परमाणु शस्त्र संपन्नता और बेलगाम आतंकवाद का प्रसार

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– तनवीर जाफरी –

nuclear-terrorism,nuclear-tभारत व पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर भारी तनाव नज़र आ रहा है। सीमा पर बढ़ते जा रहे इस ताज़ातरीन तनाव का मुख्य कारण जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र पर स्थित नियंत्रण रेखा के समीप उरी सेक्टर में पाक प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा भारतीय सेना के एक कैंप पर हमला करने के बाद 17 भारतीय सैनिकों का शहीद होना है। गौरतलब है कि गत् तीन दशकों से पाकिस्तान अपने देश में बढ़ती भूख,बेरोज़गारी,मंहगाई,भ्रष्टाचार,जातिवाद तथा आतंकवाद की ओर ध्यान देने के बजाए भारतीय कश्मीर को पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या बताकर पाक अवाम को गुमराह करता रहता है। पाकिस्तान की ओर से कश्मीर के अलगाववादियों की की जाने वाली हौसलाअफज़ाई भी कश्मीर में समय-समय पर फैलने वाली अशांति का मुख्य कारण है। ज़ाहिर है भारत-पाकिस्तान के मध्य दशकों से चले आ रहे इस कश्मीर विवाद का खमियाज़ा कभी कश्मीर की अवाम को भुगतना पड़ता है तो कभी भारतीय सैनिक अथवा कश्मीर में शांति की बहाली व सुरक्षा के लिए तैनान सुरक्षाकर्मियों को भुगतना पड़ता है।

हालांकि भारत व पाकिस्तान के मध्य इसी प्रकार का तनाव एक बार उस समय भी पैदा हो गया था जबकि 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने भारतीय संसद पर दिन-दहाड़े आक्रमण कर दिया था। उस समय भी पूरा देश गुस्से में था और भारतीय सेना अपनी बैरकों से बाहर निकल कर सीमा की ओर कूच कर गई थी। परंतु अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते तथा भारतीय राजनैतिक नेतृत्व की सूझबूझ व दूरअंदेशी की वजह से उस समय का तनाव युद्ध में परिवर्तित नहीं हो पाया। नि:संदेह दो देशों के बीच युद्ध छिडऩे की स्थिति किसी भी देश के आम नागरिकों के लिए अच्छी स्थिति नहीं है। युद्ध जहां किन्हीं दो देशों की कूटनीतिक कमज़ोरियों तथा राजनैतिक अदूरदर्शिता का परिणाम होता है वहीं इसका सबसे अधिक खमियाज़ा युद्धग्रस्त देशों के आम नागरिकों को भी भुगतना पड़ता है। निश्चित रूप से युद्ध की त्रासदी के शिकार युद्धरत देशों के सैनिक भी होते हैं। जान व माल की भारी क्षति तो होती ही है साथ-साथ युद्ध के कारण दोनों ही देश आर्थिक रूप से भी काफी पीछे चले जाते हैं। वैसे भी आज के युग में जिस तरह विज्ञान व टेक्रोलॉजी के क्षेत्र में तरक्की होती जा रही है उसका प्रभाव सैन्य शस्त्रों पर भी पड़ रहा है। आज के दौर के शस्त्र जितने मारक व भयंकर क्षति पहुंचाने वाले हैं वैसे  पहले नहीं थे। यही स्थिति परमाणु शस्त्रों की भी है। आज का परमाणु शस्त्र अब हिरोशिमा व नागासाकी जैसा परमाणु शस्त्र नहीं है बल्कि इसकी तबाही मचाने की क्षमता पहले से सौ गुणा अधिक बढ़ चुकी है। इसीलिए परमाणु शस्त्र संपन्न देश को इस नज़रिए से भी देखा जाता है कि चूंकि यह देश परमाणु शस्त्र संपन्न है लिहाज़ा एक ताकतवर शस्त्रधारी देश होने के नाते न तो वह किसी का ज़ुल्म सहेगा और न ही किसी के ऊपर वह इस हद तक जाकर ज़ुल्म करेगा कि उसे परमाणु हथियार प्रयोग करने की नौबत आए।

