शिव कुमार झा टिल्लू की कविताएँ

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शिव कुमार झा टिल्लू की कविताएँ 

1 किरण

एक बार तो बनकर आती नवल श्रद्धा की भोर किरण
तन से पूजन मन से अर्पण ना चाहत की शोर किरण
प्रतिक्षण स्नेहिल मन से देखा
लेशमात्र ना स्वार्थ की रेखा
किस रूप लिए इस हिय में आयी
मन ने भी ना आभा दिखलायी
स्वार्थी जहान में विचरण करता स्नेह सुमन पुरजोर किरण ..
कांति को भूला पर भ्रान्ति नहीं है
थका तन पर विश्रांति नहीं है
जहाँ मोह वहीं पर आशा
दर्शन मात्र एक प्रत्याशा
आत्मश्रद्धा उत्ताप बन निकला ना अंतःकरण में चोर किरण …
किरण स्वयं तापों से जलता
परहित साधन आग उगलता
किसी दिवस ना जग को छलता
कुछ पाने को ना हाथेँ मलता
हरित पुंज लिए बनो मयूरी मैं बादल रूपक एक मोर किरण ….

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2  यह शून्य यहां साकार कौन

यह शून्य यहां साकार कौन
सत्य सबल जहां निरंकार मौन
उसके सामने सब घटती है
अबला की अस्मत लुटती है
शील चरित का कैसा दर्शन
जब वही करे मर्दित यौवन
साधन का कोई योग कहाँ
सकर्मक के लिए भोग कहाँ
संज्ञानी मुक्ति का करे प्रयास
त्रिकुटी पर भी बन्दर निवास
त्रेता युग में वे चंचल थे साधक
प्रभु प्रेम में बने असुर के बंधक
आज राम सदृश नहीं चिंतक
निजस्वार्थ देश हित पर बाधक
ऐसे आर्यभूमि पर क्या करना
दुःख लेप नवल पीड़ा गहना
मूर्खों के दुःशासन को सहना
राशन नहीं पर भाषण सुनना
बातों से कैसे बने रोटी -भात
अष्टयाम निर्बलों के लिए रात
पर सोये तो सोये कहाँ कैसे
काटे असुरी काल जैसे तैसे

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3 ओ नभ के ललचाते बादल !

रहा नहीं अब अर्णव कलकल
बचे खुचे केवल उष्मित जल
अब भी तो चंद बूँदें बरसाओ
ओ नभ के ललचाते बादल !
कलुष घनेरे दिव्य रूप को
दिखादिखा क्यूँ तुम तरसाते
हिय से धरती है शीश झुकाई
काश ! खलक को क्षीर पिलाते
सारे प्यासे अंतिम आश लगाए
करो धरिणी को तत्क्षण शीतल !
रौद्र ना देखा था शक्तिमान का
ध्यान धरो जड़ चेतन मलान का
प्रकृतिप्रदत्त यह सम्बल तेरा
ख्याल करो चल -अचल प्राण का
मैं भोगी हूँ ना निरापद योगी
परिजन के दुःख से आँखें छलछल
उचित नहीं अब तेरा अछोह यह
गहन ग्रीष्म ने लिया देह मह
जब सबकी श्वास निकल ही जाए
तो किसे लुभाये तेरी बूँदें महमह
अब ना करूँगा इहलोक को दूषित
आत्म शपथ लेता मानव सम्बल

