गिरीश बिल्लोरे मुकुल की कविताएँ

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गिरीश बिल्लोरे मुकुल की कविताएँ 

(1) 
तस्सवुर में तुम्हारी सादगी का बोलबाला है
भरी थाली, रुके हाथ, हाथ में  इक निवाला है !
तस्वीर में तुम हो, गलत अनुमान था  मेरा –
जिधर भी  देखता हूँ , बस    तुम्हारा ही उजाला है .
ये दुनियाँ देख लगता – “हर ओर तुम ही हो ..”
चाँद,सूरज,धरा, तारे, सभी को तुमने पाला है .
तुम्हारे नेह का संदल मेरे हर रोम में बाक़ी –
जितना भी दिया तुमने उसे हर पल सम्हाला है.
अजन्मे देवता जलते हैं मुझसे जानता हूँ मैं –
मैं जब कहता हूँ मुझको मेरी  माँ ने पाला है…!!

(2)
फ़न उठा  कर  मुझको  ही डसने चला है,
सपोला वो ही मेरी, आस्तीनों में पला है.!
वक़्त मिलता तो समझते आपसे तहज़ीब हम –
हरेक पल में व्यस्तता और तनावों का सिलसिला है.
जो कभी भी न मिला, न मैं उसको जानता-
वो भी पत्थर आया लेके जाने उसको क्या गिला है.
हमारी कमतरी का एहसास हमको ही न था –
हम गए गुज़रे दोयम हैं ये सबको पता है.
जीभ देखो इतनी लम्बी, कतरनी सी खचाखच्च –
आप अपनी सोचिये, इन बयानों में क्या रखा है .?
ये अभी तो ”मुकुल” ही है- पूरा खिलने दीजिये-
आप बोलोगें “मुकुल जी, आपका तो जलजला है..!!

 girish billoreपरिचय :
 गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”

विधा :- गीतकार एवं गद्यकार
स्थान :- जबलपुर, मध्य-प्रदेश
अन्य :- अंतरजाल पर सतल लेखन

व्यवसाय :- मध्यप्रदेश शासन महिला सशक्तिकरण विभाग में सहायक संचालक , वर्तमान में संचालक बाल ,भवन जबलपुर के पद पर पदस्थ

संपर्क :-     969/1, Gate No. 04, Jabalpur M.P.girishbillore@gmail.com , Phone :- 09479756905

 

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