मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी: नाटक या हकीकत ?

0
27

– निर्मल रानी –

Muslim-Women--Versus--Hinduकेंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले दिनों हालांकि यही कहा है कि मुसलमान भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं देते। इसके बावजूद उन्होंने यह दावा भी किया कि भाजपा मुसलमानों को पूरी  सुरक्षा देती है,उन्हें सम्मान देती है तथा  बिना किसी भेदभाव के मुसलमानों के विकास के लिए कार्यक्रम व योजनाएं भी चलाती है’। परंतु उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली भारी जीत के बाद भाजपा नेताओं द्वारा ही यह भी कहा गया कि उत्तर प्रदेश में इस बार मुसलमानों ने खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में बड़े पैमाने पर मतदान किया है। मुस्लिम महिला मतदातओं को अलग से रेखांकित करने का मकसद केवल यही था कि भाजपा यह जताना चाह रही थी कि चूंकि पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय करने वाला तिहरे तलाक जैसा विषय उठाया है और मुस्लिम महिलाओं को इससे काफी राहत मिलने की उम्मीद है इसलिए प्रदेश की मुस्लिम महिलाएं भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए सामने आईं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी व भारतीय मुसलमानों के मध्य सैद्धांतिक व ऐतिहासिक मतभेदों के चलते बुनियादी फासला बना हुआ है। यह सच भी है कि मुस्लिम मतदाता भाजपा के मुकाबले में किसी भी दूसरे दल के पक्ष में मतदान करना ज़्यादा बेहतर समझते हैं। वैसे भी देश में अनेकाअनेक ऐसी घटनाएं,सांप्रदायिक दंगे-फसाद होते रहे हैं जिसकी वजह से भारतीय मुसलमानों का भाजपा के प्रति भरोसा बार-बार टूटता रहा है। आज भी भाजपा में मुस्लिम विरोधी भाषण देने वाले फायर ब्रांड उग्र हिंदुत्ववादी नेताओं की एक लंबी कतार है जो समय-समय पर भाजपा के मुस्लिम विरोधी होने की तसदीक करती रहती है।

इन परिस्थितियों में यदि भाजपा के रणनीतिकारों ने मुस्लिम महिलाओं की हमदर्दी के तहत यह फैसला लिया है कि वह मुस्लिम धर्म के कुछ वर्गों में प्रचलित तीन तलाक अथवा तिहरे तलाक जैसी परंपरा से मुस्लिम महिलाओं को निजात दिलाएगी। और यह फैसला वास्तव में मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी जताने के लिए दिल से लिया गया फैसला है तो निश्चित रूप से इसका स्वागत किया जाना चाहिए। परंतु हमारे देश में जहां केवल अल्पसंख्यक मुस्लिम महिलाएं ही नहीं बल्कि देश के बहुसंख्य हिंदू समाज की महिलाओं के सामने भी अनेक प्रकार की समस्याएं हों वहां केवल तीन तलाक जैसे विषय को लेकर मुस्लिम महिलाओं के प्रति हमदर्दी का इज़हार करना भाजपा की दिल से नहीं बल्कि ‘दिमाग’ से अपनाई जाने वाली रणनीति लगती है। आज देश में चारों ओर से तथाकथित गौरक्षकों द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों पर जानलेवा हमले किए जा रहे हैं। देश में मोदी सरकार बनने के बाद स्वयंभू गौरक्षकों की बाढ़ सी आई है। इनके आतंक से दु:खी होकर स्वयं प्रधानमंत्री भी यह कह चुके हैं कि देश में 80 प्रतिशत गौरक्षक फजऱ्ी हैं तथा गौरक्षा के नाम पर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। प्रधानमंत्री के कथनानुसार यह गौरक्षक फजऱ्ी हों या असली परंतु यह बात तो तय है कि इन गौरक्षकों की विचारधारा भी दक्षिणपंथी उग्र हिंदुत्ववादी विचारधारा ही है। और इसी विचारधारा पर चलते हुए वे गौररक्षा के नाम पर किसी भी मुस्लिम पशु  व्यापारी की जान लेने से भी नहीं हिचकिचाते।

