सेंधमारी की सियासत

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– संजय स्वदेश  –

amit-shah,sonia-ganghi,nareलोकतंत्र की आत्मा पक्ष-विपक्ष, सहमति-असहमति से सिंचित होती है. केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने जिस तरह से कुछ खास मौके पर विपक्ष के गैर कानूनी इरादों या यूं कहें कि कथित गैर कानूनी कृत्यों पर सरकारी तंत्र के माध्यम से प्रहार कर रही है, उससे यह दुविधा हो गई है कि लोकतंत्र की आत्मा मजबूत हो रही है या कुचली जा रही है. ताजा मामला कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है और इसी प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डी के शिवकुमार के दर्जनों ठिकानों पर आयकर विभाग का है. सरकार की ऐसी एजेंसियों की गतिविधियों पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए तथा ऐसी कार्रवाइयां व्यापक पैमाने पर की जानी चाहिए लेकिन कर्नाटक के जिस रिसॉर्ट को निशाना बनाकर छापा मारा गया है, वहां गुजरात के विधायकों को 8 अगस्त के गुजरात राज्यसभा चुनाव के मद्दे नजर सुरक्षित ठहराया गया था l

राज्यसभा के लिए चुनाव घोषित होते ही कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिये थे और कुछ भाजपा में जा मिले थे. इस गतिविधि को कांग्रेस ने अपने प्रभावी उम्मीदवार अहमद पटेल को राज्यसभा में जाने से रोकने का सत्तारूढ़ पार्टी का इरादा बताया. वहीं भाजपा ने इसे भाजपा ने सामान्य गतिविधि कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की .  गुजरात में पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह के बाद प्रदेश की सियासत में हलचल है. यह हलचल आगामी दिनों में भारी उथल-पुथल में बदल जाए तो आश्चर्य नहीं होगा. लेकिन सवाल यह है कि केंद्रीय सत्ता यह सब कुछ विशेष मौके पर क्यों कर रही है? अबकी बार गुजरात से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजसभा में प्रवेश पाना चाहते हैं. छापे की कार्रवाई तो यही साबित कर रहे हैं कि केंद्रीय सत्ता अमित शाह और स्मृति ईरानी को राज्यसभा में आने की राह में किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है. लिहाजा, विपक्षी का मनोबल तोड़ना और उसमें अस्थिरता पैदा करने के लिए यह हथकंडा गैर लोकतांत्रिक लगने लगा है l

संसद में भारी हंगामा हुआ. सरकार ने कहा कि इसे राजनीति से न जोड़ा जाए क्योंकि यह कानूनी प्रक्रिया के तहत समान्य कार्रवाई है. लेकिन सरकार करे पास इस सवाल का कोई जवाब या स्पष्टीकरण नहीं है कि छापे से पहले की सारी गतिविधियों के मद्देनजर यह समय कार्रवाई के लिए उचित कैसे ठहराया जा सकता है? बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों पर लक्षित छापों का परिणाम क्या जदयू-भाजपा गठबंधन की सरकार के रूप में सामने नहीं आया है?

उत्तराखंड, अरुणाचल में भाजपा द्वारा विधायकों को अपने पाले में करने का खुला खेल सबने देखा. मणिपुर और गोवा में लोकतांत्रिक नियमों व कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर सरकारांे के गठन में  अनावश्यक चुस्ती-फुर्ती क्यों हुई. बिहार में भी नीतीश कुमार के पुर्न सीएम पद की शपथ पांच बजे शाम को तय कर सुबह दस बजे शपथ दिला दिया गया. एक के बाद एक राजनीतिक संकेत यह साबित करते हैं कि केंदीय सत्ता पूरी तरह विपक्ष की सियासत में सेंधमारी कर रही है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो लोकतंत्र की सफलता के लिए मजबूत विपक्ष की बात महज कागजी होगी.

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संजय-स्वदेश1परिचय – :

संजय स्वदेश

वरिष्ठ पत्रकार व विश्लेषक
संजय स्वदेश दैनिक अखबार नव भारत रायपुर  में कार्यरत हैं व्  बिहार कथा के संपादक हैं

बिहार के गोपलगंज जिले के हथुआ के मूल निवासी। दसवी के बाद 1995 दिल्ली पढ़ने पहुंचे। 12वीं पास करने के बाद किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक स्नातकोत्तर। केंद्रीय हिंदी संस्थान के दिल्ली केंद्र से पत्रकारिता एवं अनुवाद में डिप्लोमा। अध्ययन काल से ही स्वतंत्र लेखन के साथ कैरियर की शुरुआत। आकाशवाणी के रिसर्च केंद्र में स्वतंत्र कार्य।

अमर उजाला में प्रशिक्षु पत्रकार। सहारा समय, हिन्दुस्तान, नवभारत टाईम्स समेत देश के कई समाचार पत्रों में एक हजार से ज्यादा फीचर लेख प्रकाशित। दिल्ली से प्रकाशित दैनिक महामेधा से नौकरी। दैनिक भास्कर-नागपुर, दैनिक 1857- नागपुर, दैनिक नवज्योति-कोटा, हरिभूमि-रायपुर के साथ कार्य अनुभव। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के अलावा विभिन्न वेबसाइटों के लिए सक्रिय लेखन कार्य जारी…

सम्पर्क – : मोबाइल-09691578252 , ई मेल – : sanjayinmedia@gmail.com

*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his  own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

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