पिछड़ेपन से निपटने के लिए – ग्रामीण भारत के बुनियादी ढांचे का निर्माण और प्रोत्‍साहन

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– डॉ आर बालाशंकर – 

article-by-Dr.-R-Balashankaराजग सरकार का कृषि क्षेत्र पर नए सिरे से बल देना, गरीबी को पूरी तरह से समाप्‍त करने और देश की विकास गाथा में ग्रामीण गरीबों को अभिन्‍न अंग बनाने की सोची समझी कार्यनीति है। दरअसल इस प्रकार के व्‍यय से जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं आया और यह अस्‍थायी राहत साबित हुआ। लेकिन अनुभव के आधार पर सरकार ने लोगों को एक व्‍यवहार्य कैरियर विकल्‍प के रूप में कृषि को अपनाने के लिए प्रोत्‍साहित करने के वास्‍ते स्‍थायी ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए योजनाएं शुरू की है।

यह अतीत से आगे बढ़ने का दिलचस्‍प बिंदु है। सरकार की योजना देश के सबसे पिछड़े जिलों में बदलाव कर इसे भारत में परिवर्तन का मॉडल बनाना है। इसमें कच्‍छ में गुजरात प्रयोग उपयोगी साबित हो रहा है। इस समय ध्‍यान देश के 100 सबसे पिछडे जिलों पर है, जिनमें से अधिकतर तीन राज्‍यों – बिहार, उत्‍तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश में है। इन तीन राज्‍यों में ही पूरे देश के 70 सबसे अधिक पिछड़े जिले हैं। दुख की बात यह है कि देश के सबसे विकसित जिलों में से एक भी जिला इन राज्‍यों में नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि पिछड़े जिलों के मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता है। लेकिन हाल ही में पिछड़ेपन और देश के कुछ क्षेत्रों में विकास न होने पर टिप्‍प्‍णी करते हुए प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि उन्‍हें प्रथम स्‍थान पर लाया जा सकता है।

योजना बनाने वाले लंबे समय से क्षेत्रीय असमानता के मुद्दे पर ढ़कोसला कर रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकारों ने कई योजनाएं विशेष रूप से सबसे पिछड़े जिलों के लिए शुरू की। वे शायद इसलिए असफल रही, क्‍योंकि उनमें अधिक ध्‍यान गरीबी उन्‍मूलन और अस्‍थायी रोजगार सृजन पर दिया गया था। उन्‍होंने ग्रामीण बुनियादी ढांचा तैयार नहीं किया था और सड़क‍ सिंचाई तथा संपर्क के अभाव में कृषि क्षेत्रों को भी लाभदायक नहीं बना सके।

प्रधानमंत्री बनने से पहले मुख्‍यमंत्री के तौर पर  नरेन्‍द्र मोदी ने भूकंप से तबाह हुए और निराश कच्‍छ के रन को आशावादी भूमि में परिवर्तित कर दिया।  नरेन्‍द्र मोदी ने 2003 से 2014 तक गुजरात में दहाई के आंकड़े की कृषि वृद्धि का युग बनाने का नाबाद रिकॉर्ड कायम किया है, जबकि उस समय राष्‍ट्रीय औसत दो प्रतिशत से कम पर था। श्री मोदी ने अगले चार वर्षों में भारतीय किसानों की आय को दोगुना करने की भी प्रतिज्ञा ली है। गुजरात के कृषि क्षेत्र की इस सफल दास्‍तां से प्रेरित होकर मध्‍य प्रदेश छत्‍तीसगढ़ और महाराष्‍ट्र जैसे कई अन्‍य राज्‍यों ने एक ऐसे राज्‍य की तकनीकों को अपनाया है, जिसे कभी भी कृषि प्रधान राज्‍य नहीं माना जाता था। इसका सबसे बड़ा कारण राज्‍य का विशाल सौराष्‍ट्र क्षेत्र है जहां प्रतिवर्ष सूखा पड़ने से लोगों और जानवरों का पलायन होता था। कृषि क्षेत्र की वृद्धि की कार्यनीति बेहतर सिंचाई, खेती के आधुनिक उपकरण, किफायती कृषि ऋण की आसानी से उपलब्‍धता 24 घंटे बिजली और कृषि उत्‍पादों का तकनीक अनुकूल विपणन पर तैयार की गई थी। इन प्रत्‍येक पहलों में बड़ी संख्‍या में नवीन योजनाएं बनाई और उनका कार्यान्‍वयन किया गया था। केंद्र की राजग सरकार उनके अनुभव को पूरे देश में दोहराने की कोशिश कर रही है।

