ऐ ‘पाक परस्त’ कश्मीरी नौजवानों…

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–  तनवीर जाफरी –

pakistan-suports-kashmiriधरती पर स्वर्ग समझे जाने वाले कश्मीर में होने वाली सियासत एक बार फिर पूरे उबाल पर है। हालांकि जम्मू-कश्मीर राज्य का घाटी क्षेत्र गत् तीन दशकों से लगभग बेकाबू सा है। परंतु गत् तीन वर्षों से यहां की सियासत कुछ ज़्यादा ही उफान पर है। बावजूद इसके कि भारत सरकार कश्मीर के विकास के लिए अपनी ओर से हर संभव कोशिश करना चाहती है। तरह-तरह की सरकारी योजनाएं केंद्र सरकार की सहायता से वहां शुरु की जा चुकी हैं। बड़े विद्युत उत्पादन केंद्र से लेकर रेल नेटवर्क के विस्तार,नए मार्गों का निर्माण,विश्वस्तरीय आधुनिक सुरंग जैसी महत्वाकांक्षी उपलब्धि तथा इसके अतिरिक्त और भी अनेक ऐसे काम जो कश्मीर की आम जनता की सुविधा तथा उनके लाभ की खातिर किए गए हैं कश्मीरवासियों को भारत सरकार की भेंट स्वरूप हैं। निश्चित रूप से भारत सरकार कश्मीर में विकास कार्य अंजाम देकर कश्मीरवासियों पर कोई एहसान नहीं कर रही है बल्कि जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की ही तरह समझते व मानते हुए देश के शेष राज्यों की तरह यहां भी विकास कार्य करती आ रही है। ऐसे में यदि जम्मू-कश्मीर का कोई भी व्यक्ति भारत सरकार के इन विकास संबंधी कार्यों की अनदेखी करते हुए तथा भारतीय संविधान का मज़ाक उड़ाते हुए पाक परस्ती की बातें करे,राज्य में पाकिस्तान का झंडा लहराए अथवा पाकिस्तान जि़ंदाबाद के नारे लगाए तो यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि वह व्यक्ति अपने देश और धर्म दोनों का ही ग़द्दार है।

कश्मीर की अवाम को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि घाटी के किसी भी क्षेत्र में जब-जब कोई प्राकृतिक आपदा आई है उस समय भारतीय सेना तथा स्थानीय सुरक्षाकर्मियों ने ही वहां के लोगों की जानें बचाई हंै तथा उनकी संपत्ति की रक्षा की है। उस समय पाकिस्तान का कोई एक भी व्यक्ति,नेता,आईएसआई का एजेंट या पाक सेना का कोई अधिकारी कश्मीरवासियों की मदद करने नहीं आया न ही उनकी हमदर्दी में अपने घडिय़ाली आंसू बहाने तक की ज़रूरत महसूस की। ऐसे में यदि कश्मीरी नवयुवक उन्हीं भारतीय सैनिकों के साथ बदसलूकी करेंगे,उनकी वर्दी फाडऩे,उनपर लाठियां बरसाने या उन्हें जूतों से मारने जैसी कायरतापूर्ण हरकत करेंगे, और सेना का जवान हथियारबंद होने के बावजूद उनपर गोलियां न बरसाते हुए अपना अपमान सह लेना गवारा करेगा तो निश्चित रूप से यह स्थिति न तो भारतीय सेना के लिए सहज स्थिति है न ही भारतवर्ष के आम नागरिकों के लिए। वह कश्मीरी नवयुवक जो पाकिस्तान के हाथों बिके हुए अपने स्थानीय नेताओं खासतौर पर हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के बहकाने पर सडक़ों पर उतर आते हैं और सैनिकों पर पत्थरबाज़ी करने लगते हैं उन्हें यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि जो पाकिस्तान उन्हें तथा उनके नेताओं को शह दे रहा है,जो पाकिस्तान कश्मीर की भौगोलिक राजनीति को धर्म,इस्लाम तथा जेहाद जैसी बातों से जोडक़र कश्मीर के युवाओं में भारत के प्रति विद्रोह भडक़ाना चाह रहा है वह पाकिस्तान अपने सीमा क्षेत्र में इस्लाम,मुसलमानों तथा मानवता की रक्षा करने में आिखर खुद कितना सक्षम है?

