कथन ओबामा के निहितार्थ

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obgn– तनवीर जाफ़री –
बराक हुसैन ओबामा के रूप में किसी पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत की गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होना पिछले दिनों भारतीय मीडिया के लिए कौतूहल का विषय बना रहा। भारत सरकार ने प्राचीन भारतीय परंपरा अतिथि देवोभव की राह पर चलते हुए जहां अपने इस अतिविशिष्ट मेहमान की खातिरदारी में अपने पलक-पांवड़े बिछा रखे थे वहीं भारतीय मीडिया के पास भी सिवाए राष्ट्रपति ओबामा,उसकी सुरक्षा,उनके खानपान,उनके कार्यक्रम,उनकी शैली व हावभाव यहां तक कि उनकी पत्नी मिशेल ओबामा की ड्रेस डिज़ाईनिंग संबंधी विस्तार बताने के अतिरिक्त और कोई समाचार नहीं था। ओबामा की यात्रा से जुड़ी रही-सही कसर भारतीय ‘प्रधान सेवक’ नरेंद्र मोदी के उस चर्चित गर्म सूट ने पूरी कर दी जिसके विषय में बताया जा रहा है कि सोने के तारों से कपड़े में लाईनिंग के रूप में उकेरा गया नरेंद्र दामोदर मोदी के नाम वाला सूट लगभग 9 लाख रुपये की लागत से तैयार हुआ था। बहरहाल भारत के मीडिया ने ओबामा दंपत्ति की यात्रा का जितना चाहे कवरेज या गुणगान किया हो परंतु अमेरिका में अपनी भारत यात्रा से पूर्व न तो ओबामा ने अमेरिकी मीडिया अथवा अमेरिकी संसद को यह बताने की ज़रूरत महसूस की कि वे भारत में गण्तंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में जा रहे हैं न ही उनकी तीन दिवसीय यात्रा को अमेरिकी मीडिया ने कोई महत्व दिया। हां अमेरिकी मीडिया में एक अध्ययन के हवाले से यह ज़रूर प्रकाशित किया गया कि दिल्ली में भारी प्रदूषण स्तर के चलते तीन दिन के भारत प्रवास के दौरान ओबामा की आयु 6 घंटे कम हो गई है।

उधर उद्योग,व्यापार तथा परमाणु उर्जा संबंधी जो समझौते अमेरिका व भारात के मध्य किए गए हैं अथवा इस दिशा में जो भी प्रगति हुई हो उस के परिणाम हालांकि कई वर्षों बाद आने की संभावना है। परंतु भारत-अमेरिका के बीच गहराते रिश्ते को लेकर पाकिस्तान व चीन जैसे पड़ोसी देशों ही भौंहें ज़रूर तन गई हैं। इधर ओबामा भारत की यात्रा पर दिल्ली पहुंचे तो उधर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष ने ठीक उसी समय चीन पहुंच कर भारत-अमेरिका के मध्य बढ़ती दोस्ती के प्रति अपनी चिंता जताई। चीन ने भी ओबामा के भारत दौरे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अपना साफ संदेश देने की कोशिश की। राष्ट्रपति ओबामा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुकत प्रेस कांफ़्रेंस समाप्त होने के फौरन बाद चीन ने कहा कि-प्रशांत महासागर तथा हिंद महासागर में और साथ ही एशिया क्षेत्र में किसी भी बाहरी शक्ति का दखल चीन को कतई स्वीकार नहीं है। चीन ने कहा कि इन क्षेत्रीय मामलों को आपसी बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए। भारत-अमेरिका परमाणु डील पर चीन की चिंता का अंदाज़ा इस बात से भी लगयाया जा सकता है कि चीन ने इस डील से चिंतित होकर न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप अर्थात् एनएसजी में भी भारत के प्रवेश को लेकर प्रश्र खड़े कर दिए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत को एनएसजी में शामिल होने से पहले एनपीटी अर्थात् परमाणु अप्रसार संधि संबंधी दस्तावेज़ों पर भी हस्ताक्षर करने होंगे। इतना ही नहीं बल्कि चीन ने इसी अमेरिका-भारत वार्ता के परिपेक्ष्य में पाकिस्तान से अपनी दोस्ती को भी एक मज़बूत दोस्ती बताया। हालांकि चीन की इन चिंताओं के बीच व्हाईट हाऊस से भी यह प्रतिक्रिया आई है कि भारत-अमेरिका के बीच के रिश्ते चीन को रोकने या परेशान करने के लिए नहीं हैं। उधर भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी फरवरी माह में चीन जाकर भारत-अमेरिका रिश्तों के संबंधों में बढ़ रही चीन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश में हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का चीन दौरा मई में प्रस्तावित है। ज़ाहिर है भाजपा के नेतृत्व में बनी इस पहली पूर्ण बहुमत की नरेंद्र मोदी सरकार को अंतराष्ट्रीय कूटनीतिक मोर्चों पर अभी ऐसी और भी कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

