पप्पू बनाम फेंकू महासंग्राम

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– तनवीर जाफरी –

देश में इन दिनों पुन: चुनावी बयार बह रही है। खासतौर पर गुजरात विधानसभा के चुनाव ने इसे और भी रोचक इसलिए बना दिया है क्योंकि नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद गुजरात राज्य में यह पहला चुनाव होने जा रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष भी इसी कोशिश में लगा है कि यदि गुजरात से इस बार भाजपा को सत्ताच्युत करने में उसे सफलता मिल जाती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की भाजपा सरकार को मज़बूत तरीके से घेरने में विपक्षी दलों को सफलता मिल सकती है। दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश का चुनावी इतिहास तो वैसे यही बताता आ रहा है कि वहां प्रत्येक पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन हो जाता है। इस लिहाज़ से कांग्रेस की सत्तारूढ़ वीरभद्र सिंह सरकार की भी बिदाई हो जानी चाहिए। परंतु कांग्रेस पार्टी को यह उम्मीद है कि भाजपा की मोदी सरकार की तीन वर्ष की नाकामियों तथा जीएसटी,नोटबंदी,मंहगाई,बेरोज़गारी तथा बढ़ते धार्मिक व जातीय वैमनस्य के परिणामस्वरूप जनता एक बार फिर कांग्रेस पार्टी को ही चुनेगी। दोनेां राज्यों के चुनाव परिणाम 18 दिसंबर को घोषित होंगे। और उसी दिन पता चल सकेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा। इस बीच भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता इस चुनावी महासंग्राम में एक-दूसरे पर हमलावर होने का कोई भी अवसर गंवाना नहीं चाह रहे हैं। चाहे वह झूठ का सहारा लेना हो,अनैतिकता की बातें करनी हों,तर्कविहीन भाषण देने हों,अभिनयपूर्ण मुद्रा में संबोधन करना हो, जनता को सब्ज़बाग दिखाने हों यहां तक कि वोट लेने की खातिर धर्मों अथवा जातियों के मध्य दरारें पैदा करनी हों और यदि ज़रूरत पड़े तो इंसानों की लाशें या बस्तियां भी जलानी हों तो सत्ता का यह महासंग्राम कुछ भी करा सकता है।

बावजूद इसके कि भाजपा शासन केंद्र में लगभग साढ़े तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है परंतु बड़े आश्चर्य की बात है कि मोदी सरकार या गुजरात की विजय रुपानी सरकार अपनी पार्टी या शासन की उपलब्धियों के नाम पर वोट मांगने के बजाए अभी भी कांग्रेस पार्टी के विरोध के नाम पर वोट मांगने में अपना अधिक फायदा महसूस कर रही हैं। गत् 6 दशकों से दक्षिणपंथी सोच रखने वाले नेताओं ने इसी बात का रोना रोया है कि पंडित नेहरू ने देश को बर्बाद किया,गांधी ने देश के टुकड़े कराए, सरदार पटेल व डा० अंबेडकर के साथ अन्याय किया,कांग्रेस ने मुस्लिमों का तुष्टीकरण कर बहुसंख्य लोगों की कमाई पर डाका डाला, देश के संसाधनों को लूटकर अल्पसंख्यकों को दे दिया गया, गोया कांग्रेस ने देश के विकास के लिए तो कुछ किया ही नहीं केवल देश को लूटा -खसोटा और बरबाद किया। स्वयं प्रधानमंत्री जैसे सबसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे नरेंद्र मोदी के शब्दों में-‘कांग्रेस पार्टी और उसके चेले चपाटों ने साठ साल तक देश पर राज किया…क्या मिला आपको? गांव में जो गरीब है उस की गरीबी में कोई फर्क पड़ा है क्या? साठ साल में उसके जीवन में कोई बदलाव आया है क्या? जो नौजवान बेरोज़गार है उसकी रोज़ी-रोटी का प्रबंध हुआ है? जिस खेत को पानी चाहिए उसे पानी मिला है? जिस बीमार को दवाई चाहिए उसे दवाई मिली है? क्या इस देश में राज करने वाले लोगों को इसका जवाब देना चाहिए या नहीं देना चाहिए’? यह तो था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनता से सीधा संवाद जो वे अपने विशेष अंदाज़ में जनता से अब तक करते आ रहे हैं।

