कंप्यूटर में लैक्सिकल, सीमेंटिक एवं सेंटीमेंट एनालिसिस के लिए सर्वोत्तम है संस्कृत

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आगामी काल की वैज्ञानिक खोजो में  लैक्सिकल, सीमेंटिक, एवं सेंटीमेंट एनालिसिस एवं कंप्यूटिंग में संस्कृत एक सर्वोत्तम भाषा के रूप में स्थापित हो सकती है : डॉ डीपी शर्मा

आई एन वी सी न्यूज़
नई  दिल्ली ,

कोविड-19 महामारी काल में संस्कृत शिक्षा -इस विषय में आयोजित 3 दिवसीय  अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का आयोजन 2 अगस्त.2021 को  किया गया। इस सत्र में डॉ डीपी शर्मा अंतरराष्ट्रीय कीनोट स्पीकर के रूप में उपस्थित थे।  डॉ श्री कालिका प्रसाद शुक्ला द्वारा वैदिक मंगलाचरण, प्रोफेसर श्री नागेंद्र नाथ झा महोदय द्वारा अतिथि स्वागतं, प्रोफेसर श्री श्री गोविंद पांडे महोदय द्वारा प्रस्ताविक किए गए।

विशिष्ट अतिथि एवं कीनोट स्पीकर के रूप में प्रोफेसर डीपी शर्मा (अंतरराष्ट्रीय आईटी परामर्शक यूनाइटेड नेशंस) उपस्थित रहे। डॉ शर्मा ने कहा कि आगामी काल की वैज्ञानिक खोजो में  लैक्सिकल, सीमेंटिक, एवं सेंटीमेंट एनालिसिस एवं कंप्यूटिंग में संस्कृत एक सर्वोत्तम भाषा के रूप में स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर के अंदर जिस प्रकार सिर्फ योगफल से सारी प्रक्रियाएं होती हैं वही प्रक्रिया हमारे वैदिक मैथमेटिक्स में थी जिसको कंप्यूटर डिज़ाइनर ने भारतीय ज्ञान से लिया। आगामी काल में संस्कृत विद्वानों के लिए अनिवार्यता होनी चाहिए एवं वैज्ञानिक एजेंसियों में भी संस्कृतज्ञों की आवश्यकता होगी।

अतिथि के रूप में प्रोफेसर श्री सुब्रमण्यम शर्मा महोदय उपस्थित रहे। शर्मा ने अपने उद्बोधन में संस्कृत का इस काल में महत्व के विषय में प्रकाश डाला। नई शिक्षा नीति में संस्कृत के महत्व के बारे में कोविड-19 काल में संस्कृत अध्ययन अध्यापन किस प्रकार परिवर्तित होना चाहिए और किस प्रकार परिवर्तित हुआ है इस बारे में भी कहा गया। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम का जो भी आउटकम होगा उसको क्रियान्वित करने में प्रयत्न करेंगे।

मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश कामत महोदय( अखिल भारतीय संगठन मंत्री, संस्कृत भारती) उपस्थित रहे ।उन्होंने अपने उद्बोधन में संस्कृत शिक्षा ऑनलाइन माध्यम से चल रहे हैं, और विभिन्न राज्यों में संस्कृत के परिस्थिति के बारे में बताया। कोविड-19 के पहले संस्कृत का क्या अवस्था था और कोविड-19 काल में संस्कृत का क्या अवस्था है एवं कोविड-19 के बाद संस्कृत का क्या अवस्था रहेगा इस विषय में भी प्रकाश डाले। आधुनिक तंत्रज्ञान में संस्कृतज्ञों का योगदान की विषय में भी उन्होंने बताया। ऑनलाइन माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक संस्कृत भाषा पहुंचाने का परिश्रम आवश्यक है और चल रहा है- उन्होंने कहा। आगामी काल में संस्कृत विषय की आवश्यकता के बारे में भी प्रतिपादित किए। अध्यक्षीय उद्बोधन प्रोफेसर जे. भानुमूर्ति महोदय (निदेशक ,CSU,भोपाल परिसर) के द्वारा किये गये। उन्होंने अपने उद्बोधन में शिक्षण प्रक्रिया में स्वाध्याय और प्रवचन का किस प्रकार इस अवस्था में प्रयोग हो रहा है -इस विषय में प्रकाश डाले।

धन्यवाद ज्ञापन में परिसर आचार्य ने कहा इस कोरोना काल में हो रहा उत्तम परिवर्तन के विषय में और बाधाओं के विषय में चर्चा होना चाहिए इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है और इन अध्ययनों के आधार पर संस्कृत शिक्षा में परिवर्तन लाने का प्रयास करेंगे। इसके साथ उद्घाटन समारोह का समाप्ति की गई। सत्र के संचालन डा. दाताराम पाठक जी ने किये।

सह-समन्वयक डा दाताराम पाठक, डा कृष्णकांत तिवारी एवं सह संयोजक डॉ डम्बरुधर पति एवं डॉ रमणमिश्र त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय गोष्ठी की पूर्णव्यवस्था के साथ कार्य देख रहे हैं।

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