प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक बार पत्रकार द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून बनाये जाने के प्रश्न का उत्तर देते हुये कहा था कि बनाया जायेगा। परन्तु अभी तक धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। मध्यप्रदेश सरकार से हमारी मांग है कि महाराष्ट्र सरकार का अनुसरण कर कानून बनाया जाये। मध्यप्रदेश सरकार कानून में प्रावधान रखें कि पत्रकार की शिकायत करने वाले की इस बिंदु पर जांच की जाये कि आखिर उसने पत्रकार की शिकायत क्यों की तथा शिकायतकर्ता के काम-धंधों की भी जांच होना चाहिए। जिससे यह स्पष्ट हो जायेगा कि दोषी कौन है।
महाराष्ट्र सरकार में बने कानून में सजा के प्रावधान
पत्रकारों, मीडिया संस्थानों के साथ कांट्रैक्ट पर काम करने वाले पत्रकारों पर हमला करना गैरजमानती अपराध होगा। इसके लिए तीन साल तक सजा और 50 हजार तक जुर्माना भी लगाया जाएगा। हमला करने वाले को इलाज का खर्च और मुआवजा भी अदा करना होगा। मुआवजा न देने पर आरोपियों के खिलाफ दीवानी न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा।
झूठी शिकायत करने पर मिलेगी सजा
विधेयक में कानून का दुरुपयोग रोकने का भी प्रावधान है। यदि जांच में शिकायत झूठी पाई गई तो पत्रकार के खिलाफ भी मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बारह साल से की जा रही थी मांग
महाराष्ट्र में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग 2005 से ही हो रही थी। तत्कालीन गृहमंत्री दिवंगत एनसीपी नेता आरआर पाटिल ने पत्रकारों की सुरक्षा से जुड़ा कानून बनाने का वादा किया था। इसको लेकर नारायण राणे की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी, लेकिन कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन सरकार इस कानून को पारित करने में टालमटोल करती रही।