कमल जीत चौधरी की पांच कविताएँ

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कमल जीत चौधरी की पांच कविताएँ 

1.वे लोग

वे लोग
घर में तैरती
मछलियाँ दिखाकर
डल झील सत्यापित करवाना चाहते हैं –
बर्फ को डिब्बों में बंद करके
वे आग लगाना चाहते हैं

2.वह बीनता है

बीच जंगल
खेलता पत्ता
वह बीनता है
मधुमक्खियों का छत्ता
बीच बाज़ार
कल आज कल
वह बीनता है
आलू सब्जी फल
पुल के नीचे
गुजार जीवन पूरा
वह बीनता है
आदमियों का घूरा
वह बीनने वाला
छिनता आदमी
कभी कभी अखबार में
थोड़ी सी जगह छीनता है
भूख से लड़ता
अक्सर परिवार बीनता है

3.रोको इन्हें रोको

घर के
छात्रावास के
कहाँ है लड़के
इतनी रात गए
कलेजा धक रह जाए
माँ बहन दोस्त !
दरवाज़ा तो खोलना
पर बल्ब जला कर
देरी से लौटे पुत्र भाई पति का
चेहरा देखना
उससे पूछना
देरी उसकी आदत क्यों बनती जा रही है
यक़ीनन वह कहेगा
तंग आ गया हूँ बेरोजगारी से
निजी कंपनी की नौकरी से
बेकार की पढ़ाई से
रोज रोज की लड़ाई से …
सो दोस्तों के साथ पार्टी में था
पर देर रात के बिम्ब से
मेरी रूह काँप जाती है
तारों को गाँव कस्बों में छोड़ आईं
घिसी एडियों से चलती लड़कियां भी हैं बाहर
इस महानगर इस महादेश में
देर रात गए
जब आसमान में बादलों की जगह
शगल के छल्ले उड़ रहे हैं
वे लड़ रही हैं
बिना छत वाले एक दड़बे के लिए –
दिन जिनके मुहं पर थूक रहे हैं
समूह बनाने की कुव्वत नहीं उनमें
वे रात को झुण्ड बना लेते हैं
रोको इन्हें रोको
देर रात बाहर जाने रह जाने से
इन्ही के दांत खाते हैं
मेरी माँ बहन दोस्त को रात नहीं खा सकती

4.दांत और ब्लेड -१

दांत सिर्फ शेर और भेड़िए के ही नहीं होते
चूहे और गिलहरी के भी होते हैं
ब्लेड सिर्फ तुम्हारे पास ही नहीं हैं
मिस्त्री और नाई के पास भी हैं.

दांत और ब्लेड -२

तुम्हारे रक्तसने दांतों को देख
मैंने नमक खाना छोड़ दिया है
मैं दांतों का मुकाबला दांतों से करूँगा
तुम्हारे हाथों में ब्लेड देख
मेरे खून का लोहा खुरदरापन छोड़ चुका
मैं धार का मुकाबला धार से करूँगा.

दांत और ब्लेड -३
बोलो तो सही
तुम्हारी दहाड़ ममिया जाएगी
मैं दांत के साथ दांत बनकर
तुम्हारे मुंह में निकल चुका हूँ
डालो तो सही
अपनी जेब में हाथ
मैं अन्दर
बैठा ब्लेड बन चुका हूँ

5.तीन आदमी

एक आदमी
गाँव में है
उसमें शहर है
एक आदमी
शहर में है
उसमें गाँव है
एक आदमी
दिल्ली में है
उसमें दिल्ली है

poems of Kamal jit Chaudhry, Kamal jit Chaudhry writer,writer  Kamal jit Chaudhry,poet  Kamaljit Chaudhry, Kamal jit Chaudhry,writer  Kamaljit Chaudhryकमल जीत चौधरी
शिक्षा :- जम्मू वि०वि० से हिन्दी साहित्य में परास्नातक { स्वर्ण पदक प्राप्त } ; एम०फिल० ; वि० वि० अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त सेटपरीक्षा

लेखन :- २००७-०८ में लिखना शुरू किया

प्रकाशित :- संयुक्त संग्रहों ‘स्वर एकादश’ { स० राज्यवर्द्धन } तथा ‘तवीजहाँ से गुजरती है’ { स० अशोक कुमार } में कुछ कविताएँ , नया ज्ञानोदय ,सृजन सन्दर्भ , परस्पर , अक्षर पर्व , अनहद ,  अभिव्यक्ति , दस्तक ,अभियान , हिमाचल मित्र , लोक गंगा , शब्द सरोकार , उत्तरप्रदेश , दैनिक जागरण , अमर उजाला , शीराज़ा , अनुनाद , पहली बार , बीइंग पोएट , तत्सम ,सिताब दियारा , जानकी पुल , आओ हाथ उठाएँ हम भी , आई० एन० वि० सी० आदि में प्रकाशित

सम्प्रति :- उच्च शिक्षा विभाग , जे०&के० में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत

सम्पर्क :-
गाँव व डाक – काली बड़ी , तहसील व जिला – साम्बा ,जम्मू व कश्मीर { 184121 }
दूरभाष – 09419274403 –  kamal.j.choudhary@gmail.com

4 COMMENTS

  1. bahut badiya kavitaye ,, jitnni bhi baar pddi jaye utnni hi baar kuch nya assar chodati hhh …..aur ye to baat such h ki aapki kavitayo ka koi jbaab nhi ,,,,,,,,ek baar fir kamal jeet choudary ji ko bdaaaiii

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