परीक्षा बच्चों की और मूल्यांकन माता-पिता का

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Pt. Hari Om Sharma HarI– पंडित हरि ओम शर्मा-

परीक्षा बच्चों की अवश्य है किन्तु परीक्षा में मूल्यांकन माता-पिता का होता है। कौन माता-पिता कितने पानी मे है और किन माता-पिता ने अपने बच्चों के साथ कितना परिश्रम किया है, यह सब परीक्षाफल आते ही स्पष्ट हो जाता है। मूल्यांकन पत्र (मार्कशीट) में जो अंक लिखे होंगे वह भले ही बच्चे की योग्यतानुसार हों, किन्तु उनके पीछे चेहरा माता-पिता का होता है, कुछ माता-पिता का चेहरा मायूस दिखाई देता है तो कुछ माता-पिता प्रफुल्लित व खिलखिलाते दिखाई पड़ते हैं। अब आप अपना चेहरा रोते हुए देखना चाहते हैं या खिलखिलाकर हँसते हुए देखना चाहते हैं, यह आपके हाथ में है। आप एक योग्य व बुद्धिजीवी व सफल माता-पिता कहलाना चाहते हैं या फिर असफल, असहाय माता-पिता के तमगा से सुशोभित होना चाहते हैं, यह आपके हाथ में है। कहीं ऐसा तो नही है कि आप निश्चिंत बैठे हो कि परीक्षायें तो बच्चों की है, हमसे क्या मतलब? पास फेल तो बच्चों को होना है हमसे क्या मतलब? अच्छे अंको से उत्तीर्ण हुआ तो पीठ थपथपा देंगे और खराब अंको से उत्तीर्ण हुआ या फेल हो गया तो मारपीट लेंगे या डाँट-डपट लेगें। अब इससे काम नही चलेगा। अतः मेरे इस सुझाव को आत्मसात कर लीजिए कि परीक्षा बच्चों की कम और आपकी अधिक है। वह इसलिए कि बच्चे लायक है तो माता-पिता लायक है और यदि बच्चे नालायक सिद्ध हो गये तो माता-पिता कितने भी सफल व लायक क्यों न हो, उन्होंने कितनी ही ऊचाइयों को क्यों न छुआ हो किन्तु ‘नालायक सन्तानों’ के माता-पिता ऊपर नही, नीचे ही देखते हैं। इसलिए इस अभिशाप से बचाइये अपने आपको। सफल माता-पिता का तमगा आपका इन्तजार कर रहा है। परीक्षाफल आते ही पत्र-पत्रिकाओं की सुर्खियों में, मीडिया की चकाचौंध में आपका ही चेहरा दिखाई देगा। फोन की घंटी व मिलने वालों की बधाई से आप अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेंगे। सच मानिये! यह कोई असम्भव कार्य नही है, यह संभव है, यह किया जा सकता है। आप केवल यह समझ लें कि यह परीक्षा बच्चों के साथ-साथ आपकी भी है। परीक्षा बच्चों की होनी है और मूल्यांकन आपका होना है। यदि आप मेरे इन चन्द सुझावों पर अमल कर लें तो आपकी राह आसान हो जायेगी।

बच्चे के साथ सोये व बच्चे से पहले जग जायें: पढ़ेगा बच्चा और जगेंगे माता-पिता तभी बच्चा सर्वोच्च अंको से उत्तीर्ण होगा। देखनेमें यह बात भले ही छोटी लग रही हो किन्तु परिणाम इसके बड़े होते हैं। विश्वास न हो तो करके देख लीजिए। आप बच्चे के पढ़ने तक जगे रहे, जब वह सो जाये तो आप भी सो जायें। प्रातः बच्चे से पहले उठकर उसको प्यार से जगाये, उसकी प्रशंसा करें, उसको प्रोत्साहित करें, उसके साथ जगे रहे। सच मानिये! आप अपनी परीक्षा में सफल होंगे और आपका बच्चा अपनी परीक्षा में सफल होगा, दोनो की बल्ले बल्ले!

