धर्म और हत्यारों का महिमामंडन

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– निर्मल रानी –

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की 4 जनवरी 2011 को हत्या  करने वाले उन्हीं के अंगरक्षक मुमताज़ कादरी के पक्ष में जिस समय पाकिस्तान की कट्टरपंथी विचारधारा के लोग बड़ी संख्या में दिखाई दिए उस समय उदारवादी जगत के लिए निश्चित रूप से यह एक चिंता का विषय बना कि आिखर इस्लाम धर्म में इस बात की गुंजाईश कहां है कि समाज का एक वर्ग किसी बेगुनाह व निहत्थे व्यक्ति के हत्यारे के पक्ष में खड़ा हो जाए? और वह भी  ऐसे हत्यारे पुलिसकर्मी के पक्ष में जिसने कि मकतूल व्यक्ति की सुरक्षा का जि़म्मा भी उठा रखा हो? परंतु पूरे विश्व ने यह तमाशा देखा कि सलमान तासीर के अंगरक्षक हत्यारे पुलिसकर्मी को पाकिस्तान के कट्टरपंथी तथा धर्म के नाम पर हिंसा को प्रश्रय देने वाले समाज ने अदालत से लेकर उसकी मृत्यु होने तक उसे किस प्रकार महिमामंडित किया तथा उसपर जगह-जगह फूल व पंखडिय़ों की बारिश की गई। हमारे देश में भी इंदिरा गांधी के हत्यारों को उसी प्रकार महिमामंडित करने के प्रयास समय-समय पर होते रहते हैं। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे की हत्यारी मानसिकता के समर्थक भी हमारे देश में भरे पड़े हैं। हद तो यह है कि गोडसे की मूर्ति स्थापना के प्रयास भी कई जगह होते दिखाई दिए। उस हत्यारे के समर्थन में कई संगठन भी कार्यरत हैं जो उसकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करते हैं।

क्या कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को महिमामंडित किया जाना मुनासिब है? क्या किसी भी धर्म व समाज की शिक्षाओं का यही तकाज़ा है कि वे किसी निहत्थे व बेकुसूर व्यक्ति के हत्यारे को महिमामंडित करे तथा उसे किसी विशेष समाज के मध्य आदर्श या हीरो के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करे? क्या दुनिया का अमनपसंद व निष्पक्ष सोच रखने वाला बहुसंख्य समाज ऐसे हत्यारों के महिमामंडन की खबरों को सकारात्मक दृष्टि से देखता है? या ऐसा करने वाले लोग अपने ही धर्म,नैतिकता,मानवता तथा न्याय की खिल्लियां उड़ाते हंै? इस संदर्भ में एक सवाल यह भी है कि हत्यारों को महिमामंडित किए जाने का सिलसिला देश का भविष्य समझे जाने वाले नवयुवकों पर आिखर क्या प्रभाव छोड़ेगा? 28 सितंबर 2015 को दिल्ली के निकट दादरी क्षेत्र में गौमांस रखने के नाम पर भीड़ द्वारा घर में घुसकर की गई अखलाक अहमद की हत्या के बाद हत्यारों को महिमामंडित किए जाने का सिलसिला एक बार भारतवर्ष में पुन: शुरु होता दिखाई दिया। सत्तारूढ़ दल के कई मंत्री,सांसद तथा विधायक, मोहम्मद अख़लाक के हत्यारे की पैरवी करते नज़र आए यहां तक कि जब उनमें से एक हत्यारोपी की मौत हो गई तो उसकी लाश एक मंत्री की उपस्थिति में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में भी लपेटी गई। आिखर किसी हत्यारोपी को इस विशेष एवं अतिरिक्त सम्मान दिए जाने की वजह क्या है? ऐसे अनैतिक,अधार्मिक तथा गैरकानूनी महिमामंडन हमारे देश के युवाओं तथा बच्चों को क्या संदेश देंगे?

