जयराम जय की कविताएँ

0
25

 

कविताएँ

1-
सहारा यहाँ कौन है

मित्र मिलते हैं
मिलते हैं सभी स्वारथ के,
कृष्ण को सुदामा यहाँ कौन है ?
मानव पतन के
अनेक दीखते हैं द्वार
उस पार जाने का
सुद्वारा यहाँ कौन है ?
सोच लो ये बार-बार
खोल आँख देख लो
तुम्हारा यहाँ कौन है ?
काम-क्रोध-मोह का
तो तन एक मंदिर है
छोड़ यहाँ कृष्ण का
सहारा यहाँ कौन है ?

2-
यह मेरा घर …..

यह मेरा घर बना हुआ है
संबंधों पर तना हुआ है
मजबूत नींव है खम्भों पर
शहतीरें हैं अवलम्बों पर
संकल्पों की छत दीवारें
नेह ईट का चुना हुआ है
इसमें दिल के दरवाजे हैं
खिड़की है, झोंके ताजे हैं
विश्वासों के ताज महल में
लगा न चौखट घुना हुआ है
शीतल छांह सभी को देता
विषम परिस्थिति को सह लेता
जड़े बहुत गहरी हैं इसकी
वृक्ष बहुत अब घना हुआ है
गुन गुन करके गीत बनाते
संयम की पायल बजती है,
कभी नहीं झुनझुना हुआ है

3-हम अभी तक मौन थे

हम अभी तक मौन थे
अब भेद खोलेंगे
सच कहेंगे, सच लिखेंगे
सच ही बोलेंगे

धर्म आडम्बर हमें
कमजोर करते हैं
जब छले जाते तभी
हम शोर करते हैं
बेचकर घोड़े नहीं
अब और सोयेंगे

मान्यताओं का यहाँ पर
क्षरण होता है
घुटन के वातावरण का
वरण होता है
और कब तक आश में
विष आप घोलेंगे

हो रहे आश्रमों में भी
घिनौने पाप
कौन बैठेगा भला यह
देखकर चुप-चाप
जो न कह पाये अधर
वह शब्द बोलेंगे

आस्था की अलगनी
पर स्वप्न टांगे हैं
और कब तक ढाक वाले
पात डोलेंगे

दूर तक छाया अँधेरा
है घना कोहरा
आड़ में धर्मान्धता की
राज है गहरा
राज खुल जायेगा सब
यदि साथ हो लेंगे

हम अभी तक मौन थे
अब भेद खोलेंगे
सच कहेंगे, सच लिखेंगे
सच ही बोलेंगे !

———————————

jairamjai,poet jairam jai , wrtiter jairam jaiपरिचय –

जयराम जय

कवि एवं चिन्तक

संपर्क – :
“पार्णिका” बी-11/1 कृष्ण बिहार  कानपूर-208017  (उ.प्र.)  मोब.- 9415429104

__________________

____________________

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here