रुद्राक्ष  और कुंडली दोष 

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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास को पुण्य प्राप्ति का मांस माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं यह मास भगवान शंकर को अधिकतम प्रिय होता है जिस कारण इस तरह भगवान शंकर अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसाते हैं पूजा से बड़े-बड़े रोगों से भी मुक्ति मिलती है। ज्योतिष उपाय करने से व्यक्ति अपनी जन्म पत्रिका में बड़े बड़ों से राहत पा सकता है ऐसे ही कुछ उपाय बताने वाले हैं आपकी कुंडली में दोष खत्म हो सकते हैं।

दरअसल भगवान शंकर की आराधना में रुद्राक्ष का अधिक महत्व बताया गया है। कहते हैं कि इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के शुरू से हुई थी जिस कारण इस को पूजनीय माना गया है। रुद्राक्ष एक से लेकर 14 मुखी तक पाए जाते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष को लेकर गोदंती प्रचलित है कि यह अत्यंत दुर्लभ होने के साथ-साथ साक्षात भगवान शंकर का प्रत्यक्ष रूप कहलाता है। यही कारण है कि इससे जुड़े उपाय उसकी पूजा करने से लाभ प्राप्त होते हैं। तो चलिए जानते हैं कि रुद्राक्ष को सावन मास में धारण करने से व्यक्ति को अपनी कुंडली के कौन से दोषों से राहत मिलती है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक योग हो उसे इससे मुक्ति पाने के लिए 11 मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।

जिस किसी की कुंडली में ग्रहण योग हो उसे दो एवं 8 मुखी रुद्राक्ष का लॉकेट धारण करना चाहिए।

कोई व्यक्ति अगर केमद्रुम योग से पीड़ित हो तो उसे इस से राहत पाने के लिए 13 मुखी रुद्राक्ष चांदी में धारण करके पहनना चाहिए।

शकट योग से ग्रस्त हो तो इस की शांति के लिए 10 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।

जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे 8 या 9 मुखी रुद्राक्ष का लॉकेट बनवाकर पहनना चाहिए।

इसके अतिरिक्त अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चांडाल दोष हो तो उसे इस की शांति के लिए 5 या 10 मुखी रुद्राक्ष का लॉकेट बनवाकर धारण करना चाहिए। PLC.

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