मंजिल भी बड़ी हो जाती है यह तो भविष्य ही तय करेगा कि आने वाले सालों में वे और कौन से नए मुकाम तय करेंगें. फिलहाल उनका लक्ष्य 2018 है जिसमें अगर उनकी जीत होती है तो फिर यह एक नया कीर्तमान होगा और इसका असर भाजपा की अंदरूनी राजनीति पर भी पड़ेगा.

___________

 परिचय – :

 जावेद अनीस

लेखक , रिसर्चस्कालर ,सामाजिक कार्यकर्ता

  लेखक रिसर्चस्कालर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, रिसर्चस्कालर वे मदरसा आधुनिकरण पर काम कर रहे , उन्होंने अपनी पढाई दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पूरी की है पिछले सात सालों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़  कर बच्चों, अल्पसंख्यकों शहरी गरीबों और और सामाजिक सौहार्द  के मुद्दों पर काम कर रहे हैं,  विकास और सामाजिक मुद्दों पर कई रिसर्च कर चुके हैं, और वर्तमान में भी यह सिलसिला जारी है !

 जावेद नियमित रूप से सामाजिक , राजनैतिक और विकास  मुद्दों पर  विभन्न समाचारपत्रों , पत्रिकाओं, ब्लॉग और  वेबसाइट में  स्तंभकार के रूप में लेखन भी करते हैं !

 Contact – 9424401459 – E- mail-  anisjaved@gmail.com C-16, Minal Enclave , Gulmohar clony 3,E-8, Arera Colony Bhopal Madhya Pradesh – 462039.

 Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC  NEWS.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here