यह कैसा राष्ट्रवाद ?

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– तनवीर जाफरी –

nationalism-of-rss,-rss--naहमारे देश में जब-जब सत्ता को मंहगाई,बेरोज़गारी,गरीबी तथा युवाओं व किसानों के समक्ष आने वाली परेशानियों से निपटने के लिए किसी योजना या जवाबदेही से पलायन करना होता है अथवा उसके पास इसका कोई माकूल जवाब नहीं होता उस समय बड़ी ही चतुराई से शासकवर्ग के लोग आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए धर्म,संप्रदाय,राष्ट्रवाद,आरक्षण,धर्म आधारित जनसंख्या,मंदिर-मस्जिद, धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दे उछाल देते हैं। ज़ाहिर है ऐसे मुद्दों से समाज में ध्रुवीकरण होता है और वातावरण में तनाव की स्थिति पैदा होती है। इस अवसर का पूरा लाभ मीडिया भी उठाता है तथा इस प्रकार के समाचारों या इनसे जुड़े नेताओं के वक्तव्यों को टीआरपी के लिए प्रमुखता से प्रसारित व प्रकाशित करता है। जब इस प्रकार के विवाद सामने आते हैं तो स्वभाविक रूप से विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं के नेताओं व दलों में भी ऐसे विषयों पर मंथन शुरु हो जाता है। उदाहरण के तौर पर इन दिनों एक बार फिर दिल्ली के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार को लेकर  विवाद खड़ा हो गया है। और यह बहस पुन: विभिन्न आरोपों व प्रत्यारोपों के दौर से गुज़रती हुई राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रद्रोह अथवा गैर राष्ट्रवाद के मोड़ पर आ खड़ी हुई है।

परंतु रामजस कॉलेज विवाद में एक निराला पहलू यह पैदा हुआ है कि दक्षिणपंथी जिस वामपंथी विचारधारा के लोगों को देशद्रोही विचारों वाला तथा चीन समर्थक बताया करते थे उन्हीं के साथ देश के तमाम सैनिक अधिकारी, पूर्व सैनिक तथा कई राजनैतिक दल खड़े दिखाई दे रहे हैं। कश्मीर में एक आतंकी हमले में शहीद हुए सैन्य अधिकारी कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी गुरुमेहर कौर ने युद्ध की त्रासदी के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाई तो उसे सत्तारुढ भाजपा जनता पार्टी के जि़म्मेदार नेतागण पाक समर्थक बताने लगे। इतना ही नहीं गुरमेहर कौर का समर्थन करने वाले लोगों को भी पाक समर्थक कहा जाने लगा तथा उन्हें पाकिस्तान भेजने जैसी बातें की जाने लगीं। कारण क्या था कि शहीद की बेटी का मकसद देश व दुनिया को यही समझाना था कि युद्ध अच्छी चीज़ नहीं है और युद्ध की वजह से उसके जैसी तमाम बेटियां अनाथ हो जाती हैं। और यह भी कि कोई देश आपस में नहीं लडऩा चाहते बल्कि केवल युद्ध की स्थिति ही तबाही का कारण बनती है। तथाकथित राष्ट्रवादियों को गुरमेहर कौर का यह कथन रास नहीं आया। और शहीद पिता की कुर्बानी की परवाह किए बिना उसी लडक़ी को न केवल अनाप-शनाप बकने लगे बल्कि इन्हीं तथाकथित स्वयंभू राष्ट्रवादियों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार करने की धमकी तक दे डाली।

सवाल यह है कि क्या गुरुमेहर कौर देश की अकेली ऐसी बेटी है जिसने युद्ध विरोधी विचार व्यक्त किए? जिस बेटी का बाप पाकिस्तान की सेना के हाथों शहीद हुआ हो उसके दिल में तो पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान के विरुद्ध इन लफ्फाज़ी हांकने वाले तथाकथित राष्ट्रवादियों से कहीं अधिक नफरत होनी चाहिए? परंतु चूंकि वह एक विश्वविद्यालय की छात्रा होने के साथ-साथ खुला दिमाग रखने वाले परिवार से भी प्रेरणा पा रही है। लिहाज़ा वह उस युद्ध को ही अपने पिता की मौत का जि़म्मेदार मान रही है जो युद्ध दुनिया को तबाही के सिवा और कुछ नहीं देता। इन्हीं स्वयंभू राष्ट्रवादियों के आदर्श पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी एक कविता में युद्ध के विषय में अपने जो विचार व्यक्त किए थे उन्हें वे संसद से लेकर संसद के बाहर तक कई बार व्यक्त करते रहते थे। उनका कहना था-‘भारत-पाकिस्तान पड़ोसी,साथ-साथ रहना है। प्यार करे या वार करे,दोनों को ही सहना है।।, तीन बार लड़ चुके लड़ाई, यह मंहगा सौदा है। रूसी बम हो या अमरीकी खून एक ही बहना है।। जो हम पर गुज़री बच्चों के संग न होने देंगे। जंग न होने देंगे,जंग न होने देंगे।। वाजपेयी जी की उक्त लाईनें तो न केवल जंग का विरोध ही कर रही हैं बल्कि इसे रोकने का संकल्प लेती भी दिखाई दे रही हैं। क्या वाजपेयी जी को भी गुरमेहर कौर की ही तरह यह स्वयंभू राष्ट्रवादी पाक समर्थक या राष्ट्रविरोधी कहने का साहस कर सकते हैं?

