आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की व्यापकता और भारत के कदम

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लेखक कल्याण शर्मा
लेखक कल्याण शर्मा

Article By
Kalyan Sharma
IT specialist

डिजिटल होती दुनिया , तकनिकी के बदलते स्वरूप और इंटरनेट और कंप्यूटर की बढ़ती पहुंच ने दुनिया को जिस तरह से बदला है वह कल्पना से परे है/ जहाँ वर्ष 2007 में देश की महज 4% आबादी इंटरनेट का उपयोग कर पा रही थी वहीं आज  आधे से ज्यादा  आबादी के  दायरे में  इंटरनेट की पहुंच है / यह वर्ष 2025 तक एक बिलियन उपयोगकर्ताओं तक  पहुँच जाने की उम्मीद है/;सरकार के “डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम ने इंटरनेट को गावों – गावों, घरो – घरों तक पहुंचाकर  चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए द्वार खोल दिए हैं/ यूं तो पहली औद्योगिक क्रांति का जन्म जल व भाप की शक्ति से हुआ, दूसरी विद्युत ऊर्जा से, तीसरी क्रांति वर्तमान में चल रही इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रोद्योगिकी जनित है । इस पूरे परिदृश्य में कृत्रिम बुद्धिमता चौथी औद्योगिक क्रांति की जनक साबित होती प्रतीत हो रही है।

डिजिटल क्रांति के बदलते स्वरूप और बढ़ती  व्यापकता ने  कृत्रिम बौद्धिकता, मशीन-लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन और बिग डाटा जैसी तकनीक को न केवल जन्म दिया है बल्कि उसे इस तरह सहेजते हुए सक्षम बनाया है कि वह न केवल आज देश की प्रगति में यह अहम रोल अदा कर रही है बल्कि अतुल्य क्षमताओं को जन्म भी दे रही है। एक अनुमान के आधार पर वर्ष 2035 तक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी जनित’ गतिविधियाँ’ से देश की आर्थिक संवृद्धि में लगभग 3 प्रतिशत की हिस्सेदारी संभावित है ।

कृत्रिम बौद्धिकता  की आवश्यकता व इसके बढ़ते प्रभाव ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, और  दुनिया के कुछ अग्रणीय राष्ट्रों ने इस दिशा में पहल करते हुए वर्ष 2020  में “कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI)” एक मंच बनाया है जिसके संस्थापक राष्ट्रों में भारत सहित कुल 15 देश हैं। इतना ही नहीं भारत द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 की अध्यक्षता संभालने के बाद अब वर्ष 2022-23 के लिये “कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI)” की अध्यक्षता भी भारत को सौंपी गई है|  GPAI का मुख्य उद्देश्य विज्ञान, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक मंच पर एक साथ लाकर कृत्रिम बुद्धिमता पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग व  सुविधा प्रदान करवाना  है ।

यद्यपि इस क्षेत्र में भारत वैश्विक मंच पर तो अग्रणीय भूमिका निभा ही रहा है साथ ही साथ देश में इसे सुदृढ़ बनाने के लिए भी कृत संकल्पित है। इस दिशा में वर्ष 2018 नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए इस राष्ट्रीय रणनीति की घोषणा  की है। इस रणनीति के तहत  नीति आयोग द्वारा मुख्यतः तीन घटक निर्धारित किए गए हैं जो भारत के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें ये घटक है :-
1. ‘ग्रेटर गुड’ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता : सामाजिक विकास और समावेशी विकास। 2. अवसर : भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता
3. विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’।

इस क्षेत्र में सरकार द्वारा किये गए प्रयासों में  ‘सामाजिक सशक्तिकरण के लिये ज़िम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता 2020 (RAISE 2020)’ नामक एक मेगा वर्चुअल समिट का आयोजन जिसका उद्देश्य भारत में सामाजिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के उपयोग को अधिक से अधिक बढ़ावा देना था। ‘युवाओं के लिये जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम’ का  शुभारंभ इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के ग्रामीण शहरी तथा दूर सुदूर के क्षेत्रों में निवास करने वाले समस्त भारतीय युवाओं को ऐसे अवसर प्रदान करना है। भारत सरकार व संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त तत्वाधान में   ‘यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहल’ (USIAI) का शुभारंभ किया गया है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करना है। सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय एवं  माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने  एक समझौता ज्ञापन पर अभी हाल में हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य एकलव्य मॉडल वाले आवासीय विद्यालयों (EMRS) और आश्रम विद्यालयों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन से नवाचार लाना है। भारत के ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) ने  ‘दक्ष’ (Daksh) रोबोट तैयार कर  मानव जीवन के लिए घातक सिद्ध होने वाली वस्तुओं को नष्ट करने में सक्षमता भी अर्जित की है ।

 

इसके अतिरिक्त एक सर्प रोबोट का भी निर्माण किया है। इस  रोबोट के निर्माण का उद्देश्य आपदाओं के दौरान बचाव दलों को सहायता प्रदान करना है।  ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (IISc) बेंगलुरु (कर्नाटक ) के शोधकर्ताओं ने एक ‘कृत्रिम पत्ती’ (Artificial Leaf) का विकास किया है। यह पत्ती प्राकृतिक पत्ती की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में अधिक सक्षम है । यह कृत्रिम पत्ती कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की दृष्टि से प्राकृतिक पत्ती की तुलना में  लगभग 100 गुना अधिक दक्ष है। इसका उपयोग हरित गृह प्रभाव को कम करने की दिशा में यह तुरुप का पत्ता साबित होगा और इससे पृथ्वी के निरंतर बढ़ते हुए तापमान को नियंत्रित किया जाना सुगम और कारगर हो सकेगा। ग्लोबल वार्मिंग जैसे तात्कालिक मुद्दों के निवारण में भी यह उपयोगी सिद्ध होगा ।

 

इसके अलावा भारतीय रेलवे की एक शाखा ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन’ (IRCTC) लिमिटेड ने रेल यात्री के खान पान की सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में  ‘आस्कदिशा’ (ASKDISHA) नामक चैटबॉट का विकास किया है। इस प्रकार इस सारे वैज्ञानिक एवं तकनीकी परिदृश्य से भारत की छवि न केवल एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगी बल्कि भारत विज्ञान के माध्यम से सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनुकरणीय रोल अदा करने में सक्षम होगा।



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