स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सूचना प्रौद्योगिकी के आईने में

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लेखक कल्याण शर्मा
लेखक कल्याण शर्मा

लेखक  कल्याण शर्मा
सूचना तकनीकी विशेषज्ञ

जनसँख्या का बेतहाशा विस्फोट सुरसा के बदन की तरह आज नित नई समस्याओं की जननी बनता जा रहा है। प्राकृतिक और सरकार एवं समाज द्वारा प्रदत संसाधन, सुविधा स्रोतों की सिमटती हुई दुनिया आज महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार एवं अपराध के नित नए आयामों को जन्म देते हुए दुनिया में अशांति और उपद्रव का एक नया अभयारण्य पैदा कर रहे हैं। घटते संसाधन और बढ़ती उपभोक्ताओं की संख्या ने “एक अनार सौ बीमार ” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए इंसान को इंसान के साथ संघर्ष करने के लिए मजबूर कर दिया है जहां वे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे रोटी, कपड़ा, मकान व स्वास्थ्य सुविधाओं लिए जूझ रहे हैं। यूं तो सरकार ने लोगों के जीवन स्तर को सुधारने व बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने की दिशा में “परिवार कल्याण ” जैसे कार्यक्रम चलाकर सिमटते धरती के आंचल और बढ़ती जनसंख्या के बीच में संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रही है मगर यह नाकाफी है। यूं तो सूचना तकनीकी और उसके बढ़ते उपयोग ने उसे एक मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने वाला तकनीकी माध्यम बना दिया है परंतु इसका यदि बहुआयामी विश्लेषण करें तो पाते हैं कि परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोरोना के साथ भी और कोरोना के बाद भी यदि कोई तंत्र अत्यधिक उपयोगी साबित हुआ है तो वह सूचना तकनीकी तंत्र ही था जिसने लॉकडाउन की दुनिया में भी इंसान को इंसान से, इंसान को तंत्र से, तंत्र को यंत्र से और दोनों को सरकार एवं मनुष्यता से जोड़ने का जो सहारा दिया वही सूचना तकनीकी और इंटरनेट का सबसे शक्तिशाली स्वरुप है।

 

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आज बदलते सामाजिक परिवेश में आवश्यकताओं के साथ बदलती तकनीकी ने सरकार के इस संकल्प को पूरा करने के लिए न केवल विकल्प दिए हैं बल्कि जन जन तक पहुंचाने का एक सुगम और प्रभावी मार्ग भी दिखाया है । “परिवार कल्याण कार्यक्रमों” का मुख्य उद्देश्य जनसँख्या विस्फोट को नियंत्रित करना जन्म दर मृत्यु दर में कमी लाने के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाना है । छोटे परिवार के लाभ व अनियंत्रित जनसँख्या वृद्धि से समाज व देश में पैदा होती नित नई चुनौतियों से आम जन को जोड़ कर समाधान खोजने एवं उपलब्ध कराने में सूचना तकनीकी के प्रयासों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समाचार- पत्र, रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा व विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से ही यह सन्देश देश के कोने – कोने में पहुंच पाये तो इसके पीछे सूचना तकनीकी तंत्र एवं इंटरनेट ही था। इन कार्यक्रमों के प्रभावी प्रबंधन में सूचना – तकनीकी का कोई दूसरा विकल्प हो ही नहीं सकता जिसे हमने कोविड टीकाकरण के प्रबंधन में प्रत्यक्ष रूप से देखा है । “प्रैगनेंसी, चाइल्ड ट्रेकिंग एंड हेल्थ सर्विसेज मैनेजमेंट सिस्टम (PCTS ) ” जैसे ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से गर्भवती महिलाओ को प्रसव पूर्व , प्रसव व प्रसवोत्तर प्रदान की जानी वाली सुविधाओं और नवजात शिशुओं को समय समय पर लगाए जाने वाले टीकों व मातृत्व स्वास्थ्य, परिवार नियोजन के साथ ड्राप आउट तथा छूटे मामलों की निगरानी आदि के निष्पादन , प्रभावी क्रियान्वयन व प्रबंधन में सूचना तकनीकी विकास सहयोग मील का पत्थर साबित हुआ है । टीकाकरण की मुहिम को राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देने में भारत को विश्व फार्मेसी का सिरमौर बनाते हुए वैक्सीन का बादशाह बनाने में सूचना तकनीकी का उपयोग अतुलनीय है। सूचना तकनीकी का सहारा हाईवे के बजाय हमने आईवे के रूप में लेते हुए वैक्सीन मैत्री के तहत 100 देशों को टीके की आपूर्ति की और 150 देशों को कोविड के दौरान दवाएं उपलब्ध कराईं हैं। हमने वैश्विक लोक कल्याण के रूप में विश्व को अपना कोविन प्लेटफॉर्म भी प्रदान किया है।

ओजस ऑनलाईन सॉफ्टवेयर के माध्यम से 1 अगस्त 2015 से राज्य के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं उच्चतर संस्थानों यथा सैटेलाइट अस्पताल, उप जिला अस्पताल में डीबीटी प्रणाली द्वारा, संस्थागत प्रसव पर प्रसूताओं को जननी सुरक्षा योजना एवं 31 मई 2016 तक जीवित जन्मी बालिका वाले केसेज को शुभलक्ष्मी योजना, राजश्री योजना के अन्तर्गत देय प्रोत्साहन राशि का भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तान्तरित किया है। यह सूचना तकनीकी तंत्र है , जिसके माध्यम से सन 2016 से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी परिलाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तान्तरित किया जा रहा है जो की त्वरित और पारदर्शी भुगतान की दिशा में एक प्रभावी , सुगम व अविश्वसनीय कदम साबित हो रहा है । टेलिमेडिसिन के द्वारा इलेक्‍ट्रोनिक संप्रेषण प्रौद्योगिकी के उपयोग से दूर-दराज के स्‍थानों में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं की उपलब्‍धता सुनिश्चित करना व राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा “ईसंजीवनी” मंत्रालय की डिजिटल स्वास्थ्य पहल है जो दो प्रकार की टेली-परामर्श सेवाओं – डॉक्टर-से-डॉक्टर (ईसंजीवनी) और रोगी-से-डॉक्टर (ईसंजीवनीओपीडी) का समर्थन करती है। यह सभी सूचना तकनीकी के विकास के कारण ही संभव हो पाया है ‌

कृत्रिम बुद्धिमता (AI) एवं IOT जैसी क्रन्तिकारी तकनीकी ने तो स्वास्थ्य सेवाओं के पुनरअभियांन्त्रिकरण में जो योगदान दिया वह चमत्कारी, अविश्वसनीय और कल्पना से भी परे है। संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि अनंत संभावनाओं का यह सूचना तकनीकी तंत्र आने वाले वक्त में हमारी सोच के साथ कर्म योग एवं कर्तव्य पथों की दशा एवं दिशा को नए आयामों एवं स्वरूप प्रदान करते हुए एक नई दुनिया को जन्म देगा इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं।

 


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