आई एन वी सी न्यूज़
रोहतक,
प्रख्यात साहित्यकार डॉ. रामफल चहल को विक्रमशिला विद्यापीठ के कुलाधिपति मानस भूषण सुमन भाई द्वारा विद्यासागर (डी.लिट्) की उपाधि से सम्मानित किया गया। डॉ. रामफल चहल को यह उपाधि साहित्य व संस्कृति में उनके लम्बे व उल्लेखनीय कार्यों के लिए प्रदान की गई है। ज्ञातव्य रहे कि डॉ. रामफल चहल की अब तक हरियाणवी संस्कृति पर 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा लोक साहित्य के क्षेत्र में उन्हें सर्वोच्च पुरस्कार पं. लख्मी चंद अवार्ड सन 2004 में मिल चुका है। संस्कृति के क्षेत्र में उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा श्री देवी शंकर प्रभाकर पुरस्कार तथा पंजाब साहित्य एवं कला विशेष पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। डॉ. रामफल चहल लम्बे समय तक आकाशवाणी रोहतक तथा कुरूक्षेत्र से किशन भाई के रूप में कार्यक्रमों का प्रसारण करते रहे हैं। डॉ. चहल सबसे पहले हरियाणा सांस्कृतिक एकेडमी के निदेशक भी रह चुके हैं तथा हरियाणवी फिल्में पनघट व खानदानी सरपंच में मुख्य अभिनेता के तौर पर अभिनय भी कर चुके हैं। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उन्हें एक प्रतिष्ठित कवि के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है तथा उनकी दो पुस्तकों को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कार भी दिया जा चुका है। इससे पहले भी विक्रमशिला विद्यापीठ द्वारा उन्हें विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान की जा चुकी है।
अखिल भारतीय स्तर व राज्य स्तर पर जाटों को पिछड़े वर्ग में मिले आरक्षण पर कुछ संगठनों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय एवं चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में दी गयी। चुनौती के विरोध में अपनी राय रखने व केस को मजबूती से रखने के लिए अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की सर छोटूराम धर्मशाला में एक अहम बैठक का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता समिति के प्रदेशाध्यक्ष कमांडेंट हवा सिंह सांगवान ने की।
प्रदेश भर से आये आरक्षण संघर्ष समिति की कार्यकारिणी की बैठक को सम्बोधित करते हुए कमांडेंट हवा सिंह ने बताया कि पिछले वर्ग में आरक्षण जाटों का संवैधानिक अधिकार है। इस पर किसी भी जाति या समुदाय को ऐतराज नहीं होना चाहिये। यह अधिकार हमें लम्बे संघर्ष के बाद मिला है। हम इसे किसी भी कीमत पर नहीं छोडेंगे। अभी मामला न्यायालय के पास विचाराधीन है। हम न्यायालय का सम्मान करते हैं तथा हमें उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में ही आयेगा। न्यायालय में भी हम अपनी पैरवी जोरदार ढंग से करेंगे।
इस अवसर पर जगवीर हुड्डा, हरेन्द्र सांघी, जसबीर मलिक, सूबेदार मेहताब सिंह, अनिल रोज, समेर सिंह, जगदीश गुलिया, दीवान सिंह नम्बरदार, जोगेन्द्र तालु, सुरेश तालू, सूबेदार कली राम, कैप्टन भोपाल सिंह, जयकिशन दलाल, चन्दूराम धनाना, जगवीर तोशाम, सूबेदार बलवान सिंह, उमेद बामला, बलवान सिंह घनघस, रोशन हुड्डा, रघुबीर सिंह बूरा, अशोक कुमार बूरा, कृष्ण बूरा, रामेहर, पवित्र कुमार, महेन्द्र सिंह मोर, दयानन्द दहिया, सुमेर सिंह सेलंगा, सतपाल बिलवन, सूबे, वीर सिंह, धर्मपाल अटेला आदि सहित अनेक कार्यकत्र्ता मौजूद थे।