अभी पिछले दिनों जम्मू में तथाकथित गौरक्षकों द्वारा एक गरीब मुस्लिम परिवार पर हमला किया गया तथा एक मुस्लिम बुज़ुर्ग की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। पुलिस की मौजूदगी में हो रहे इस हिंसक तांडव में उस पीडि़त  मुस्लिम परिवार की महिलाएं अपने हाथ जोडक़र बुज़ुर्ग की जान की भीख मांगने के लिए लाठी डंडों से लैस हमलावर युवकों के पांव पकडक़र गिड़गिड़ाती तथा रोती-चिल्लाती दिखाई दीं। परंतु मानवता के दुश्मन इन युवकों को उन महिलाओं पर ज़रा भी तरस नहीं आया और उनसब के सामने ही उस मुस्लिम बुज़ुर्ग को पीट-पीट कर मार डाला गया। अब यहां यह सवाल ज़रूर उठेगा कि जो हिंदूवादी संगठन तीन तलाक जैसे मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं का हमदर्द बनने की कोशिश कर रहा है उसे इन मुस्लिम महिलाओं पर आिखर दया क्यों नहीं आई?हरियाणा निवासी पहलू खान जिनकी राजस्थान में इसी प्रकार के गुंडों द्वारा हत्या कर दी गई थी उस परिवार की आश्रित महिलाएं, उसके बीवी-बच्चे अपने पति के अभाव में घोर संकट से जूझ रहे हैं। परंतु यही दक्षिणपंथी नेतागण जो तीन तलाक मुद़दे पर मुस्लिम महिलाओं के पक्षधर होने का ढोंग कर रहे हैं उन्हीं में से अनेक लोग पहलू खां के हत्यारों के घर जाकर उन्हें महिमामंडित कर रहे हैं तथा उनकी हौसला अफज़ाई कर रहे हैं। क्या उन्हें यहां तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी की अपनी ‘पार्टी की रणनीति’ रास नहीं आ रही?

गुजरात के 2002 के दंगों से लेकर दो वर्ष पूर्व मुज़फ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक फसाद तक में हज़ारों मुस्लिम महिलाएं इन सांप्रदायिक दंगों के दंश झेल रही हैं। गुजरात से लेकर मुज़फ्फरनगर तक अभी भी कई ऐसे परिवार हैं जो अपने ही शहर में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। इन परिवारों का जीवनयापन,इनकी शिक्षा,स्वास्थय,सुरक्षा सबकुछ दांव पर लगा हुआ है परंतु इनके प्रति हमदर्दाना रवैया जताने कोई भी तीन तलाक का विरोधी नहीं पहुंचता। ऐसे में यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पक्षकारों द्वारा यह कहा जाए कि भाजपा द्वारा तीन तलाक जैसे विषय की आड़ में मुस्लिम महिलाओं के प्रति हमदर्दी दिखाना महज़ एक नौटंकी है तथा यह सिर्फ मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखलअंदाज़ी करने का एक बहाना मात्र है तो इस आरोप में भी काफी दम नज़र आता है। इसी संदर्भ में एक ओर प्रश्र यह है कि आज हमारे देश में चूंकि लगभग 85 प्रतिशत बहुसंख्य हिंदू समाज की आबादी है लिहाज़ा सबसे अधिक बुज़ुर्ग, विधवा तथा अपने बाल-बच्चों द्वारा छोड़ी व तिरस्कृत की गई महिलाएं भी हिंदू समाज में ही हैं। वृंदावन,हरिद्वारा तथा अयोध्या जैसे धर्मस्थलों पर जाकर यह आसानी से देखा जा सकता है कि किस प्रकार हिंदू बुज़ुर्ग व विधवा महिलाएं दो वक्त की रोटी के लिए तथा अपना सिर छुपाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। ऐसी महिलाएं दानी सज्जनों के रहम-ो-करम पर अपना गुज़र-बसर कर रही हैं। एक ओर तो हमारा देश दुनिया के विकसित देशों में शामिल होने की उम्मीदें लगाए बैठा है तो दूसरी ओर इन लावारिस व असहाय महिलाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

ऐसे में क्या यह हमारे देश के सत्ताधीशों का कर्तव्य नहीं कि वे पहले उस हिंदू समाज की महिलाओं के हितों की बात करें जिस हिंदू समाज का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण कर उन्हें दिल्ली से लेकर दूसरे कई राज्यों की सत्ता हासिल हो रही है। इसके बजाए यदि वे मुस्लिम महिलाओं के हितों की बात करेंगे तो भी तीन तलाक के अलावा भी मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा,उनके स्वास्थय,सुरक्षा तथा शरणार्थी के रूप में अपना गुज़र-बसर करने वाली मुस्लिम महिलाओं के पुनर्वास जैसी समस्याओं को प्राथमिकता के तौर पर हल करने की ज़रूरत है। दंगा पीडि़त अनेक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की ज़रूरत है। अन्यथा केवल तीन तलाक जैसे विषय को ही मुस्लिम महिलाओं के पक्ष मे ंउठाने की बात करना मुस्लिम महिलाओं के प्रति हमदर्दी तो कम नौटंकी ज़्यादा दिखाई दे रही हैं

______________

muslim verses hindu womenपरिचय –

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क -:
Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 134003 , Email :nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here