भारत – पाकिस्तान सम्बन्ध – दिल न मिले तो हाथ मिलाने का औचित्य ही क्या?

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– तनवीर जाफरी –

Tanveer-Jafri,Tanveer-Jafriसामाजिक सद्भाव बनाए रखने के मद्देनज़र मशहूर शायर निदा फाज़ली की एक मशहूर गज़ल का यह शेर बहुत लोकप्रिय है कि-‘दुश्मनी लाख सही,खत्म न कीजे रिश्ता-‘दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए’। परंतु भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में कम से कम यह शेर अब तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता। 1947 में भारत को मिली आज़ादी तथा इसी के साथ-साथ भारत से विभाजित होकर पाकिस्तान के रूप में एक नए तथाकथित इस्लामिक राष्ट्र के गठन से लेकर अब तक सात दशक बीत जाने बावजूद भारत व पाक के मध्य आपसी रिश्ते सद्भाव व विश्वासपूर्ण होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। कहने को तो दोनों ही देशों का शीर्ष नेतृत्व परस्पर संबंध सुधारने तथा विश्वास बहाली की आपसी कोशिशों के लिए हमेशा से ही िफक्रमंद रहा है। दक्षेस एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन से जुड़े देशों की समय-समय पर होने वाली बैठकों में भी क्षेत्रीय विकास तथा शांति के मुद्दों पर अक्सर बातें होती रहती हैं। परंतु इन सभी प्रयासों का जो नतीजा हमें सामने दिखाई दे रहा है वह कभी कारगिल घुसपैठ के रूप में सामने आता है तो कभी भारत में समय-समय पर फैलाया जाने वाला पाक प्रायोजित आतंकवाद की शक्ल में दिखाई देता है। कभी भारतीय सैनिकों के शव पाकिस्तानी सेना द्वारा क्षत-विक्षत किए जाने या उनके सिर कलम किए जाने जैसे समाचार सुनने को मिलते हैं।

ज़ाहिर है जब भारत में संसद पर हमले से लेकर मुंबई के 26/11 जैसे हमले तक पाकिस्तान की ओर से कराए जाने की साजि़श रची जाए,पाकिस्तान की सरकार,सेना तथा आईएसआई भारत में आतंकवाद फैलाने व जम्मूृ-कश्मीर राज्य में अस्थिरता पैदा करने तथा वहां के लोगों को धर्म के झूठे मोह-जाल में फंसा कर वरगलाने को अपने एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में देखती हो ऐसे में यह कैसे संभव है कि दिल मिलाने की आस में हाथ मिलाते रहा जाए? पिछले दिनों भारतीय कश्मीर के उरी क्षेत्र में सैन्य शिविर पर हुए एक हमले के बाद भारतीय सेना की ओर से जब एक सर्जिकल स्ट्राईक पाकिस्तानी सीमा के भीतर जाकर की गई तथा इसमें कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया गया उसके बाद से अब तक पाकिस्तान खासतौर पर वहां की सेना बौखलाई हुई है। गत् दिनों पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने जनरल राहिल शरीफ से सैन्य प्रमुख का कार्यभार संभाला उस समय जाते-जाते राहिल शरीफ ने अपना दर्द कुछ इन शब्दों में बयान किया। उन्होंने फरमाया कि-‘भारत ने नियंत्रण रेखा पर सर्जिकल स्ट्राईक का झूठा ड्रामा रचा है। उन्होंने आगे कहा कि यदि हमने सर्जिकल स्ट्राईक की तो भारत की नस्लें याद रखेंगी और भारत के स्कूली पाठ्यक्रम में पाकिस्तानी सेना के िकस्से पढ़ाए जाएंगे’।

जनरल राहिल शरीफ का यह बयान अपने-आप में इस बात का सुबूत है कि पाकिस्तान भारत के प्रति किस प्रकार का बैर रखता है? 1965,1971 से लेकर कारगिल युद्ध तक बार-बार भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कितनी बार धूल चटाई है यह पाकिस्तान भलीभांति जानता है। 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के समक्ष जो अब तक का विश्व का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण किया गया उसे पूरे विश्व के ‘पाठ्यक्रमों’ में पहले ही शामिल किया जा चुका है।पाकिस्तानी सेना  आज तक किसी देश से युद्ध जीतना तो दूर अपने ही देश में तेज़ी से फैल रहे आतंकवाद को काबू कर पाने की सलाहियत अपने-आप में पैदा नहीं कर सकी। स्वयं पाकिस्तान के पाठ्यक्रमों में तो यह पढ़ाया जाना चाहिए कि किस प्रकार पेशावर में पाकिस्तानी सैनिकों के मासूम बच्चों की वहां सक्रिय आतंकवादियों ने हत्या कर डाली और इस घटना से किस प्रकार पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई? उस समय पूरे भारत में भी शोक का कुछ ऐसा वातावरण था गोया यह हादसा पाकिस्तान में नहीं बल्कि भारत में हुआ हो। कभी प्रधानमंत्री भुट्टो को फांसी,कभी राष्ट्रपति जि़या-उल-हक का विमान क्रैश होना,कभी बेनज़ीर भुट्टो जैसी पूर्व महिला प्रधानमंत्री की हत्या, कभी सलमान तासीर की उन्हीं के अंगरक्षकों द्वारा हत्या,आए दिन पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर आतंकी हमले इस प्रकार के अनेक उदाहरण ऐसे हैं जो इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए काफी हैं कि पाकिस्तानी सेना तथा वहां की सरकार आतंकवादियों तथा चरमपंथी विचारधारा से लड़ पाने में पूरी तरह असफल रही है।