इस पूरे प्रकरण में एक और मज़ेदार पहलू यह भी है कि जो लोग गुरमेहर कौर को पाकिस्तान समर्थक बता रहे हैं वे उन अपराधियों की निंदा नहीं कर रहे जिन्होंने उस शहीद की बेटी से सामूहिक बलात्कार की धमकी दी थी। गोया शहीद की बेटी राष्ट्रविरोधी और उसके साथ बलात्कार की धमकी देने वाले राष्ट्रवादी व राष्ट्रभक्त? अभी कुछ ही दिन पहले इन्हीं तथाकथित स्वयंभू राष्ट्रवादियों के विभिन्न संगठनों से संबंध रखने वाले 11 युवकों को मध्यप्रदेश में पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह सभी गैर मुस्लिम हैं। भाजपा,बजरंग दल तथा विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों से संबंध रखने वाले यह युवक भारतीय सेना तथा देश की दूसरी कई खुिफया जानकारियां आईएसआई को दिया करते थे। आिखर इन लोगों की राष्ट्रवादिता का पैमाना क्या था? क्या स्वयं को सांस्कृतिक राष्ट्रवादी संगठन बताने वालों ने इन युवकों को राष्ट्रवाद का यही पाठ पढ़ाया था? अभी ताज़ातरीन समाचारों के अनुसार पश्चिम बंगाल में एक महिला भाजपा नेता को गिरफ्तार किया गया है। यह महिला छोटे बच्चों को मंहगे दामों पर विदेशी लोगों के हाथों बेचा करती थी। गिरफ्तार भाजपा नेत्री ने इस बाल तस्करी मामले में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी लिया है। इस प्रकार के समाचार ज़ाहिर है राष्ट्रवाद के पाखंड पर सवाल खड़ा करते हैं।

आज सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री से लेकर दक्षिणपंथी विचार रखने वाले छोटे से छोटे नेता तक के मुंह से देश व समाज में बेचैनी पैदा करने वाली बातें सुनी जा रही हैं। प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च स्तर पर बैठे नेता शमशान घाट,कब्रिस्तान,ईद,दीवाली व होली,बकरीद जैसी निम्मस्तरीय बातें कर मतों के ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं। क्या यही सच्चा राष्ट्रवाद है कि समाज को धर्म व त्यौहारों के नाम पर बंाटने के प्रयास किए जाएं? हमारे देश के चुनाव आयोग से लेकर संयुक्त राष्ट्रसंघ तक में इस प्रकार की गैर जि़म्मेदाराना बातों का संज्ञान लिया जा चुका है। इस प्रकार के तथाकथित राष्ट्रवाद का झूठा व भोंडा प्रदर्शन न केवल समाज को बड़े पैमाने पर विभाजित कर रहा है बल्कि इससे देश की बदनामी भी हो रही है। जो विचारधारा आज देश के लोगों को राष्ट्रवाद का सबक सिखाने की कोशिश कर रही है 1947 से पहले यही  विचारधारा अंग्रेज़ों के समर्थक के रूप में देखी जा रही थी। आज तक इस विचारधारा के लोग देश की स्वतंत्रता के प्रति अपनी कुर्बानी की मिसालें नहीं पेश कर पाते। बजाए इसके समय-समय पर विभिन्न स्तरों से इनकी विचारधारा का अनुसरण करने वाले नाथूराम गोडसे पर महात्मा गांधी की हत्या की याद ज़रूर दिलाते रहते हंै। और संघ के लोग इस आरोप से तिलमिला जाते हैं।

दरअसल भारत में पैदा हुआ प्रत्येक नागरिक राष्ट्रवादी है,भारतीय है तथा अपने देश से प्रेम करता है। अच्छे-बुरे लोग किसी भी संगठन,धर्म या जाति में हो सकते हैं। आज देश में किसी भी धर्म या संगठन के लोगों को इस बात का कोई हक नहीं कि वह किसी को राष्ट्रवादी या राष्ट्रद्रोही होने का प्रमाण पत्र बांटता फिरे और पाकिस्तान भेजने की बातें करने लगे। इस प्रकार का वैचारिक प्रदूषण फैलाने वाले लोग ही दरअसल राष्ट्रविरोधी व राष्ट्रविभाजक कहे जा सकते हैं।

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tanveer jafriAbout the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – :
Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address – Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar,  Ambala City(Haryana)  Pin. 134003

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