पाकिस्तान की राजनीति बनी चीनी कंपनियों और निवेशकों के लिए समस्या

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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की पहले चरण के प्रॉजेक्ट्स पर अब भी ग्रहण लगा हुआ हैं। इमरान सरकार अभी तक चीनी कंपनियों और निवेशकों के साथ प्रॉजेक्ट्स में आ रही अड़चनों को दूर नहीं कर सकी है। परियोजनाओं में हो रही देरी के बाद अब पूरे सीपीईसी पर ही सवालिया निशान लगने लगा है। हाल में ही पाकिस्तान चीन रिलेशन स्टियरिंग कमेटी की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें पाया गया कि पाकिस्तान सरकार ने अधिकांश दिशा-निर्देशों को लागू नहीं किया है।बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व फेडरल मिनिस्टर ऑफ प्लानिंग, डेवलपमेंट एंड स्पेशल इनिशिएटिव असद उमर ने की थी।बैठक में शामिल लोगों के मुताबिक, पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय ने संचालन समिति के दिए गए आदेशों को अबतक लागू नहीं किया है। अपनी पिछली बैठक में पाकिस्तान सरकार ने 3,600 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाली पांच सीपीईसी बिजली परियोजनाओं के वाणिज्यिक संचालन शुरू करने में देरी से निपटने के लिए एक नीति तैयार करने के लिए पावर डिवीजन के लिए अगस्त के अंत की समय सीमा तय की थी।
ऊर्जा मंत्रालय को मुद्दे को हल करने के लिए ऊर्जा पर कैबिनेट समिति को नीति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। पाकिस्तानी योजना मंत्रालय के बयान में बताया गया है कि बिजली विभाग ने समिति को सूचित किया कि छह बिजली परियोजनाओं के वाणिज्यिक संचालन की तारीख के विस्तार का प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं। अब इस लेकर अगली बैठक में कोई निर्णय लिया जा सकता है। चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर अब ड्रैगन के गले की फांस बन गया है। अरबों का पैसा लगाने के बाद भी चीन को वह फायदा नहीं मिल रहा है जिसके लिए उसने 60 अरब डॉलर का निवेश किया था। पाकिस्तान में इस लेकर राजनीति भी चरम पर है। वहीं भ्रष्टाचार में डूबे पाकिस्तानी नेता सड़क निर्माण कार्य में कोताही भी बरत रहे हैं। सीपीईसी में 60 अरब डॉलर का निवेश करने के बाद चीन को पूरी योजना पर पानी फिरता दिख रहा है। गिलगित बाल्टिस्तान और पीओके के स्थानीय लोग भी इस प्रोजक्ट के खिलाफ हैं। पाकिस्तान की राजनीति भी चीन के लिए समस्या बनी हुई है। कबायली इलाकों में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमले भी बढ़े हैं। PLC

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