कविताएँ : कवि मधुसुदन महावर

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कविताएँ

1. Poem –  प्यार का दर्द

पेँड़ से जब कोई टहनी टूटी होगी
तब दर्द पेँड़ को भी हुआ होगा,
तेरी  सांसो की  खुशबू ने,
मेरी रुह तक को छुआ होगा ♥♥

जब-जब तुने मुझे पुकारा होगा,
तेरे उन नाजुक लबोँ ने मेरे नाम को छुआ होगा,
तू ही मेरे दिल में है, तू ही मेरी जान है,
तेरे बिना मेरे दिल का ये दर्द ओर भी गहरा होगा ♥♥

जब-जब मेरी आँखोँ से आंसु आये हैं,
तब-तब तेरी पलकोँ ने भी आंसुओँ को छुआ होगा,
तेरी सांसो की महक में सारा जहान है मेरा
मेरी सांसो की इस आहट को,
तुने भी कभी सुना होगा ♥♥

प्यार का दर्द इतना है की बयान नहीं कर सकता,
पर तुझसे बिछुड़ने का गम जितना मुझे है,
उतना तुझे भी हुआ होगा ♥♥

तेरे बगैर कैसे गुजरता है एक-एक पल मेरा,
तू इन सब से अनजान है,
पर तन्हाई मे तेरी यादो ने जो मेरे दिल को तड़प दी है,
उसका अहसास तुझे भी उतना ही हुआ होगा ♥♥

तेरे बिना मेरी सांसे भी प्यासी है,
इस प्यास का अहसास तेरे हलक तक को हुआ होगा,
मेरी हर सांस हर रग  पे नाम  लिखा है तेरा,
तुने भी कभी चुपके से अपनी किताबों में,
मेरा नाम लिखा होगा ♥♥

मेरा दिल तेरे बिना वीरान है,  बस तू ही एक अरमान है,
मेरी चाहत को तेरी चाहत मिल जाये,
बस यही एक मुकाम है,
तेरे उन नाजुक लबों से मेरी सांसे,
तेरी सांसो को छू जाये,
तभी ये दर्द-ए-दिल हवा होगा ♥♥

जब भी ढूंढेगी तेरी दिलकश नजरे सच्चे प्यार को,
तब तेरी नजरों के सामने बस मेरा ही एक चेहरा होगा,
पर ना जाने उस वक्त तकदीर का,
वो कौनसा पहरा होगा,
हम दोनों हो जायेँगेँ मजबूर और वो,
पल ना तेरा होगा, ना ही मेरा होगा ♥♥

2. Poem – काश ! कहीं ऐसा होता

काश ! कहीं ऐसा होता,
की तेरी मुस्कराहट को देखे बिना ये सुबह ना होती और,
ना ही फिर हमने ये तनहा दिन गुज़ारा होता ♥♥

काश ! कहीं ऐसा होता,
की तेरी घनी जुल्फों की छाँव में हम बैठे होते और,
सूरज को देखे बिना इस ढलती शाम का इशारा होता ♥♥

काश ! कहीं ऐसा होता,
की तू मेरे साथ होती और उस काली रात में चाँद से पहले,
मेरी चाँदनी का दीदार होता,
फिर पूरी रात तेरी बाहों की पनाहों में मेरी ये आँखें,
और ये तड़पता दिल सोता ♥♥

काश ! कहीं ऐसा होता,
की सजदे में तुझे दुआ में मांगते वक़्त,
तेरा भी हाथ मेरे हाथो से जुड़ा होता,
तो खुदा भी मेरी दुआ के इंतज़ार में खड़ा होता ♥♥

काश ! कहीं ऐसा होता,
की सावन की उस रिमझीम बारिश में तेरा आँचल भीगा होता,
और तेरी उन भीगी जुल्फों का क्या दिलकश नज़ारा होता ♥♥

काश ! कहीं इस दिल में मजबूरियों का सागर ना होता,
तो ना ही मैंने कभी देखा किनारा होता,
मैं छीन लाता तुझे दुनिया से,
जो तूने मुझे एक बार भी पुकारा होता ♥♥

काश ! कहीं ऐसा होता,
की तेरे मेहँदी लगे हाथो में दिखाई देता हुआ,
मेरा ही चेहरा होता,
तेरी मांग में मेरे ही नाम का सिन्दूर होता,
तेरी बाहों में मेरी बाहों का हार होता,
मेरी ज़िन्दगी में कभी काली घटाओ का पहरा ना होता,
जो मेरे साथ ये तेरे चाँद से चेहरे सा नूर होता ♥♥

काश ! कहीं ऐसा होता,
की तेरे-मेरे साथ को किस्मत ने ना नकारा होता,
काश ! ये किस्मत ही ना होती,
तो आज तू मेरी होती और मैं तेरा होता ♥♥

3. Poem – ओ रे मनवा !

ओ रे मनवा !
तू क्योँ तड़पता है,
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा,
थोड़ा गम है सबका किस्सा |

किस्मत उससे तंग है,
प्यार के ये कैसे रंग है,
दुनिया का ये कैसा ढंग है |

ये मन का पंछी है,
उड़ता है सांसो के साथ,
जिन्दा हर एक अरमान से,
जानता है कल क्या होगा |

ये ख्वाबोँ का पंछी है जो एक दिन टूट कर गिर जायेगा,
हकीकत के आसमान से |

गिर कर जो उठते हैँ,
वही इंसान हुआ करते हैँ,
पर जो उपर उठकर भी गिरे हुएँ है,
वो बेजान हुआ करते हैँ |

तू क्योँ रोता है,
चाँद भी कभी बादलोँ के पीछे,
अपनी रोशनी खोता हैँ |

बादलोँ को हटने दे,
तूफानोँ को थमने दे,
गमोँ की बारिशेँ ही तो है,
एक दिन रूक जायेगी |

ये खुला आसमान फिर से दिखेगा,
ये मन का पंछी है,
एक दिन फिर से उड़ेगा |

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Madhusudan-Mahawarpoet-Madhusudan-Mahawarpoem-writter-by-Madhusudan-Mahawar,कवि मधुसुदन महावरपरिचय -:
मधुसुदन महावर
लेखक व् युवा कवि

मैं राजस्थान के पुष्कर शहर से हूँ | मैं 3 वर्ष से लेखन कार्य कर रहा हूँ | मैं कविताएँ, शायरियाँ और हिंदी गीत लिखता हूँ |
मैं गीत लिखने के साथ-साथ उन्हें बनाता भी हूँ | मैंने सूचना प्रोधोगिकी में इंजीनियरिंग की है |

संपर्क -:
Add. – In Front Of Ramdwara, Ajmer Road Pushkar. (Raj.)  Mob. – 9413225022  E-mail – ms.mhawar@gmail.com

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