जन के मन की वह जाने और उनके मन की राम जाने

0
25

– निर्मल रानी –

pm'smann-ki-batप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबसे सत्तासीन हुए हैं तबसे उन्होंने जनता को संबोधित करने के लिए एक नई परिपाटी शुरु की है। वे एक माह में कम से कम एक बार देश की जनता को रेडियो प्रसारण के माध्यम से अपने मन की बात नामक एक कार्यक्रम के द्वारा संबोधित करते हैं। 27 नवंबर  तक इस संबोधन के 26 एपिसोड पूरे हो चुके हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद तीन अक्तूबर 2014 को मन की बात का सर्वप्रथम प्रसारण किया गया था। प्रथम प्रसारण के दिन अर्थातृ तीन अक्तूबर 2014 को इत्तेफाक से विजयदशमी का दिन भी था जबकि दूसरे प्रसारण का दिन दो नबंबर 2014 था। मन की बात के 27 जनवरी का एपिसोड इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि उस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत में गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में शरीक हुए थे। उन्होंने भी प्रधानमंत्री के साथ मन की बात के प्रसारण में हिस्सा लिया था। अब तक प्रधानमंत्री मन की बात के प्रसारण में जिन विषयों पर देश की जनता को संबोधित कर चुके हैं उनमें खादी के कपड़े खरीदना,स्वच्छ भारत अभियान की चर्चा, भारत के मंगल मिशन का जि़क्र,दिव्यांग बच्चों की शिक्षा, शहीद सैनिकों को  श्रद्धांजलि,नशा मुक्ति पर चर्चा,परीक्षा में छात्रों पर पडऩे वाले तनाव का जि़क्र,खेती-किसानी का विषय,समान पेंशन समान रैंक की चर्चा,गरीबी से लडऩे से संबंधित विचार, भविष्य में तकनीक का महत्व, ध्यानचंद को श्रद्धांजलि,पीवी सिंधु व दीपा मलिक जैसी महिला खिलाडिय़ों की तारीफ,उड़ी हमले में शहीद जवानों का बदला लेने का संकल्प जैसे कई ज़रूरी मुद्दे संबोधित कर चुके हैं।

अपने अब तक के अंतिम संबोधन अर्थात् 27 नवंबर 2016 के मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के अपने फैसले के विभिन्न पहलूओं पर चर्चा की। उन्होंने  नोटबंदी से परेशान देश की जनता को यह आश्वासन दिलाना चाहा कि शीघ्र ही सभी दिक्कतें दूर हो जाएंगी और हालात सामान्य हो जाएंगे। अपने इसी संबोधन में उन्होंने लेस कैश समाज बनाए जाने का आह्वान किया तथा जनता से अपील की कि वह अधिक से अधिक ई बैंकिंग और मोबाईल बैंकिग तकनीक का इस्तेमाल शुरु करे। उन्होंने इसी प्रसारण में देश के छात्रों व युवाओं से यह अपील की कि देश की 65 प्रतिशत युवा शक्ति अशिक्षित व गरीब लोगों को इस नई तकनीक के बारे में शिक्षित करे। इन सभी प्रसारणों में कई प्रसारण ऐसे भी हुए हैं जिसमें उन्होंने जनता द्वारा सुझाए गए विषयों को भी छेड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक अब तक देश की जनता ने 61 हज़ार अलग-अलग विचार सांझा किए। आगामी 25 दिसंबर को एक बार फिर प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित की जाने वाली मन की बात का एक नया एपिसोड प्रसारित किया जाना है। प्रधानमंत्री ने पुन: इस प्रसारण के लिए विषय तथा थीम पर आम जनता से सुझाव मांगे हैं। गौरतलब है कि 25 दिसंबर का प्रसारण प्रधानमंत्री का इस वर्ष की मन की बात का आिखरी प्रसारण होगा। उन्होंने इस कार्यक्रम हेतु लोगों से उनके सुझाव सांझा करने  के लिए एक टोल फ्री नंबर पर कॉल करने अथवा एक मोबाईल एप के द्वारा सुझाव भेजने को कहा है।