अब ज़रा सुनिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं नरेंद्र मोदी को 2002 में हुई व्यापक सांप्रदायिक हिंसा के संदर्भ में गुजरात में राजधर्म निभाने की सीख देने वाले भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में देश की संसद में क्या फरमाते हैं-‘पचास वर्षों में हमने प्रगति की है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। चुनाव के दौरान वोट मांगते हुए,सरकार के िखलाफ कठोर से कठोर प्रहार करते हुए पुरानी सरकार की आलोचना करते हुए, लडऩे के लिए बहुत सामग्री थी। लेकिन हर जगह मैंने कहा कि मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो देश की पचास साल की प्रगति पर पानी फेर दें।  ऐसा करना देश के पुरुषार्थ पर पानी फेरना होगा। ऐसा करना देश के किसान के साथ अन्याय करना होगा। मज़दूर के साथ ज़्यादती करना होगा…आम आदमी के साथ भी अच्छा व्यवहार करना नहीं कहलाएगा’। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के उपरोक्त भाषण तथा भाजपा के ही वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों की गहराई तथा इसका अंतर बखूबी समझा जा सकता है। केवल नरेंद्र मोदी ही नहीं बल्कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्तमंत्री अरूण जेटली सहित लगभग पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल व भाजपा प्रवक्ताओं की पूरी टीम इस समय कांग्रेस पार्टी को नीचा दिखाने के लिए गत् 5-6 दशकों के इतिहास को सही या गलत तरीके से दोहरा रही है। स्वयं अमितशाह जिनके पुत्र जय अमितशाह कम से कम समय में अधिक से अधिक धनार्जन करने को लेकर संदेह के दायरे में आ गए हैं उनके चेहरे पर भले ही चिंता की लकीरें साफ क्यों न दिखाई दे रही हों परंतु वे भी अभिनय करते हुए ही क्यों न सही परंतु अपने साढ़े तीन वर्ष के शासन का हिसाब देने के बजाए राहुल गांधी से उनकी तीन पीढिय़ों का हिसाब मांग रहे हैं।

गुजरात विधानसभा चुनाव में जहां नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री की तरह ही राज्य में दर्जनों चुनावी जनसभाओं व रैलियों को संबोधित कर रहे हैं वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्रियों को भी गुजरात में तैनात किया गया है। गोया दिल्ली का लगभग पूरा मंत्रिमंडल अहमदाबाद में चुनाव की कमान संभाले हुए है। दूसरी तरफ राहुल गांधी भी उम्मीद से अधिक परिश्रम करते हुए राज्य में अधिक से अधिक कार्यक्रम कर रहे हैं। राहुल गांधी को लेकर इस बार गुजरात में यह देखा जा रहा है कि कभी जिस राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी ने इस वाक्य से नवाज़ा था कि-‘ इसे तो कोई अपना ड्राईवर रखना भी पसंद नहीं करेगा।’ वही राहुल आज गुजरात मेें एक लोकप्रिय नेता साबित हो रहे हैं। जहां मोदी व योगी की सभाओं में भीड़ जुटाने की जुगत भिड़ाई जा रही हो उसके बाद भी जनता आने का नाम न  ले रही हो वहीं राहुल गांधी की सभाओं में उमड़ती भीड़ निश्चित रूप से भाजपाईयों की नीेंदें उड़ाने का काम कर रही है। नरेंद्र मोदी के शासनकाल में 2002 के बाद सांप्रदायिक धु्रवीकरण के दौर से गुज़र चुके गुजरात में कांग्रेस की वापसी हो सकेगी या नहीं इस विषय पर कोई स्पष्ट राय तो नहीं दी जा सकती परंतु इतना ज़रूर है कि राज्य में भाजपा को मतों से लेकर सीटों तक में बड़ा नुकसान ज़रूर उठाना पड़ सकता है। जिस प्रकार गुजरात की आम जनता के अतिरिक्त वहां के व्यवसायी,छात्र,किसान,मज़दूर व विभिन्न अलग-अलग संगठनों व समुदायों के लोग राहुल गांधी को अपने-अपने आयोजनों में आमंत्रित कर रहे हैं तथा उनकी पार्टी की भावी योजनाओं के बारे में जानना चाह रहे हैं तथा खासतौर पर जीएसटी व नोटबंदी जैसे गंभीर विषय पर उनकी बातें सुन रहे हैं, उससे तो साफ ज़ाहिर हो रहा है कि इस बार चुनावी रणक्षेत्र में ‘पप्पु बनाम फेंकू’ का जो मुकाबला हो रहा है वह निश्चित रूप से निर्णायक सिद्ध होगा और यहां के चुनाव परिणाम गुजरात या हिमाचल तक ही सीमित नहीं रहेेंगे बल्कि इन परिणामों की धमक 2019 के लोकसभा चुनाव तक भी ज़रूर पहुंचेगी।

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 About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address – Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar,  Ambala City(Haryana)  Pin. 134003

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