योगी के ‘बोल-अनमोल’

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–  तनवीर जाफरी –

भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार का सबसे महत्वपूर्ण वाक्य जो गत् एक दशक से सबसे अधिक प्रचारित किया जा रहा है वह है ‘गुजरात का विकास मॉडल’ या ‘पूरे देश को गुजरात बना देना’ जैसा प्रचार। प्रायोजित प्रचार माध्यमों द्वारा कहने को तो यही कहा जाता है कि गुजरात की बात करने का अर्थ  है ‘गुजरात जैसे विकास मॉडल को पूरे देश में लागू करने का प्रयास’। परंतु दरअसल पूरे देश को गुजरात बनाने की बात के पीछे का असली मकसद देश को गुजरात की ही तरह धर्म के आधार पर धुु्रवीकरण की राह पर ले जाना है। इसमें कोई शक नहीं कि 2002 के गोधरा कांड तथा उसके बाद राज्य में भडक़ी सांप्रदायिक हिंसा के पश्चात राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस ‘मिशन ध्रुवीकरण’ में बड़ी कामयाबी हासिल की थी। और यह भी सच है कि उनकी धर्म आधारित सामाजिक विभाजन की इस सफलता को ही भाजपा के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं संघ ने सत्य एवं यथार्थ के रूप में स्वीकार करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इसी दिशा में आगे बढ़ते रहने की ठान ली है। ज़ाहिर है आज वही नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं परंतु उनका या देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का अथवा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जैसे नेताओं का संघ के संरक्षण में चल रहा ‘मिशन ध्रुवीकरण’ पूरे ज़ोर-शोर से जारी है।

2014 से पहले की देश की सरकारें यहां तक कि विभिन्न प्रदेशों की भाजपाई सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार भी काफी हद तक जनता की सरकार व निर्वाचित जनतांत्रिक सरकार प्रतीत होती थी। नेतागण विवादित,समाज को विभाजित करने वाली,धर्म व जाति के आधार पर पक्षपात करने वाली या समाज में नफरत फैलाने वाली बोलियां सार्वजनिक रूप से बोलने से कतराते थे। परंतु मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा का छुटभैय्या नेता तक अपने ज़हरीले विचार व्यक्त करने से बाज़ नहीं आ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण भी यही है कि उन्हें अपने शीर्ष नेताओं से ही मूक निर्देश हासिल हो रहा है जोकि इनके अपने बयानों से साफ ज़ाहिर होता है। याद कीजिए फरवरी 2017 में उत्तर प्रदेश की चुनावी जनसभा में फतेहपुर में प्रधानमंत्री ने ही अखिलेश यादव की सरकार पर हमला बोलते हुए यह कहा था कि ‘जब रमज़ान के अवसर पर बिजली आती है तो दीवाली पर क्यों नहीं आती’। सुनने में तो यह बड़ा ही साधारण व न्यायप्रिय वाक्य प्रतीत होता है परंतु यदि इस वाक्य का विश£ेषण किया जाए तो यही निष्कर्ष निकलता है कि प्रधानमंत्री आरोप लगा रहे हैं कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हमदर्द हैं और हिंदुओं के दुश्मन। क्योंकि वे रमज़ान के महीने में तो बिजली आपूर्ति कराते हैं परंतु दीपावली पर नहीं कराते। गोया वे धर्म के आधार पर पक्षपात करते हैं। ऐसे भाषणों के बाद उत्तर प्रदेश का आया चुनाव परिणाम सबके सामने है।

बहरहाल, उत्तरप्रदेश में चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहली पसंद का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बना दिया। योगी की विशेषता यह नहीं है कि वे उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य के लोकप्रिय नेता हैं यदि ऐसा होता तो उन्हें भाजपा चुनाव पूर्व ही अपना मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर देती। वास्तव में उनकी भी यही खूबी है कि वे धर्म आधारित ध्रुवीकरण में नरेंद्र मोदी से भी कई गुणा आगे हैं। उनके ऊपर तो सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के कई मुकद्दमे भी चल रहे हैं जिसे वर्तमान योगी सरकार बंद कराने की कोशिश कर रही है। योगी के कुछ बयान जो उन्होंने मुख्यमंत्री बनने से पहले दिए थे यदि आप उन्हें एक बार फिर से याद करें तो आसानी से यह समझा जा सकता है कि संघ द्वारा उन्हें किन विशेषताओं के कारण उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना ज़रूरी समझा गया। योगी ने अगस्त 2014 में एक सार्वजनिक सभा में यह कहा था कि-‘हमने फैसला किया है कि यदि वे (मुसलमान)एक हिंदू लडक़ी का धर्म परिवर्तन करवाते हैं तो हम सौ मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाएंगे’। फरवरी 2015 में आप फरमाते हैं कि-‘यदि उन्हें अनुमति मिले तो वे देश की सभी मस्जिदों में गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे’। ‘आर्यव्रत ने आर्य बनाए हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे। पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे’। इसी प्रकार योगी ने कहा कि-‘जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने से कोई नहीं रोक सका तो मंदिर बनाने से कौन रोक सकेगा’ इंतेहा तो यह है कि उनकी मौजूदगी में उनकी पार्टी हिंदुवाहिनी का नेता यहां तक कहता सुना गया कि मुसलमानों की औरतों को कब्र से बाहर निकाल कर उनके साथ बलात्कार किया जाना चाहिए। ऐसे ‘महान’ नेता योगी आदित्यनाथ संघ व भाजपा की पहली पसंद के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोनीत किए गए हैं।

