ए झूठ-‘तेरा ही सहारा’

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– तनवीर जाफरी –

False-truthभारतीय राजनीति में जब हमें कभी नैतिकता व शुचिता जैसे स्वर्णिम युग की तलाश करनी होती है तो हमें पीछे की ओर मुडक़र देखते हुए महात्मा गांधी,सरदार बल्लभ भाई पटेल,पंडित जवाहरलाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री,डा० राम मनोहर लोहिया, रफी अहमद कि़दवई व गुलज़ारी लाल नंदा जैसे अनेक लोग दिखाई देते हैं। आज भी विभिन्न पार्टियों में ऐसे लोग हैं जिनपर किसी प्रकार के अपराध अथवा भ्रष्टाचार व अनैतिकता के छींटे कभी नहीं पड़े। परंतु उनकी संख्या अब इतनी ही बची है कि आपको यदि ऐसे किसी एक नाम की तलाश करनी हो तो अपने दिमाग पर काफी ज़ोर डालना पड़ेगा। परंतु इसके साथ-साथ यह बात भी पूरी तरह सत्य है कि आम जनता राजनीतिज्ञों को प्रारंभ से ही झूठे आश्वासन देने वाले तथा वादा िखलाफी करने वालों के रूप में ही जानती आ रही है। सियासत की इसी अविश्वसनीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए शायर ने कहा है-कि ‘सियासत की अपनी अलग इक ज़ुबां है- जो लिखा हो इकऱार, इंकार पढऩा। दुर्भाग्यवश वर्तमान दौर की सियासत तो ऐसी हो चुकी है गोया पूरे कुंए में ही भांग घोल दी गई हो। और ऐसा हो भी क्यों न? जब प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के दौर में दिए जा रहे भाषणों से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के सफर के दौरान पार्टी के शीर्षस्थ नेता द्वारा बार-बार झूठ,बेबुनियाद व तर्कहीन बातों का सहारा लिया जाने लगे तो निश्चित रूप से पार्टी के अन्य मंत्री,सांसद तथा प्रवक्तागण भी अपने-आप को झूठ के दल-दल से कैसे दूर रख सकते हैं? बल्कि अब तो ऐसा प्रतीत होने लगा है कि राजनीतिज्ञों द्वारा झूठ से परहेज़ करना तो दूर की बात बल्कि संभवत: उन्हें प्रशिक्षण ही इस बात का दिया जाने लगा है कि वे झूठ और बेबुनियाद बातों के सहारे ही अपने पक्ष को पूरी आत्मविश्वास से लबरेज़ बेहयाई के साथ दृढ़तापूर्वक जनता के बीच में कुछ इस तरह और इतना चीख़-चिल्ला कर और मेज़ें पीट-पीट कर अपने पक्ष को पेश करें कि अवाम उनके प्रस्तुतिकरण के ढंग से प्रभावित होकर उनके झूठ और महाझूठ को भी सच समझने लगे।

कई बार राजनीतिज्ञों के मध्य होने वाली बहस के दौरान जनता को यह पता नहीं चल पाता कि कौन सा पक्ष सही बात कह रहा है और कौन झूठ। इसका कारण यह भी है कि सभी राजनैतिक पक्ष अपनी-अपनी बातों को सकारात्मक तरीके से पेश करने की जहां पूरी क्षमता रखते हैं वहीं इनमें एक-दूसरे पर आरोप मढऩे की भी कला है। इसलिए राजनीतिज्ञों द्वारा एक-दूसरे को झूठा करार देना या उनपर आरोप-प्रत्यारोप लगाना कभी-कभी आम जनता के गले से उतर ही नहीं पाता। परंतु कभी-कभी ऐसी स्थिति भी पैदा हो जाती है जब झूठ और महाझूठ का सहारा लेकर अपने-आप को सच्चा,मज़बूत तथा कुशल शासक साबित करने वाले लोगों को ऐसी मुंह की खानी पड़ती है कि उन्हें अपनी शक्ल छुपाने के लिए कोई जगह भी न मिल पाती। परंतु वास्तव में मुंह छिपाना और शक्ल छुपाने जैसे मुहावरे भी शायद राजनिितज्ञों के लिए नहीं बने। और इसीलिए यह लोग झूठ के बाद झूठ यहां तक की झूठ पर ही अपनी पूरी की पूरी ख्याली इमारत खड़ी कर देते हैं और जनता को झूठ आधारित सब्ज़ बाग दिखाकर खुद सत्ता सुख भोगने में लीन रहते हैं।

