शख़्सियत : सोच ने बदली “आशुतोष” के खेतों की तकदीर

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ashutosh tiwari,farmar ashutosh tiwari, story of ashutosh tiwariअनिल सिन्दूर
आई एन वी सी न्यूज़
हमीरपुर ,

मौषम की मार झेल रहे किसान “आशुतोष” ने अपनी सोच को नये आयाम दिए और उनके खेतों की तस्वीर ही बदल गयी ! आज इस भयंकर सूखे में भी वो खुशहाल हैं ! यह कमाल उन्होंने वर्षा के पानी को खेत में ही बनवाये तालाब में संचय कर किया है !

उ.प्र. के बुंदेलखंड क्षेत्र के 7 जनपदों में से एक हमीरपुर जनपद मौदहा तहसील के गाँव जिगनौडा के प्रगतिशील किसान आशुतोष ने मौषम के बदलते रुख से अपने खेतों को बंजर होने से बचाने को वेमौषम हो रही वर्षा के पानी को संचय करने का मन बनाया और अपने खेत पर ही तालाब बनाने का दृढ़ निश्चय कर एक हेक्टेयर में एक सौ पचास मीटर लम्बाई, पैसठ मीटर चौड़ाई और आठ मीटर गहराई वाले तालाब को वर्ष 2013-14 में  बनवाया ! तालाब खुदवाने के बाद हुई वर्षा से उनका तालाब लबालब भर गया ! लबालब भरे तालाब ने उनके उत्साह को दुगना कर दिया ! आज उनके खेतों की तस्वीर देखने लायक है ! वह अभी तक दो फसल ले चुके हैं बावजूद इसके उनके तालाब में लगभग चालीस हज़ार घन मीटर पानी उपलब्ध है ! इस बार उन्होंने फसल तो बोई है लेकिन पानी पशुओं के लिए भी बचा के रखा है जिससे इस भयंकर सूखे में गाँव के पशुओं को भी पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सके !


# वर्ष 2013-14 में एक एकड़ जमीन पर बनाया तालाब

# दो फसलें लेने के बाद भी तालाब में 6 मीटर पानी


# 10 गायों के गोबर की खाद का खेतों पर प्रयोग

पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने अपने खेत के 18 वीघे में 3000 पेड़ लगाये हैं जिनमें इमारती और फलदार पेड़ आम, अमरुद, मौसमी, संतरा, सरीफा, बेर, बेल तथा आँवला ,कटहल, सागौन को रोपा है ! इस खेत की फिनिशिंग के लिए 500 पौधे करौंदा के पेड़ भी लगाये हैं ! उन्होंने 10 गायों को खेत पर ही रखने का मन बनाया जिससे उनके गोबर का उपयोग जैविक खाद बना कर खेतों में प्रयोग कर सकें ! उनका मानना है कि जैविक खाद के प्रयोग से जहाँ खेत तो उर्वरक होते ही साथ ही पैदावार भी दुगनी मिलती है जो आम के आम गुठलिओं  के दाम को जैसे मुहावरे को चिरतार्थ करती है ! उनके तालाब में मछलियाँ हैं बतख का जोड़ा भी अठखेलियाँ करता हुआ विचरण करता हुआ दिखता है और अब तो वह उसमें एक नाव भी डालने का मन बना रहे हैं !

प्रगतिशील किसान आशुतोष तिवारी ने बताया कि वर्ष 2013 में मैंने अपने खेत में तालाब बनवाया और उसी वर्ष बारिश भी अच्छी हुई जिससे तालाब में लबालब पानी भर गया जो आज तक भरा हुआ है ! जिन किसानों ने भी उस समय अपने खेत में तालाब खुदवाये थे आज इस भयंकर सूखे में भी अपने खेतों में खेती कर रहे हैं !

बुंदेलखंड में तालाब, बाबड़ी तथा कुओं की परम्परा एक से डेढ़ हज़ार वर्ष चंदेलकालीन है लेकिन बदलते स्वार्थी समाज ने इन्हें बिसरा दिया है ! अगर हमने तालाबों का संरक्षण कर वर्षा के पानी का संचयन किया होता तो आज यह दिन न देखने पड़ते !

अपना तालाब अभियान को गति देने वाले पुष्पेन्द्र भाई का कहना है कि बुंदेलखंड के मौजूदा हालातों में समाज और सरकार के बीच हर सम्भव सामंजस्य, विचार एवं व्यवहार संतुलन की प्राथमिक जरुरत है ! ऐसे संकट में सभी को अपनी सकारात्मक सोच का उपयोग मनोयोग से करना चाहिए ! यह समय एक दूसरे पर दोषारोपण करने का नहीं है और हम सभी को निजी स्तर पर सूखे के समाधान के बारे कदम उठाना चाहिए ! जिगनौडा गाँव के प्रगतिशील किसान आशुतोष ने मिशल कायम की है !

पुष्पेन्द्र जी का कहना है कि सरकार को चाहिए छोटी-छोटी योजनाओं को अनुभवी किसानों के अनुभव से मूर्तरूप दे ! किसानों को खेत पर काम करने का लम्बा अनुभव होता है नहीं होते हैं तो बस संसाधन जिन्हें सरकार जुटाए ! इससे न केवल किसानों को वर्तमान से उबरने और भविष्य को संवारने का रास्ता मिलेगा, बल्कि सुखा-अकाल जैसी विभीषिकाओं से निजत पाने का स्थायी समाधान भी मिलेगा !

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