इनके पास से अनेक आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुई हैं जिनमें 96,66,755 रूपये, गोला बारूद, विस्फोटक सामग्री, माओवादी साहित्य, अनेक चित्र और रॉकेट लांचरों के बारे में जानकारी और अन्य हथियार, ऐसे दस्तावेज जिनमें कलपुर्जों और अन्य सामग्री को कोलकाता और मुंबई से रायपुर, छत्तीसगढ़ भेजने के बारे में जानकारी है, रॉकेट लांचर और अन्य हथियारों के तैयार कलपुर्जे और रायपुर के एक गोदाम के लकड़ी के नौ क्रेट शामिल हैं।
सीपीआई (माओवादी) (जिसे पहले सीपीआई (एमएल) पीडब्ल्यू के नाम से जाना जाता था) पर 90 के दशक की शुरूआत में प्रतिबंध लगा दिया गया था। इन आरोपियों में से एक सदुला रामकृष्णन ने आरंभ में क्षेत्रीय समिति के दर्जे की तकनीकी विकास समिति के गठन में सहायता की थी।
जांच में यह बात सामने आई कि केन्द्रीय तकनीकी समिति के गठन के बाद 2002 से 2006 तक सदुला की देखरेख में अनेक स्थानों जैसे पुणे, राउरकेला, इंदौर, भोपाल और भुवनेश्वर में तकनीकी इकाइयां स्थापित की गई। सीटीसी के सदस्यों की गिरफ्तारी जनवरी 2007 में भोपाल और राउरकेला से की गई।
जांच में यह बात भी सामने आई है कि आरोपी सदुला और दीपक कुमार कोलकाता और मुंबई में जाली नाम से काम कर रहे थे और उन्होंने अनेक जाली दस्तावेज तैयार करवाए। दोनों अयोध्यानगर, बीराती और कोलकाता में खरीदे गए फ्लैटों में रहते थे। जांच में कोलकाता, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश पुलिस की सहायता ली गई।