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4 वो सुनहरे पल

कितने सुखद अनुभूतियों के क्षण थे
वो सुनहरे पल
जो कब के बीत गए
मात्र चंद स्मृतियों के सहारे
अनुभूतियों   हवनकुंड में ढूंढ रहा हूँ
उन खुशियों के तादात्म्य को
किंचित ! मिल जाता   एक बार फिर
नेनपन का  वह स्वछन्द जीवन
ग्रीष्म के  तमस में भी कहाँ   थी जरुरत  ?
पसीने से लदबद उस बाल शरीर को
शून्य के इर्द गिर्द के तापमान की !
ककरहा के कटी डालियोंवाले
वटवृक्ष के सानिध्य में ही अनुभव करता था
वातानुशीलन का !!
गाँव का वह स्नेही वातावरण …
दूसरे के बगीचे का सिनुरिया रसाल कितने भी तोड़ो
बदले में मिलते थे  मात्र क्षणिक डाँटें
सारे लोग  तो अपने जैसे  थे
मात्र कथाकथितअंकल आंटी नहीं
आत्मिक चाचा -चाची
शहरी जीवन में वह आनंद कहाँ
आज सब कुछ है
पता नहीं फिर भी क्यों ढूंढ रहा हूँ ?
वह बीता हुआ पल
जहाँ  अभावों की  आँधियाँ भी नहीं डिगा पाती थी
अपनी माटी की सुवासित सिनेही गंधों को
महज नहीं सहज है यह  मातृप्रेम
तभी तो अभी भी जब चंददिनों के प्रवास के बाद
विदा लेता हूँ अपनी पितृभूमि से
स्वतः छलक जाते हैं आंसुओं की बूँदें !!!!!!!!!!

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5 सोनालिका

न कतिपय परिपक्व न ही बालिका
ना विश्रान्तिस्वरूपा ना ही कालिका
अलौकिक सौंदर्य में छिपी हुई हो तुम ,
सुशीतल सुरभित- अनुपमा सोनालिका
कोमल कांति की गाथा कैसे सुनाऊँ
साध्य सबल लेखनी के गुण कैसे गाऊँ
धवल भाव की घनहरी बादलों में
नवल छंद की तुम हो जालिका !!!
ना एक सीमित आवरण तल
विराट छाया शिल्पी सम्बल
नन्हे तर्जनी को अंगुष्ठ दबाये
सर्जक बना तेरा हस्त कोमल
उस कल्प दृश्य को स्वहृदय संयोगे
तेरे मादक रूप तुझी से कैसे सुनाऊँ
मात्र इतना कह सकता मैं काश !
तुम बन पाती इस स्नेही की पालिका …
सदा बंधी रहो अपने कर्म बंधन
सत्य धर्मिणी कर्मिणी नेह-रंजन
वही सत्य यहाँ व्यर्थ अभिव्यंजन
अब ना करूँगा यह नाद -गुंजन
दाराधर्म सृजनशक्ति कर्मित
गुणसत्य पर निजनेह कैसे दबाऊँ..
छोड़ों यथार्थ-पर स्वप्निल जीवन में
तुझे ह्रदय लगाऊँ हे ” स्वप्नमालिका “!!!!!!!!!

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shiv-kumar-jha-ki-kavitaenSHIV-KUMAR-JHAशिव-कुमार-झा-टिल्लूपरिचय -:

शिव कुमार झा टिल्लू

कवि ,आलोचक ,लेखक

शिक्षा : स्नातक प्रतिष्ठा,: स्नातकोत्तर , सूचना- प्राद्यौगिकी साहित्यिक परिचय : पूर्व सहायक संपादक विदेह मैथिली पत्रिका (अवैतनिक )

सम्प्रति – : कार्यकारी संपादक , अप्पन मिथिला ( मुंबई से प्रकाशित मैथिली मासिक पत्रिका ) में अवैतनिक कार्यकारी संपादक साहित्यिक

उपलब्धियाँ : प्रकाशित कृति १ अंशु : मैथिली समालोचना ( 2013 AD श्रुति प्रकाशन नई दिल्ली २ क्षणप्रभा : मैथिली काव्य संकलन (2013 AD श्रुति प्रकाशन नई दिल्ली )इसके अतिरिक्त कवितायें , क्षणिकाएँ , कथा , लघु-कथा आदि विविध पत्र -पत्रिका में प्रकाशित

सम्प्रति :जमशेदपुर में टाटा मोटर्स की अधिशासी संस्था जे एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत

 संपर्क -: जे. एम . ए. स्टोर्स लिमिटेड ,मैन रोड बिस्टुपुर  ,जमशेदपुर : ८३१००१
फ़ोन  – : ०९२०४०५८४०३, मेल : shiva.kariyan@gmail.com

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