एनएमसीजी महानिदेशक जी। अशोक कुमार ने कहा कि हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि तब तक यमुना में नहाने लायक पानी हो। साथ ही एक बार जब गंदा पानी नदी में बहना बंद हो जाता है, तो अगला कदम यह होगा कि यमुना में पानी का न्यूनतम प्रवाह बना रहे, जिससे इसकी सफाई सुनिश्चित हो सके। दरअसल यमुना का सिर्फ दो प्रतिशत या 22 किमी दिल्ली में पड़ता है, लेकिन यमुना में 98 प्रतिशत प्रदूषण यहीं से फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्टों या सीवेज के कारण आता है। महानिदेशक ने बताया कि एनएमसीजी यमुना में प्रदूषण के अन्य स्रोतों की भी जांच कर रहा है। जैसे कि नदी में झाग भी पैदा होता है। हम धोबी घाटों को भी देखने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके माध्यम से बहुत सारे साबुन पानी में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनएमसीजी दिल्ली क्षेत्र की नमामि गंगे-यमुना शुरू कर रहा है जो यमुना की सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगी।

यमुना देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है, यह लगभग1,300 किलोमीटर से अधिक लंबी नदी है। यमुना नदी देश की राजधानी दिल्ली के आधे से अधिक हिस्से को पानी उपलब्ध कराती है। वहीं स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक जी। अशोक कुमार ने कहा कि 18 नाले हैं जो यमुना में गंदा पानी पहुंचाते हैं। अब हम इन नालों को टैप करने और गंदे पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में बदलने पर काम कर रहे हैं। अब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित हो गए हैं, तो हम नदी में बहने वाले गंदे पानी को इन प्लांटों की ओर मोड़ सकते हैं। हम एसटीपी से जो ट्रीटेड पानी मिलेगा उसे फिर नदी में मिलाया जाएगा। ताकि नदी का प्रवाह भी हो सके। उन्होंने बताया कि दिसंबर तक यमुना नदी में कोई गंदा पानी नहीं आएगा और इसके प्रवाह में भी सुधार देखने को मिलेगा। PLC

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