पिछले दिनों भारतीय सैनिकों को अपमानित करते कश्मीरी युवकों की वीडियो तथा उसके बाद कश्मीरी युवकों की पिटाई करते हुए भारतीय सैनिक के वीडियो व चित्र तथा सेना की जीप में मानव ढाल के रूप में जीप के आगे बांधे गए कश्मीरी युवक का वीडियो देश-विदेश में खूब प्रसारित हुई। इनमें से कोई भी वीडियो या चित्र ऐसा नहीं था जिसे देखकर चैन की संास ली जा सके। कहीं सैनिकों पर ज़ुल्म तो कहीं सैनिकों के ज़ुल्म के चित्र दिखाई दे रहे थे। जब कश्मीर में सैनिकों द्वारा की जाने वाली किसी कार्रवाई की बात होती है तो पाकिस्तान से लेकर हुर्रियत तक तथा कश्मीर में सत्ता का खेल खेलने वाले स्थानीय राजनेता भी मानवाधिकारों की दुहाई देने लगते हैं। ऐसे में यह सवाल उन लोगों से किया जाना लाजि़मी है कि जो लोग भारत में रहकर भारत सरकार की योजनाओं का लाभ तो उठाते हैं,भारतीय सैनिकों की समय-समय पर सेवाएं तो लेते हैं,शिक्षित होकर कभी आईएएस की परीक्षा की टॉपर लिस्ट में उनके नाम सुनाई देते हैं कभी भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते कश्मीरी युवा नज़र आते हैं यहां तक कि कश्मीरी मुस्लिम लडक़ी के भारतीय सेना में पहली महिला पायलेट बनने तक की खबर आती है ऐसे में जब उसी कश्मीर की धरती पर गुमराह किए गए लोगों का एक झुंड पाकिस्तान के झंडे लहराने लगे,आतंकवादियों की हिमायत करे व उनके इशारों पर चलते हुए अवैध हथियारों के साथ सडक़ों पर घूमते हुए भारत सरकार व भारतीय सेना के विरुद्ध विद्रोही तेवर दिखाने लगें ऐसे में उन युवकों के मानवाधिकारों की रक्षा की बात करना कितना जायज़ है?

हालांकि कश्मीर का मुद्दा केंद्र सरकार से जुड़ा एक मुद्दा है। परंतु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कश्मीरी अवाम तथा केंद्र सरकार के मध्य राज्य सरकार की भी अहम भूमिका रहती है। इन दिनों जब से कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी तथा भारतीय जनता पार्टी की संयुक्त सरकार सत्ता में है तब से कश्मीर में अप्रिय घटनाओं का सिलसिला कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है। कमोबेश यही स्थिति भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में भी है। भारत की लाख कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान भारत में अशांति फैलाने की अपनी कोशिशों में कोई कमी बाकी नहीं रहने देना चाहता। कश्मीर तथा कश्मीरियों को लेकर पाकिस्तान द्वारा बहाए जाने वाले घडिय़ाली आंसू भी उसी सिलसिले की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। पाकिस्तानी नेताओं के लिए मसल-ए-कश्मीर एक ऐसी संजीवनी है जिसे चुनाव के समय पाकिस्तानी अवाम के बीच उछाल कर वहां की राजनैतिक पार्टियां लोगों से हमदर्दी हासिल करना चाहती हैं। बड़े आश्चर्य की बात है कि कश्मीरी नवयुवक पाकिस्तान के साथ-साथ पाक अधिकृत कश्मीर के हालात पर भी आिखर नज़र क्यों नहीं डालते? जिस पाकिस्तान जि़ंदाबाद के नारे भारत में लगाए जाते हैं जिस पाकिस्तान के झंडे कश्मीर में बुलंद किए जाते हैं वही नारे और वही झंडे पाक अधिकृत कश्मीर में वहां के कश्मीरवासी बुलंद करने से आिखर क्यों गुरेज़ करते हैं? क्या भारतीय कश्मीर के नौजवानों को यह भी नज़र नहीं आता कि पाक अधिकृत कश्मीर के उन्हीं के भाई-बंधु अब वहां पाक सैनिकों की ज़ुल्म व ज़्यादतियों से इतना तंग आ चुके हैं कि अब वे पाकिस्तान से छुटकारा पाना चाह रहे हैं? पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान ने पर्यट्न से लेकर औद्योगिक विकास के क्षेत्र में सडक़-यातायात,शिक्षा,अस्पताल आदि के क्षेत्र में आिखर अब तक किया ही क्या है?

आज ज़रूरत इस बात की है कि कश्मीर के नौजवान पाकिस्तान के बहकावे में आने के बजाए तथा श्रीनगर में डेरा डाले भारतीयता का केंचुल ओढ़े पाकपरस्त हुर्रियत नेताओं व दोहरे चरित्र वाले सत्ता लोभी रहनुमाओं के बहकावे में आने के बजाए भारत सरकार तथा भारतीय सेना के प्रति विश्वास का वातावरण बनाकर देखें। कश्मीरी युवाओं को यह सेाचना चाहिए कि गत् तीन दशकों से उनकी तमाम विद्रोहपूर्ण कार्रवाईयों के बावजूद भारत सरकार उनके राज्य में विकास कार्यों में कोई कमी नहीं आने दे रही है। ऐसे में जब पूरा कश्मीर भारत सरकार पर विश्वास करेगा तथा दुश्मन देश के भारत विरोधी मंसूबों पर पानी फेरकर एक वफादार भारतीय नागरिक होने का परिचय देगा तो एक बार फिर धरती का यह स्वर्ग वास्तव में स्वर्ग समझा जा सकेगा अन्यथा यह हालात न तो कश्मीर के लिए बेहतर हैं न कश्मीरी अवाम व कश्मीरियत के लिए फायदेमंद हैं।

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tanveer jafriAbout the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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