परंतु दुर्भाग्यवश हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ परमाणु शस्त्र धारण करने की थ्यौरी कुछ उल्टी ही दिखाई दे रही है। जब से पाकिस्तान ने चीन की सहायता से कथित रूप से परमाणु शस्त्र बनाए हैं तब से पाकिस्तान शांति व स्थिरता के बजाए तबाही व बरबादी की ओर बढ़ता जा रहा है। परमाणु शस्त्र संबंधी परियोजना स्थापित करना किसी साधारण देश के बूते की बात नहीं है। परंतु पाकिस्तान ने अपनी कमज़ोर आर्थिक स्थिति के बावजूद केवल दो उद्देश्यों के मद्देनज़र परमाणु संपन्न होने का मार्ग चुना है। एक तो वह इसी के नाम पर पूरे मुस्लिम जगत पर अपना वर्चस्व जमाने के ख्वाब देख रहा था तो दूसरे यह कि वह भारत को भी आंखें दिखाना चाहता था। परंतु उसके यह दोनों इरादे िफलहाल नाकाम हो चुके हैं। पाकिस्तान परमाणु के मार्ग पर आगे बढऩे के बाद इस कद्र टूट चुका है और आतंकवाद व जातिवाद ने पाकिस्तान में ऐसी तबाही मचा रखी है कि मुस्लिम जगत पर वर्चस्व जमाना तो दूर की बात पाकिस्तान को अपने अस्तित्व को बचाए रखने में भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कहना गलत नहीं होगा कि वहां के शासन से लेकर सेना तक में कट्टरपंथी आतंकी विचारधारा रखने वाले लोगों ने अपनी घुसपैठ बना डाली है। पाकिस्तान में सैनिक ठिकानों से लेकर सैन्य स्कूलों व अन्य कई अति सुरक्षित समझे जाने वाले सरकारी व गैर सरकारी प्रतिष्ठानों पर आए दिन होने वाले आतंकी हमले इस बात का सुबूत हैं।

इतना ही नहीं बल्कि इन्हीं पाक स्थित आतंकियों की बुरी नज़रें अब पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर भी जा टिकी हैं। कभी-कभी इन आतंकी संगठनों के सरगना इन परमाणु शस्त्रों पर कब्ज़ा जमाने की बात भी करते रहे हैं। अमेरिका व ब्रिटेन जैसे कई देश आतंकवादियों की ऐसी धमकियों से भी बाखबर,सचेत तथा चौकस हैं। परंतु हद तो उस समय हो जाती है जबकि पाकिस्तान के जि़म्मेदार लोगों यहां तक कि मंत्रियों तक की ओर से भारत को अपने परमाणु शस्त्रों की धौंस दिखाई जाने लगती है। पहले भी कई बार पाकिस्तान के जि़म्मेदार नेता व सैन्य अधिकारी भारत को यह बताने का दु:स्साहस कर चुके हें कि ज़रूरत पडऩे पर वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। सवाल यह है कि क्या किसी परमाणु शस्त्र संपन्न देश को उसकी गल्तियों के लिए या उसके द्वारा प्रायोजित किए जाने वाले आतंकवाद के लिए बार-बार सिर्फ इसलिए क्षमा कर दिया जाए कि वह परमाणु संपन्न देश है? दुनिया में और भी कई ऐसे देश हैं जो परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। अमेरिका,्िरब्रटेन,फ्रांस,चीन-जापान,भारत पाकिस्तान,इज़राईल तथा उत्तर कोरिया जैसे देश इस सूची में शामिल हैं। परंतु पाकिस्तान के अतिरिक्त कोई भी देश बार-बार परमाणु हथियार चलाने की धमकी नहीं देता। ज़ाहिर है इस प्रकार की धमकियां वहां के आतंकवादी संगठनों व वहां की सत्ता व शासन से जुड़े जि़म्मेदार लोगों की ओर से एक ही स्वर में बोलने का सीधा सा अर्थ है कि पाकिस्तान ने परमाणु शस्त्र शांति के लिए नहीं बल्कि दक्षिण एशिया में अशांति पैदा करने की गरज़ से बनाए हैं।

