कविता – : मैं सब कुछ देख रहा हूँ…

2
33

 

– कवि  है  …दीपक सेन – 

मैं सब कुछ देख रहा हूँ……

मैं सब कुछ देख रहा हूँ……
सड़को पर बिछी लाश
और खूनमें लिपटी जीवन की आश देख रहा हूँ
मैं सब कुछ देख रहा हूँ
युवाओं के हाथों में तलवार और उसमें चमकती तेजधार देख रहा हूँ
मैं सब कुछ देख रहा हूँ….
ताल है सुखा और उसमें  गोलियों की बौछार देख रहा हूँ
मैं सब कुछ देख रहा हूँ…..
धधकता सूरज आसमान में,मैं मन्दसौर में देख रहा हूँ
मैं सब कुछ देख रहा हूँ…
किसान बैठा धरती पर और जवान लेटा अर्थी पे देख रहा हूँ,
मैं सब कुछ देख रहा हूँ….
काले घुप बादलों से संकट की बरसात देख रहा हूँ….
मैं सब कुछ देख रहा हूँ…

______________

dipak sen, student deepkal senपरिचय-:

 दीपक सेन

छात्र ,युवा लेखक व् कवि

दीपक सेन वर्तमान में मीडिया का छात्र हैं,  माखनलाल विश्वविद्यालय (MCU) से B.A. in mass communication तृतीय वर्ष में अध्ध्यन कर रहे हैं l

संपर्क -:
ईमेल – : deepaksen323@gmail.com

________________
__________________
_______________________

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here