कृषि भूमि की स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति का पता लगाने के लिए मृदा जांच कृषि क्रांति की दिशा में एक प्रमुख कदम है, जबकि नीम लेपित यूरिया दूसरा कदम है। इस दिशा में अन्‍य कदम बांध निर्माण, जलाशयों और अन्‍य जल संरक्षण विधियों के जरिए जल संरक्षण, भू-जल स्‍तर बढ़ाना, टपक सिंचाई को बढ़ावा देकर पानी की बर्बादी कम करना, मृदा की उर्वरकता का अध्‍ययन कर फसलों के तरीकों में बदलाव करना, पानी की उपलब्‍धता और बाजार की स्थिति है। विद्युतीकरण, पंचायतों में कंप्‍यूटरीकरण, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के जरिए सड़क निर्माण के माध्‍यम से प्रौद्योगिकी उपलब्‍ध कराने से जमीनी स्‍तर पर विकास सुनिश्चित होगा। सड़क निर्माण से प्रत्‍येक गांव के लिए बाजार और इंटरनेट संपर्क उपलब्‍ध कराने में भी मदद मिलेगी।

पहली बार देश के इतनी अधिक संख्‍या में गरीब बैंक खाताधारक बने है। जनधन योजना के अंतर्गत लगभग 30 करोड़ नए खाते खोले गए है। यह वित्‍तीय समावेशन गतिशील कृषि अर्थव्‍यवस्‍था का केंद्र है। वित्‍तीय वर्ष में सरकार ने सीधे नकद हस्‍तांतरण के जरिए 50,000 करोड़ रूपये की बचत की है। 50 मिलियन गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए नि:शुल्‍क रसोई गैस प्रदान करने से लाखों परिवारों के जीवन में बदलाव आ रहा है। सबसे अधिक वार्षिक आवंटन और कृषि श्रमिकों की उपलब्‍धता सुनिश्चित कर             ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को दोबारा तैयार किया गया है। इनसे श्रमिकों द्वारा अपनी पारंपरिक कृषि श्रम को छोड़कर शहरों की ओर पलायन भी कम होगा।

कृषि क्षेत्र लाभदायक कैसे बन सकता है? इस दशक के अंत तक कृ‍षकों की आय दोगुनी कैसे हो सकती है? क्‍या इससे ग्रामीण ऋणग्रस्‍तता और किसानों की आत्‍म हत्‍या को  रोकना सुनिश्चित किया जा सकता है?  हां ये सब संभव हो सकता है अगर प्रधानमंत्री ने जो गुजरात में हासिल किया है उसे राष्‍ट्रीय स्‍तर पर दोहराने में सक्षम होते है तो। श्री मोदी ने आम आदमी को अपने आर्थिक गाथा में महत्‍वपूर्ण स्‍थान पर रखा है। उन्‍होंने भारतीय किसानों के प्रति काफी विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है और अपनी वृद्धि की परिकल्‍पना में कृषि को केंद्रीय मंच पर लाये हैं। कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के लिए आवंटन की नई योजनाओं से इस आकर्षक कहानी का पता लगता है। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लिए अगले वर्ष 1.87 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। इसके लिए प्रमुख क्षेत्र मनरेगा तथा सरल कृषि ऋण और बेहतर सिंचाई की उपलब्‍धता है। सिंचाई कोष और डेयरी कोष में काफी वृद्धि की गई है। कृषि ऋण योजना के साथ फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा के लिए दस लाख करोड़ दिए गए है जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। अधिक ऋण से कृषि निवेश को बढ़ावा मिलेगा और खाद्य प्रसंस्‍करण औद्योगिकीकरण के लिए प्रेरणा मिलेगी। इससे किसानों को स्‍थायीत्‍व और बेहतर लाभ प्राप्‍त होगा। इससे ग्रामीण भारत  में रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे।

इस मौसम में रबी की आठ प्रतिशत से अधिक फसल लगाई गई है। खबरों में कहा गया है कि बेहतर वर्षा के कारण इस बार खरीफ की फसल रिकॉर्ड 297 मिलियन टन हो सकती है। बेहतर सड़क निर्माण, 2000 किलेामीटर की तटीय संपर्क सड़क और भारत नेट के अंतर्गत 130,000पंचायतों को उच्‍च गति के ब्राडबैंड प्राप्‍त होने से निश्चित रूप से कृषि उत्‍पादों की मार्केटिंग में सुधार और बेहतर कीमतें मिलेंगी, जिसके कारण यह एक लाभदायक कैरियर विकल्‍प हो सकता है। इन नीति संचालित, लक्ष्‍य आधारित उपायों के कार्यान्‍वयन से कृषि उत्‍पादन में काफी उछाल आयेगा और सभी के लिए भोजन तथा देश से गरीबी पूर्ण रूप से समाप्‍त करने का सपना साकार होगा।

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Dr. R BalashankarAbout the Author

Dr R. Balashankar

Political Analyst and former Editor of Organiser

Dr R. Balashankar is former Editor of Organiser Weekly. He is a well-known writer and political analyst, having worked in senior positions in magazines including The Week, Probe, and Onlookerand newspapers including Financial Express and Free Press Journal. He has authored thousands of articles, on economics, politics, and development. He has interviewed nearly all the towering political personalities and giant of men. His book reviews, much appreciated, have been published and cited in several publications. His articles have been published in Times of India, Hindustan Times, Indian Express, Sunday Guardian, Asian Age.

Contact – : Balashankar12@gmail.com, Twitter @drbalashankar

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