पार्टी, दोस्ती, शादी विवाह को भूल जायें: पूरे जीवन भर निभाइये अपनी नाते-रिश्तेदारी, पार्टी और शादी विवाहों को, किन्तु परीक्षा के दिनों में इन सबको भूल जाये क्योंकि यह सब आपके बच्चों के भविष्य व आपके भविष्य से बड़े नही हो सकते है। अतः बिना किसी संकोच व हिचक के सभी से क्षमा याचना कर लीजिए। कार्ड, मनीआर्डर, गिफ्ट चेक भेज दीजिए और सम्पूर्ण समय अपने बच्चे को दीजिए, तभी सफल होगी आपकी तपस्या, तभी बनेंगे आप सफल माता-पिता।

घर का वातावरण परीक्षामय बनायें: आप जानते ही है कि परीक्षा भवन में कितनी शान्ति होती है, उतनी ही शान्ति आपके घर में होनी चाहिए। वह इसलिए कि परीक्षा आप व आपके बच्चे दोनो की है इसलिए ‘जस्सी जैसा कोई नही’ के स्थान पर गुनगुनाइये ‘मेरे बच्चे जैसा कोई नही’। कहने का आशय यह है कि टी0वी0 सीरियल व मूवी देखना कुछ दिन के लिए बंद कर दीजिए। हाँ, बच्चों के साथ बैठकर न्यूज अवश्य सुनिये, न्यूज आपकी परीक्षा में सहायक हो सकती है।

घर का वातावरण ईश्वरमय बनायें: आपस में लड़ाई-झगड़ा बंद करें, यदि आप लड़ते-झगड़ते रहेंगे तो परीक्षा कौन देगा? इसलिए अपना सबकुछ ईश्वर, अल्लाह, गुरूनानक व गॉड को समर्पित कर दें। कर्म पर विश्वास करें, फल ऊपर वाले पर छोड़ दें यह पाठ नित्यप्रति आपने बच्चे को भी पढ़ाये, तभी मिलेगी सर्वोच्च सफलता। परीक्षा आप दे और फल ईश्वर पर छोड दे तभी आपको मिलेगा उच्च कोटि का परीक्षाफल!

खान-पान पर विशेष ध्यान दें: परीक्षा समय में खान-पान का विशेष महत्व होता है। कहावत है कि ‘आँत भारी तो माथ भारी’। अतः परीक्षा अवधि में हल्का व सुपाच्य खाना बनायें। जूस, सूप, हरी सब्जी, रोटी का ही सेवन करें व बच्चों को कराये। परीक्षा अवधि में बच्चो को फास्ट फूड व तले-भुने खाने से बचाये। यह सब न तो घर में बनाये व न ही बाजार से लायें, तभी आप परीक्षा में सर्वोच्चता सिद्ध कर सकते हैं, अन्यथा नहीं!

स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें: कहावत है कि स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। अतः स्वास्थ्य का ध्यान रखना परम आवश्यक है। बदलता मौसम है लापरवाही न करें, कपड़े पहने रहे, न अधिक सोयें और न ही अधिक जगें, न अधिक खायें और न ही भूखे रहें। प्रत्येक चीज में सन्तुलन बनाये रखें, सामन्जस्य स्थापित करें तभी आप उच्च अंको के साथ सामन्जस्य बैठा सकते हैं अन्यथा नहीं।

बच्चों की स्कीम व परीक्षा समय तथा प्रश्नपत्र पर निगाह अवश्य रखें: किस विषय का प्रश्नपत्र कब है और कौन सी पाली में है, इसका विशेष ध्यान रखें। कई बार ऐसा देखा गया है कि पेपर प्रथम पाली में था परीक्षार्थी पहुँचा द्वितीय पाली में। जब आपका बच्चा पेपर देकर लौटे तो एक सरसरी निगाह से पेपर देखते हुए बच्चे की प्रशंसा अवश्य करें। यदि पेपर आशातीत नही भी हुआ है तब भी बच्चे की प्रशंसा करें। उसे ढाढस बधायें ‘बीति ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेउ’ वाली कहावत का उदाहरण देकर दूसरे पेपर की तैयारी हेतु प्रोत्साहित करे, तब आप देखेंगे कि इस पेपर में भी अच्छे अंक प्राप्त होंगे और अगले पेपर में अच्छे अंक प्राप्त होंगे। कुल मिलाकर आप बनेंगे अच्छे माता-पिता।

