चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत है तैयार

0
17

कई दौर की वार्ताओं और आश्वासन के बावजूद एलएसी के आसपास चीन की सैन्य गतिविधियां जारी हैं। अपनी बातों से पीछे हटना ड्रैगन के लिए कोई नया नहीं है। हालांकि, चीन की इन हरकतों से वाकिफ भारत भी अब कोई लापरवाही करने के मूड में नहीं है और गलवान घाटी में बीते बरस हुई हिंसा जैसी किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए कमर कस ली है। यही कारण है कि एलएसी के दुर्गम इलाकों में भारत ने हथियार, तोपों, रॉकेट सिस्टम आदि को पहुंचाना शुरू कर दिया है ताकि भारतीय सेना हर समय युद्ध के लिए तैयार रहे।
सैनिकों के पीछे हटने की संभावना न के बराबर होने के बाद भारत ने इस इलाके में सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी हैं और हाई टेक बंदूकें, बोफोर्स,रॉकेट सिस्टम और एम-777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तक एलएसी पर तैनात कर दिए हैं।
एम-777 होवित्जर को चिनूक हेलीकॉप्टरों के जरिए एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर तक एयरलिफ्ट किया जा सकता है। वहीं, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन द्वारा बनाई सड़कों की वजह से भारी आर्टिलरी बंदूकों को भी इन इलाकों में ले जाना संभव हो सका है। चीन से सटे फॉरवर्ड इलाकों तक जैसे-जैसे और सड़कें बनेंगी वैसे-वैसे भारी हथियारों को अन्य पोस्ट तक पहुंचाना भी आसान हो जाएगा।

सेना के सूत्रों ने माना कि चीनी सेना एलएसी के निकट अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ा रही है। भारत इस पर निगाह रखे हुए है तथा एलएसी पर भारतीय सेना मजबूत स्थिति में है। उन्होंने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पिछले साल इस क्षेत्र में अपने दुस्साहस पर भारतीय प्रतिक्रिया के प्रभाव को महसूस कर रही है। इसके चलते चीनी सेना को इस क्षेत्र में सैनिकों की लंबी तैनाती तथा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल चीनी कार्रवाई के बाद भारतीय प्रतिक्रिया, खासकर गलवान घाटी टकराव के बाद, ने पड़ोसी देश को हैरान कर दिया। ऐसे में उसने उन क्षेत्रों में सैनिकों को तैनात किया जहां पहले कभी तैनाती नहीं होती थी।

भारत पूर्वी लद्दाख और करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ लगे अन्य क्षेत्रों में सुरंगों, पुलों की सड़कों तथा अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है। उन्होंने कहा कि चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपने वायु सेना ठिकानों तथा वायु रक्षा इकाइयों को भी बढ़ा रहा है। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक टकराव के बाद पिछले साल पांच मई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हो गया था और दोनों देशों ने धीरे-धीरे भारी हथियारों के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी थी। PLC

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here