गत् 29/30 अप्रैल को पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत-पाक नियंत्रण रेखा का दौरा किया। यहां उन्होंने अपने जवानों की हौसला अफज़ाई करते हुए अलगाववादी कश्मीरियों के प्रति अपना समर्थन जताया। उनके इस दौरे के अगले ही दिन पाकिस्तान की बॉर्डर एकशन टीम ने जम्मू-कश्मीर में पुंछ जि़ले की कृष्णा घाटी सेक्टर में घात लगाकर हमला किया जिसके परिणामस्वरूप 22 सिख इनफेन्ट्री के नायक सूबेदार परमजीत सिंह तथा सीमा सुरक्षा बल की 200वीं बटालियन के हेड कांस्टेबल प्रेम सागर की शहादत हो गई। अपनी अमानवीय हरकतों के लिए बदनाम पाक सेना ने इन शहीदों के सिर भी शरीर से अलग कर दिए। ज़ाहिर है इस घटना की खबर से पूरे देश में एक बार फिर पाक की नापाक हरकतों के विरुद्ध आक्रोश का वातावरण बनने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो 2014 से पूर्व भारत के एक सैनिक के बदले में पाकिस्तान के दस सैनिकों के सिर काटकर लाने को कहा करते थे उनसे देश यह उम्मीदें करने लगा कि मोदी के रहते हुए अब ऐसा ही हुआ करेगा। गौरतलब है कि इसके पूर्व सीमा पार जाकर सेना द्वारा विवादित सर्जिकल स्ट्राईककिए जाने का भी पूरा श्रेय भाजपा सरकार ने लिया था। यहां तक कि कई राज्यों के चुनाव में भी भारतीय सैनिकों की फोटो तथा सर्जिकल स्ट्राईक को अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर भाजपा द्वारा वोट मांगे जा रहे थे। ज़ाहिर है इस घटना के बाद भी जनता में एक और कथित सर्जिकल स्ट्राईक की उम्मीद जगी।

इसके पहले कि भारतीय सेना अपने जवानों की क्रूर हत्या का बदला पाकिस्तान से लेती,भारतीय जनता पार्टी के एक प्रखर प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक टेलीविज़न चैनल में इसी विषय पर हो रहे वाद-विवाद के दौरान शहीद परमजीत की पत्नी से सार्वजनिक रूप से यह कहा कि भारतीय सेना ने उनके पति की शहादत का बदला ले लिया है। और आगे भी यह कार्रवाई जारी रहेगी। संबित बताया कि भारत ने सैनिकों के साथ हुए ज़ुल्म का बदला लेते हुए पाकिस्तान की दो चौकियों को नष्ट कर दिया है तथा पाक सेना के सात जवानों को मार गिराया है। परंतु सरकार व सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से दिए गए इस गैरजि़म्मेदाराना व झूठे बयान के बाद सेना के प्रवक्ता को स्वयं आगे आते हुए इस बात की सफाई देनी पड़ी कि सेना की ओर से अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया गया है। सेना ने यह भी कहा कि जब कभी ऐसी कोई कार्रवई की जाती है तो सेना स्वयं इसकी जानकारी सार्वजनिक करती है। परंतु न केवल भाजपा प्रवक्ता द्वारा शहीद की पत्नी से बल्कि पूरे देश से यह झूठ बोला गया कि भारतीय सेना ने अपने दो जवानों की हत्या का बदला ले लिया है। सत्ता हितैषी मीडिया ने भी इस झूठी खबर को खूब प्रचारित किया। ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान सत्तारूढ़ दल में झूठ बोलना अथवा सच व झूठ के मध्य भेद करना कोई खास मायने नहीं रखता।

अब यदि हम इस झूठ और महाझूठ पर आधारित राजपाट के शिखर पर नज़र डालें तो हमें 2014 के चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री के भाषण में बड़े ही आत्मविश्वास के साथ यह सुनाई देगा कि-‘सत्ता में आने के बाद एक वर्ष के भीतर सभी अपराधी सांसदों को सुप्रीम कोर्ट से सिफारिश कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भिजवा दिया जाएगा। ऐसा ही विधानसभा के चुनावों में होगा। इस बारे में वे किसी पार्टी का गोत्र नहीं देखेंगे। आपने यहां तक फरमाया था कि यदि मोदी पर भी मुकद्दमा हुआ तो वह भी चलेगा। परंतु सत्ता में आने के तीन साल बाद अब तक  कोई अपराधी सांसद,मंत्री या विधायक सरकार की कोशिशों के चलते जेल नहीं भेजा गया है। उलटे केंद्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक कई अपराधी जनप्रतिनिधियों को मंत्री,मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री जैसे अति महत्वपूर्ण पदों की शपथ ज़रूर दिला दी गई है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक ऐसी याचिका का सरकार द्वारा विरोध किया गया है जिसमें सज़ा याफ्ता अपराधियों को संसद या विधानसभा का सदस्य चुने जाने पर रोक लगाने की बात कही गई है। क्या दुनिया को ‘सत्यम बु्रयात, प्रियम ब्रुयात’ का संदेश देने वाले भारत महान का भाग्य अब झूठ को ही अपना ओढऩा-बिछौना बनाने वालों के हाथों में चला गया है और वह भी केवल सत्ता सुख भोगने की खातिर?

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Tanveer JafriAbout the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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