कर्क संक्रांति 2022 : कैसे मुक्ति पा सकते है कष्टों से

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कर्क संक्रांति 2022 : कैसे मुक्ति पा सकते है कष्टों से

सूरज जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है. सूरज प्रत्येक राशि में प्रवेश करता है. इसलिए 12 संक्रांति होती है. इनमें से मकर संक्रांति कर्क संक्रांति का विशेष महत्व माना जाता है. जिस तरह से मकर संक्रांति से अग्नि तत्व बढ़ जाता है चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होने लग जाता है. उसी तरह कर्क संक्रांति से जल की अधिकता हो जाती है. इससे वातावरण में नकारात्मकता आने लग जाती है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूरज के उत्तरायण होने से शुद्धता में वृद्धि होती है वही सूरज के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां प्रभावी होने लग जाती हैं देवताओं की शक्तियां कमजोर होने लग जाती हैं.

कर्क संक्रांति 2022 कथा
शास्त्रों में पारंपरिक धारणा है कि सृष्टि का कार्यभार संभालते हुए भगवान विष्णु बहुत थक जाते हैं. तब माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से निवेदन करती हैं कि कुछ समय उन्हें सृष्टि चिंता भार महादेव को देना चाहिए. तब हिमालय से महादेव पृथ्वी पर आ जाते हैं 4 महीने तक संसार की सारी गतिविधियां वही संभालते हैं. जब 4 महीने पूरे हो जाते हैं. तो शिवजी जी कैलाश की तरफ वापस लौटते हैं.

एकादशी का दिन होता है. जिसे देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन हरिहर का मिलन होता है. भगवान अपना कार्यभार आपस में बदल लेते हैं क्योंकि भगवान शिव जी व्यस्त होते हुए भी सन्यासी हैं उनके राज में विवाह आदि कार्य वर्जित माना जाता है. फिर भी पूजा अन्य पर्व धूमधाम से मनाये जाते हैं. असल में देवताओं का सोना प्रतीकात्मक होता है.

इन दिनों में कुछ शुभ सितारे भी आलोप हो जाते हैं. जिनके उदित रहने से मंगल कामों में शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. इस दिन सूर्य देव के साथ कई अन्य देवता भी नींद में चले जाते हैं. कर्क संक्रांति पर सृष्टि का भार शिव जी ने संभाल लिया था. इसलिए श्रावण के महीने में शिवजी का पूजन का महत्व बढ़ जाता है इस तरह से त्योहारों की शुरुआत हो जाती है. इसलिए इस काल में सिर्फ पुण्य अर्जन देव पूजा का ही प्रचलन शामिल है.

कर्क संक्रांति 2022 पूजा विधि
– सुबह उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नदी में स्नान करें.
– यदि आपका घर किसी पवित्र नदी के पास नहीं है तो घर में पानी में गंगाजल डाल लें.
– स्नान के बाद सर्व प्रथम भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
– अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्रों का जाप करें.
– इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें.
– पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना न भूलें.
– इस पाठ से न सिर्फ शांति मिलती है बल्कि सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
– कर्क संक्रांति के दिन विशेष रूप से ब्राह्मण या किसी गरीब को अनाज, कपड़े तेल आदि का दान करें.
– कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु के साथ-साथ सूर्य देव की आराधना के दौरान उनकी आरती जरूर गाएं.
– इस दिन कुछ भी नया या महत्वपूर्ण भूलकर भी शुरू न करें.
– कर्क संक्रांति का दिन केवल पूजा, ध्यान, दान सेवा के लिए ही है. PLC

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