यह आरोप मैं नहीं लगा रहा बल्कि पाकिस्तान के निष्पक्ष विचार व्यक्त करने वाले अनेक लेखकों व पत्रकारों द्वारा समय-समय पर यह याद दिलाया जाता है कि पाकिस्तान का अस्तित्व केवल दो ही बातों पर टिका हुआ है। एक तो सऊदी अरब से उसे हासिल होने वाली ‘खैरात’ और दूसरा आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर अमेरिका से ली जाने वाली आर्थिक सहायता। पाकिस्तान का परमाणु संपन्न देश बनना भी चीन की मेहरबानी पर निर्भर है। ऐसे में यदि राहिल शरीफ भारत को सबक सिखाने की धमकी दें और अपने बड़बोलेपन से पाकिस्तान में लोकप्रियता हासिल करने या अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने का झूठा प्रयास करें तो इससे अधिक हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है? पिछले दिनों पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भी यह स्वीकार किया कि भारत-पाकिस्तान सीमा व नियंत्रण रेखा पर मुश्किलें पैदा होना पाकिस्तान के हित में नहीं है। उन्होंने दोनों देशों के मध्य बातचीत जारी रखने की भी मंशा जताई। परंतु साथ-साथ यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान की बातचीत की मंशा को उसकी कमज़ोरी न समझें। वैसे भी जब कभी भारत ने पाकिस्तान को भारतीय सीमा में फैलने वाले पाक प्रायोजित आतंकवाद के प्रमाण दिए। संसद के हमलावरों से लेकर मुंबई के अजमल क़साब जैसे आतंकियों के नाम तथा पाकिस्तान के उनके पूरे पते के सुबूत पेश किए उसके जवाब में पाकिस्तान ने हमेशा भारत को यही समझाने की कोशिश की कि पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद से पीडि़त व प्रभावित देश है।

ऐसे में सवाल यह है कि जनरल राहिल शरीफ जो भारत में ऐसी सर्जिकल स्ट्राईक की धमकी दे रहे हैं जिसे भारत की नस्लें हमेशा याद रखेंगी और यहां के पाठ्यक्रमों में पाकिस्तानी सेना के िकस्से पढ़ाए जाएंगे वही राहिल शरीफ पाकिस्तान से आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ऐसे आप्रेशन अंजाम क्यों नहीं देते जिससे पाकिस्तान की नस्लें भी सुरक्षित रह सकें और निश्चित रूप से पाकिस्तानी सेना की इस महान कारगुज़ारी की दास्तां पाकिस्तान के साथ-साथ भारत के स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी पढ़ाई जा सके? अन्यथा भारत में घुसपैठ कराते रहना,भारत में आतंकवादी घटनाओं के अंजाम देने को पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने एक प्रमुख मिशन के रूप में समझना,भारतीय सेना तथा यहां के आम नागरिकों पर कायराना हमले करना और उसके बाद भारत से यह उम्मीद भी रखना कि वह पाकिस्तान से किसी प्रकार का बदला न ले या अपना विरोध ज़ाहिर न करे यह आिखर कैसे संभव है? प्रकृति का भी नियम है कि तालियां हमेशा दो हाथों से ही बजती हैं। ऐसे में पाकिस्तान भारत के साथ जिस अंदाज़ से पेश आएगा भारत से भी उसे वैसी ही उम्मीद रखनी चाहिए। पाकिस्तान को भारतीय सेना का शुक्रगुज़ार होना चाहिए था कि उसने सर्जिकल स्ट्राईक कर पाकिस्तानी सीमा क्षेत्र में उन आतंकी शिविरों को निशाना बनाया जो केवल भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के लिए भी सिरदर्द बने हुए हें। बजाए इसके पाकिस्तानी सेना इस घटना को अपने अपमान के रूप में देख रही है तथा भारत पर सर्जिकल स्ट्राईक किए जाने के ख्वाब देख रही है। ज़ाहिर है ऐसे में दिल मिलने की कोई सूरत नज़र ही नहीं आती फिर आिखर हाथ मिलाने का औचित्य ही क्या है?

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Tanveer Jafri,Tanveer Jafri invc newsAbout the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – :
Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address – Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar,  Ambala City(Haryana)  Pin. 134003

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