ज़ाहिर है ऐसे व्यक्ति से सद्भावना अथवा धार्मिक सौहाद्र्र की उम्मीदें रखना लगभग वैसा ही है जैसे रेगिस्तान में पानी की उम्मीद रखना। जो भी हो संघ व भाजपा दोनों ही अपने गुजरात मॉडल के विस्तार में पूरी तरह से सफल होते दिखाई दे रहे हैं। पिछले दिनों एक बार फिर विधानसभा में मुख्यमंत्री के रूप में बोलते हुए योगी ने फरमाया कि-‘हमने सभी पुलिस लाईन और थानों में जन्माष्टमी मनाना शुरु किया साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं हिंदू हूं ईद क्यों मनाऊंगा? मैं जनेऊ पहनकर बाहर टोपी लगाकर माथा नहीं टेकता’। उनका यह बयान जहां उनकी कट्टरपंथी वैचारिक सोच को उजागर करता है वहीं इस प्रकार का बयान किसी निर्वाचित जनतंत्र के शासक को कतई शोभा नहीं देता। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर एनटीरामाराव,हेमवती नंदन बहुगुणा,शिवराज सिंह चौहान,नितीश कुमार जैसे उनके सहयोगी और देश के अनेक बड़े राजनेता मुसलमानों के साथ खुशी-खुशी ईद का त्यौहार मनाते व गले लगकर ईद की मुबारकबाद देते देखे गए हैं। योगी को शायद इस बात का ज्ञान नहीं कि अयोध्या में ही हनुमान गढ़ी में मुस्लिम समुदाय के लोगों को रोज़ा-अफ्तार की दावत भी दी जा चुकी है। भारतवर्ष में हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा हज़ारों स्थानों पर मोहर्रम के ताजि़ए रखे जाते हैं। हिंदू समुदाय के अनेक लोग रोज़ा रखते हैं, मुसलमान गणेश प्रतिमा स्थापित करते हैं यहां तक कि अयोध्या जैसे स्थान पर आज भी मुस्लिम समुदाय के लोग ही पूजा-पाठ संबंधी सामग्री बेचते व देवी-देवताओं की पौशाकें सिलते दिखाई देते हें। क्या योगी की सांप्रदायिकतापूर्ण सोच के अनुसार इन सभी लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए?

योगी आदित्यनाथ के जन्म लेने से सैकड़ों वर्ष पूर्व भारत में रहीम-रसखान तथा जायसी जैसे अनेक कवि जन्म ले चुके हैं। यह मुस्लिम कुल में पैदा होने के बावजूद हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के उपासक भी रहे और इनकी शान में भजन भी लिखे। निश्चित रूप से यदि उस समय भी ‘योगी राज’ रहा होता तो शायद यह उन्हें ऐसा न करने देते। वैसे भी ईद का त्यौहार मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा तीस दिन के रमज़ान के रोज़े पूरी सफलता के साथ रखे जाने की खुशी के तौर पर रमज़ान के महीने की समाप्ति पर मनाया जाता है। इसी खुशी में लोग एक-दूसरे से गले मिलते है, उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं और मीठी सेवंईं एक दूसरे को खिलाते हैं। योगी को वैमनस्यपूर्ण बातें करने के बजाए धर्म व जाति के आधार पर सद्भावना फैलाने का संदेश देना चाहिए और संत कबीर जैसे महान संत की इस वाणी का अनुसरण करना चाहिए कि-जात-पात पूछे नहीं कोई। हरि को भजे सो हरि का होई।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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