पाकिस्तान के इस बदनुमा चेहरे की हकीकत अब पूरी दुनिया के सामने ज़ाहिर हो चुकी है। भले ही पाकिस्तान पिछले दिनों नियंत्रण रेखा के समीप उड़ी के एक सैन्य कैंप में हुए हमले के लिए भारत द्वारा पाकिस्तान को जि़म्मेदार ठहराने को गलत साबित करने की कोशिश कर रहा हो परंतु कश्मीर की समस्या को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने के बावजूद पाकिस्तान अपने चेहरे पर लगे आतंक के काले धब्बे को दुनिया की नज़रों से छुपा नहीं सकता। उरी में हुए आतंकी हमले के बाद ही पिछले दिनों अमेरिका के दो सांसदों ने अमेरिकी कांग्रेस में एक बिल प्रस्तुत किया जिसमें पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश घोषित करने की मांग की गई है। इस बिल का नाम ‘पाकिस्तान एस्टेट स्पोंसर्स ऑफ टेरोरिज़्म डेजि़गनेशन एक्ट Óहै।  इस बिल में यह साफतौर पर कहा गया है कि पाकिस्तान न केवल विश्वास करने के काबिल नहीं है बल्कि उसने वर्षों  से अमेरिका के दुश्मनों को पनाह व सहायता दी है। यह बिल पेश करने वाले अमेरिकी सांसदों ने अपनी बातों के समर्थन में पाकिस्तान में ओसामा बिन लाडेन को पनाह दिया जाना तथा हक्कानी नेटवर्क के साथ पाकिस्तान के रिश्ते जैसे और कई प्रमाण गिनाए हैं।

ऐसे में यदि पाकिस्तान केवल भारत पर बार-बार यह दोष मढ़ता रहे कि वह पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए उसपर आतंकवाद को बढ़ावा देने या पनाह देने का इल्ज़ाम लगाता रहता है तो पाकिस्तान के यह आरोप बेअसर साबित हो जाते हें। परंतु इन आरोपों व प्रत्यारोपों के बीच यह सोचना फिर भी ज़रूरी है कि क्या पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियार इस्तेमाल करने जैसी गीदड़ भभकी के डर से भारत पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी हमलों को इसी प्रकार झेलता रहे? क्या वास्तव में पाकिस्तान में इतना साहस है कि वह भारत द्वारा की जाने वली किसी सैन्य कार्रवाई के जवाब में परमाणु शस्त्रों का इस्तेमाल कर सके? और यदि ऐसा होता तो जिस समय कारगिल घुसपैठ में भारतीय सेना पाकिस्तानी घुसपैठियों को ठिकाने लगा रही थी उस समय पाकिस्तान ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का दु:स्साहस क्यों नहीं दिखाया? जो भी हो इस प्रकार के सामूहिक विनाश के हथियारों को इस्तेमाल करने की धमकी देना भी अंतर्राष्ट्रीय अपराध की श्रेणी में ही गिना जाना चाहिए तथा परमाणु संपन्न देशों के शासकों को खासतौर पर पाकिस्तान के सरबराहों को तो यह विशेष रूप से समझ लेना चाहिए कि परमाणु शस्त्र संपन्नता के मायने बेलगाम आतंकवाद का प्रसार व इसका संरक्षण तो हरगिज़ नहीं है?

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tanver-jafriAbout the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address –  1618/11, Mahavir Nagar,  AmbalaCity. 134002 Haryana

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