बहरहाल, इन हालात के मध्य ओबामा की सबसे दिलचस्प बात जिसे कि ओबामा की यात्रा समाप्त होने के बाद 28 जनवरी को प्रकाशित हुए देश के लगभग सभी समाचार पत्रों ने अपने प्रथम शीर्षक के रूप में प्रकाशित किया वह था ओबामा का वह संदेश जिसमें उन्होंने यह कहा था कि भारत धर्म के आधार पर नहीं बंटेगा तभी आगे बढ़ेगा। दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में राष्ट्रपति ओबामा ने देश के छंटे हुए विश्ष्टि आमंत्रित अतिथियों के मध्य उन्होंने भारतीय संविधान के मूल में बसी धर्मनिरपेक्षता का बड़े ही ज़ोरदार तरीके से उल्ल्ेाख किया। उन्होंने अपने संबोधन में महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि गांधी जी कहते थे कि सभी धर्म एक ही पेड़ के फूल हैं। धर्म का गलत इस्तेमाल हरगिज़ नहीं होना चाहिए।भारत व्यापक विविधता के साथ अपने लोकतंत्र को मज़बूती से आगे बढ़ाता है तो यह दुनिया के लिए एक उदाहरण होगा। उन्होंने कहा कि भारत सफल तभी होगा जब वह धर्म के आधार पर बंटेगा नहीं। ओबामा ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को किसी भी तरह के डर के बिना अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें समाज को बांटने वाले तत्वों से सावधान रहना होगा। राष्ट्रपति ओबामा ने अपनी यात्रा की शुरुआत इस बार भी राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर की। इसके पूर्व जब 2010 में भी वे अपनी पहली भारत यात्रा पर मुंबई पहुंचे थे उस समय भी उन्होंने सर्वप्रथम उस घर की यात्रा की थी जहां महात्मा गांधी आज़ादी की लड़ाई के समय रहा करते थे। अपनी पहली यात्रा के दौरान भी वे अपनी पत्नी मिशेल के साथ राजघाट स्थित बापू की समाधि पर गए थे।

