परम्परागत उद्योगों के प्रति सरकारें उदासीन

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– अनिल सिन्दूर –

Governments indifferent towards traditional industriesकेंद्र तथा प्रदेश सरकारों के लिए शहरों की बढ़ती जनसँख्या बेहद चिंता का विषय तो रहा है लेकिन दुखद यह भी है कि मूल कारणों पर किसी ने भी गौर करने की कोशिश भी नहीं की है ! जनपदों में तैनात अधिकारिओं तथा जाप्रतिनिधिओं ने कभी जानने की कोशिश नहीं कि उस जनपद के कस्बों तथा गांवों के परम्परागत उद्योग क्या हैं और वह किन परिस्थितिओं से जूझ रहे हैं ! यदि वहां रहने वाले लोगों के परम्परागत उद्योग जिन्दा रहते तो कोई भी व्यक्ति घर छोड़ कर बाहर जाकर मजदूरी करना पसंद नहीं करता !

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के 7 जनपदों में से एक जालौन के मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर कल्पमुनि की ऐतिहासिक नगरी कालपी में हाथ कागज उद्योग एक परम्परागत उद्योग है ! इस उद्योग से कालपी तथा कालपी के आसपास रहने वाले दसिओं हजार लोग अपने हुनर से अपना तथा अपने परिवार का पेट भरते चले आ रहे हैं ! यहाँ के कारीगरों द्वारा बनाया गया उत्तम कागज़ देश-विदेश में अपनी साख के लिए मशहूर है ! यहाँ निर्मित कागज राष्ट्रपति से कई बार सम्मानित होने का गौरव प्राप्त कर चुका है ! इस कागज की खाशियत है कि ये कागज दस्तावेजी है ! हाथ कागज से शादी कार्ड, वाल पेपर, आभूषण, सजावटी सामान आदि बनाये जाते हैं ! यदि इस कागज को भीगने से बचाया जय तो यह सालों-साल जस का तस रखा रहता है ! वाबजूद इसके यहाँ का उद्योग इस समय संकट में है ! उन पर पर्यावरण दूषित करने का आरोप है पर्यावरण ने ही उन्हें क्लीन छित दे रखी है ! फिर भी यदि पर्यावरण दूषित हो भी रहा है तो सरकारों को परम्परागत उद्योगों को बचाए रखने को प्रयास करने चाहिये जो नहीं किये जा रहे हैं !

हाथ कागज उद्योग को मारने का काम चीन से आने वाला काग़ज भी कर रहा है ! चीन में बना कागज बनता तो मशीनों से है लेकिन हाथ कागज के जैसा ही लगता है ! मशीनों से बना होने के कारण यह कागज सस्ता भी होता है !

इसी तरह उ.प्र. के फर्रुखाबाद शहर में स्थापित कपड़े पर हाथ से होने वाली छपाई का हश्र हुआ वहां का परम्परागत उद्योग पूरी तरह सर बर्बाद हो चुका है ! मालूम हो कि कोंग्रेस शासन में कई बार मंत्री पद सम्भाल चुके सलमान खुर्शीद ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया ! फर्रुखाबाद में बनने वाला कपडा विदेशों तक सप्लाई होता था !

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anil-sinduranil-sindoorअनिल-सिन्दूरपरिचय
अनिल सिन्दूर
पत्रकार ,कथाकार, रचनाकार व्  सोशल एक्टिविष्ट

28 वर्षों से विभिन्न समाचार पत्रों तथा समाचार एजेंसी में बेवाकी से पत्रिकारिता क्षेत्र में  ,पत्रिकारिता के माध्यम से तमाम भ्रष्ट अधिकारियों की करतूतों को उजागर कर सज़ा दिलाने में सफल योगदान साथ ही सरकारी योजनाओं को आखरी जन तक पहुचाने में विशेष योगदान
वर्ष 2008-09 में बुंदेलखंड में सूखे के दौरान भूख से अपनी इहलीला समाप्त करने वाले गरीब किसानों को न्याय दिलाने वाबत मानव अधिकार आयोग दिल्ली की न्यायालय में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के सात जिलों के जिला अधिकारिओं पर मुकद्दमा,कथाकार, रचनाकार व्  सोशल एक्टिविष्ट ,सॉलिड वेस्ट मनेजमेंट  पर महत्वपूर्ण योगदान

# सोशल थीम पर बनी छोटी फिल्मों पर अभिनय,  रंगमंच कलाकार , आकाशवाणी के नाटकों को आवाज़
# खादी ग्रामौद्योग कमीशन बम्बई द्वारा वर्ष 2006 शिल्पी पुरस्कार

संपर्क – मोब. 09415592770 , ई-मेल : anilsindoor2010@gmail.com , sindoor.anil@yahoo.com
निवास – इस समय कानपूर में निवास

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