दुनिया का कोई भी धर्म व उसके वास्तविक संस्कार किसी भी बेगुनाह,कमज़ोर,निहत्थे व्यक्ति पर आक्रमण करने या उसकी हत्या करने की सीख नहीं देते। धर्मपरायण समाज का तो यही कर्तव्य है कि वह कमज़ोर,मज़लूम,असहाय तथा बेगुनाह व्यक्ति के पक्ष में खड़ा हो और उसकी मदद करे। परंतु ऐसा लगता है कि धर्म के नाम पर अब चारों ओर अधर्म का ही बोलबाला होता जा रहा है और धर्म के नाम पर अधर्म,उन्माद व अमानवीयता की पताका फहराने की कोशिश की जा रही है। पिछले दिनों एक ऐसा ही दृश्य राजस्थान के जोधपुर शहर में रामनवमी के अवसर पर देखने को मिला। गत् वर्ष राजस्थान के राजसमंद में शंभू लाल रैगर नामक एक व्यक्ति ने एक मुस्लिम समुदाय के मज़दूर की हत्या कर दी थी तथा उसके शरीर के टुकड़े कर उसे जलाने का प्रयास भी किया था। शंभू के ही एक सहयोगी ने इस पूरे वीभत्स कृत्य की वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर भी डाल दिया था। इस घटना के पश्चात जहां देश का सभ्य समाज इस पूरी घटना की निंदा कर रहा था वहीं शंभु लाल रैगर नामक हिंसक प्रवृति के व्यक्ति के पक्ष में भी तमाम लोग आ खड़े हुए। उसके समर्थन में जुलूस निकाले गए तथा उसके उपद्रवी समर्थकों ने तो जोधपुर की सत्र न्यायालय के मुख्य भवन पर भगवा ध्वज तक फहरा दिया। किसी हत्यारे के समर्थन में जनता का इस प्रकार सडक़ों पर निकलना तथा पुलिस के साथ जगह-जगह धक्कामुक्की करना व अनुशासन भंग करने की कोशिश करना लगभग वैसा ही था जैसा पाकिस्तान में मुमताज़ कादरी के समर्थकों द्वारा किया जा रहा था और भारत जैसे दुनिया के तमाम देश  हत्यारे के महिमामंडन के उस घृणित प्रयास की निंदा कर रहे थे।

बड़े अफसोस की बात है कि गत् रामनवमी जैसे पावन दिवस के अवसर पर जबकि पूरा देश भगवान राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम महापुरुष को याद करता है,उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेता है, उनके त्याग,बलिदान तथा प्राणियों के प्रति उनके सद्भाव के िकस्सों को याद करता है ऐसे पावन जुलूस में जोधपुर में एक ऐसी झांकी भी निकाली गई जिसमें एक व्यक्ति को शंभू लाल रैगर के रूप में दिखाय गया था। इस झांकी में बैठा व्यक्ति उसी वेशभूषा में था जो हत्या के समय शंभू रैगर ने पहनी हुई थी। इतना ही नहीं उस व्यक्ति के हाथ में लोहे का एक रॉड भी था। अनेक लोग जुलूस में चलते हुए उस झांकी पर चढक़र शंभू की भूमिका अदा करने वाले उससे मिलते-जुलते व्यक्ति के चरणों में अपना शीश भी झुका रहे थे। इस झांकी पर ‘लव जेहाद से देश को आज़ाद कराना चाहिए’ जैसे नारे भी लिखे गए थे। झांकी पर लगे बैनर में भी कुल्हाड़ी व बेलचा जैसा हथियार छापा गया था। अब ज़रा कल्पना कीजिए कि कहां तो रामनवमी से संबंधित शोभा यात्रा अथवा जुलूस में देवी-देवताओं की झांकियां निकाली जाती हैं। ऐसी झांकियां निकाली जाती हैं जिससे समाज को कुछ सकारात्माक संदेश मिले व प्ररेणा हासिल हो। और कहां अब शंभू लाल रैगर जैसा अनपढ़,अशिक्षित,कट्टरपंथी तथा हिंसक प्रवृति रखने वाला मानवता का हत्यारा व्यक्ति अब हमारे लिए एक ऐसा आदर्श युवक बन चुका है जिसके नाम के जयकारे लगाए जा रहे हैं तथा जिसके चरणों पर लोग दंडवत होते देखे जा रहे हैं?

इस प्रकार के दुष्प्रयासों को बहुत बारीकी से समझने की ज़रूरत है। मुमताज़ कादरी से लेकर शंभु लाल रैगर तक के हत्यारों के पीछे दरअसल कुछ ऐसी राजनैतिक शक्तियां सक्रिय रहती हैं जो ऐसे हत्यारों तथा मानवता विरोधी चेहरों को सामने रखकर समाज में विघटन पैदा करना चाहती हैं। हकीकत तो यह है कि न तो मुमताज़ कादरी जैसा हत्यारा इस्लाम धर्म का ‘आईकॉन’ हो सकता है न ही गोडसे या शंभू रैगर जैसे हत्यारे हिंदू धर्म के लिए आदर्श पेश करने वाले कहे जा सकते हैं। भगवान राम के जीवन का कोई भी प्रसंग ऐसा नहीं है जो शंभू लाल रैगर के घृणित कारनामों को जायज़ ठहरा सके। परंतु गरीबी तथा बेरोज़गारी से तंग नवयुवकों को भ्रमित करने का सत्ता के पास यही एक उपाय है कि वह उन युवाओं को धार्मिक उन्मादों में उलझाए रखे जो सत्ता से रोज़गार,गरीबी,शिक्षा,स्वासथय तथा मंहगाई जैसे जीवन से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण विषयों पर सवाल करते हैं। अन्यथा धर्म,नैतिकता,मानवता तथा न्यायप्रिय सोच कभी भी इस बात की इजाज़त नहीं दे सकती कि किसी नृशंस हत्यारे का महिमामंडन किया जाए।

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परिचय –:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क -:
Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 4003
Email :nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

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