सवाल यह है कि जिस अमेरिका से अपने प्रगाढ़ होते रिश्ते को लेकर भारत में इतनी खुशी का माहौल दिखाई दे रहा है तथा वर्तमान मोदी सरकार इन भारत-अमेरिका रिश्तों का राजनैतिक लाभ उठाना चाह रही है उसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री के समक्ष महात्मा गांधी के सर्वधर्म संभाव के कथन,भारत की अनेकता में एकता जैसी विशेषता तथा धर्म के नाम पर भरत को न बांटने जैसा संदेश आिखर क्यों दिया? और यदि दिया तो क्या देश की सरकार,महात्मा गांधी के हत्यारे को महिमामंडित करने वाले लोग,गांधी विरोधी विचारधारा का प्रचार व प्रसार करने वाली शक्तियां ओबामा के इस संदेश से कोई सबक लेना चाहेंगी? ज़ाहिर है भारत में मोदी सरकार के गठन के बाद कुछ अति उत्साहित हिंदुत्ववादी शक्तियों द्वारा जिस प्रकार धर्म परिवर्तन,घर वापसी,लव जेहाद, नाथू राम गोडसे का महिमामंडन जैसे समाज को बांटने वाले प्रयास किए जा रहे हैं, देश में कई जगह विभिन्न धर्मस्थलों पर आक्रमण करने की कोशिशें की गई हैं उससे अमेरिका भी अनभिज्ञ नहीं है। 2010 के दौरे के समय आिखर ओबामा ने सर्वधर्म संभाव,एकता में अनेकता व धर्म के नाम पर एकजुट रहने जैसा संदेश देने की ज़रूरत क्यों नहीं महसूस की? क्या कारण था कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ही उन्हें यह बात कहनी पड़ी? निश्चित रूप से अमेरिका भली-भांति जानता है कि यह वही नरेंद्र मोदी हैं जिनके अमेरिका प्रवेश पर अमेरिकी सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा था। प्रतिबंध के कारणों को यहां दोहराने की ज़रूरत नहीं। परंतु भारतीय लोकतंत्र के अंतर्गत् होने वाले जनमत का सम्मान करते हुए अमेरिका ने भारत से अपने संबंध मधुर करने की ओर आज अपना कदम बढ़ाया है। परंतु अपने बिदाई संदेश में राष्ट्रपति ओबामा ने भारत को यह हिदायत भी दे दी है कि यदि भारत को तरक्की करनी है और दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है तथा विश्व की बड़ी ताकतों में शामिल होना है तो उसे निश्चित रूप से सामाजिक आधार पर एकजुट रहना ही होगा। अब यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कर्तव्य है कि वे राष्ट्रपति ओबामा के उन संदेशों को गंभीरता से लें तथा उसपर अमल करने की कोशिश करें। क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद वे किसी पार्टी,संघ अथवा संगठन के नहीं बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं तथा उनका एक-एक कदम व उनकी नीतियां पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती हैं।

राष्ट्रपति ओबामा ने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर पूजा ठाकुर द्वार ओबामा के गार्ड ऑफ ऑनर का नेतृत्व किए जाने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि वे स्वयं दो बेटियों के पिता हैं और चाहते है कि महिलाओं को भी समान अवसर दिया जाए। इस विषय पर भी नरेंद्र मोदी को सर्वप्रथम अपने निजी परिवार के बारे में ही सोचना चाहिए। यहां यह बताना ज़रूरी है कि अमेरिकी मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी जशोदा बेन द्वारा मिशेल ओबामा का स्वागत न किए जाने पर भी चर्चा हुई। अमेरिकी मीडिया ने इसकी बाकायदा आलोचना की है। संभव है कि प्रधानमंत्री मोदी को संस्कारित करने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महिलाओं के विषय पर अपनी अलग सोच व अलग मान्यताएं अथवा बंदिशें हो। परंतु हमारा देश,हमारी सामाजिक मान्यताएं,हमारा संविधान यहां तक कि वैश्विक समाज उन परिस्थितियों को कतई मान्यता नहीं देता जिन के मध्य प्रधानमंत्री मोदी व उनकी धर्मपत्नी अलग-अलग रह रहे हैं। लिहाज़ा राष्ट्रपति ओबामा की यात्रा के बाद जहां प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी व्यक्तिगत राजनीति को चमकाने तथा इसका राजनैतिक लाभ उठाने की कोशिश की है वहीं ओबामा के बिदाई संदेश पर भी देश के प्रधानमंत्री होने के नाते गंभीर चिंतन-मंथन करना चाहिए तथा परिवार से लेकर पूरे भारतीय समाज तक सभी को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से साथ लेकर चलने का संकल्प करना चाहिए। और यदि ऐसा संभव हुआ तो निश्चित रूप से भारत को तरक्की करने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकेगी।
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Tanveer-Jafriwriter-Tanveer-Jafriinvc-newsतनवीर-जाफ़री4Tanveer Jafri
Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities

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