हमारे देश में प्रधानमंत्री द्वारा इस प्रकार नियमित रूप से राष्ट्र को संबोधित किए जाने की इसके पूर्व कोई परंपरा नहीं रही है। हां कुछ खास अवसरों पर जब प्रधानमंत्री ने देश की जनता से एकतरफा संवाद ज़रूरी समझा उस समय ऐसा ज़रूर किया गया है। जैसे 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, अथवा देश में आपात काल की घोषणा के समय या फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर या इस प्रकार के और किसी अति विशेष महत्व की बातों पर चर्चा करने हेतु प्रधानमंत्री द्वारा अपनी बात को प्रसारित किया जाता रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति भी समय-समय पर रेडियो और टी वी के माध्यम से जनता से मुखातिब होते रहते हें। और भी कई देशों में राष्ट्रप्रमुख इसी अंदाज़ से अपनी जनता से रूबरू होते हैं। परंतु भारत में नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने मन की बात का नियमित मासिक प्रसारण शुरु कर जनता तक अपनी बात पहुंचाने की यह  प्रणाली अिख्यार की है। निश्चित रूप से देश अपने राष्ट्र प्रमुख के विचार जानना चाहता है। उसे सुनना व देखना चाहता है, उसकी नीतियों तथा योजनाओं का ज्ञान हासिल करना चाहता है। इसलिए इस कार्यक्रम को अर्थहीन या अप्रासंगिक तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता।

परंतु जब इस कार्यक्रम के विषय में प्रधानमंत्री द्वारा जनता से यह पूछा जाता है कि वे अपने मन की बात कार्यक्रम में किन विषयों को शामिल करें,क्या बोलें, उनके कार्यक्रम का थीम क्या होना चाहिए तो यह बात ज़रूर अटपटी सी लगती है। किसी को क्या बोलना है यह तो वही व्यक्ति बेहतर जानता है। जब किसी दूसरे से विषय पूछकर ही बोलना है तो इससे बेहतर तो यही है कि विषय सुझाने वाला या थीम अथवा विषय की सलाह देने वाला व्यक्ति स्वयं ही अपनी बात क्यों न कर ले? इस प्रकार के सुझाव मांगने से एक बात और ज़ाहिर होती है कि संभवत: प्रधानमंत्री के पास अपने विषयों तथा मुद्दों का कोटा ही समाप्त हो गया है। वैसे भी प्रधानमंत्री ने अब तक जिन विषयों पर देश को संबोधित किया है उनमें जहां कुछ विषय गंभीर व सराहनीय थे वहीं कुछ विषय ऐसे भी थे जिनका उतना अधिक महत्व नहीं था कि प्रधानमंत्री उन्हें संबोधित करते और देश की जनता कान लगाकर उन्हें सुनती और अपना कीमती समय ऐसे विषयों के लिए ज़ाया करती।

वैसे भी देश का स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मीडिया भारत की जनता के सवालों का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री जी मन की बात हेतु जनता से सुझाव मांगने के बजाए इसी प्रकार प्रत्येक माह इतना ही समय निकाल कर यदि एक ऐसे संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से अपने मन की बात रखा करें जिसमें मीडिया का हर वर्ग शामिल हो। ऐसे आयोजन में प्रधानमंत्री अपने मन की बात भी करें और मीडिया के माध्यम से यह भी जानें कि देश की जनता के ‘मन की बात’ क्या है और उसके मन में क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं। पंरतु प्रधानमंत्री द्वारा देश की जनता को दिखाई जा रही अपनी तमाम सक्रियता के बावजूद यह भी देखा जा रहा है कि चाहे वह मन की बात का प्रसारण हो या देश-विदेश में जनसभाओं को संबोधित करना हो,फिलहाल वे जनता से एकतरफा संवाद स्थापित करने के ही विशेषज्ञ दिखाई दे रहे हैं। जनसभाओं में भी वे लाऊड स्पीकर के माध्यम से प्रसारित होने वाली अपनी आवाज़ के द्वारा ही जनता से जुड़ पाते हें। अन्यथा जनसभा में होने के बावजूद जनता से उनका फासला इतना रहता है कि जनता ठीक से उनके दर्शन तक नहीं कर पाती। लिहाज़ा यहां भी वे सुरक्षा के नाम पर जनता से तथा प्रेस से मिले बिना अपनी एकतरफा भाषणबाज़ी कर वापस चले जाते हैं।

लिहाज़ा यदि प्रधानमंत्री को जनता के विचार और जनता के मन की बात जानने में इतनी ही दिलचस्पी है तो उसके लिए सुझाव मांगने से बेहतर तो यही है कि वे देश की आम जनता से यदि रूबरू नहीं भी हो सकते और समय की कमी या सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा कर पाना संभव नहीं है तो अपना यही बेशकीती वक्त जो वे मन की बात के लिए निकालते हैं उसी समय में प्रत्येक माह एक खुला पत्रकार सम्मेलन बुलाया करें। और निश्चित रूप से उस पत्रकार सम्मेलन में उनको यह पता चल सकेगा कि जन के मन की बात आिखर है क्या?

_______________

???????????????????????????????परिचय – :

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क -:
Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 134003 , Email :nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here