परीक्षा अवधि में बच्चों को अधिक समय दें: आप बच्चों को सबकुछ देते हैं, यह जग जाहिर है किन्तु यह बात भी जग जाहिर है कि आप बच्चों को समय देने में कंजूसी कर जाते हैं। अतः मेरी सलाह मानिये, बच्चों को दिल खोलकर समय दीजिए फिर आप देखेंगे कि परीक्षक ने भी दिल खोलकर अंक दिये हैं। सच मानिये! फिर आपकी सब लोग दिल खोलकर प्रशंसा करेंगे।

परीक्षा देने जाते समय प्यार व लौटते समय स्वागत करें: परीक्षा देना किसी कारगिल फतह से कम नही है। आपका बच्चा भी परीक्षा देने जा रहा है। अतः जाते समय प्यार करें, उसे दही पेड़ा खिलाकर भेजे तथा परीक्षा से लौटते समय उसका स्वागत ऐसे करें जैसे वह कोई बहुत बड़ा संग्राम जीतकर आया है। आपके इस छोटे से व्यवहार से बच्चे का उत्साह दोगुना बढ़ जायेगा और प्रश्नों का उत्तर पूर्ण मनोयोग व उत्साह के साथ देगा। निश्चित रूप से आपका बच्चा परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करेगा और आपका नाम रोशन करेगा।

बच्चे को तनाव से बचायें: परीक्षा का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे महारथियों को पसीना आ जाता है तो परीक्षा अवधि में बच्चे का तनावग्रस्त रहना स्वाभाविक है। आप बच्चे के साथ बच्चा बनकर ही उसकी बातों को ध्यान से सुने ओर माता-पिता बनकर उन बातों का निराकरण कर बच्चे को तनावग्रस्त होने से बचायें। याद रखें कि आपका मेधावी बच्चा भी तनावग्रस्त होकर कुछ का कुछ उत्तर लिखकर आ सकता है। अतः बच्चे को तनाव मुक्त रखना अति आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण कार्य केवल आप ही कर सकते हैं और कोई नही।

बच्चे में निहित ‘निज शक्ति’ को जगायें: अधिकाँश माता-पिता परीक्षा समय में बच्चे पर पढ़ने का दबाव बनाते हैं, पढ़ो और पढ़ो, खूब पढ़ो के अलावा वह कुछ कहते ही नही है। बच्चों का मन इस पढ़-पढ़ को सुनकर उड़ने लगता है, साथ ही उसे पढ़ने से चिढ़ हो जाती है। परिणामस्वरूप वह परीक्षा से डरने लगता है। बच्चे के अन्दर यही डर घर कर जाता है तो वह बीमार हो जाता है। इस कारण परीक्षा गड़बड़ा जाती है। अतः आप भूलकर भी बच्चे को पढ़ने के लिए न कहें बल्कि उससे यह कहें कि बेटा बहुत देर हो गई सो जाओ तुम तो हर समय पढ़ते ही रहते हो, तुम्हे सबकुछ तो याद है। देखना इस बार सर्वोच्च अंक तुम्हे ही प्राप्त होगें। आपके इन प्रोत्साहित भरे वचनों से बच्चे में निहित निजशक्ति जगेगी। सच मानिये! उसकी निज शक्ति जागृत होने के बाद बालक वह सफलता प्राप्त कर सकता है, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नही की होगी। बस आपको बच्चे कि निजशक्ति को जागृत करना है और यह कार्य आप प्यार से व स्नेह से ही कर सकते हैं। तो इस कार्य में देरी मत करिये आज से और अभी से अपने बच्चे की निज शक्ति को जागृत करने का सतत प्रयास करना शुरू कर दीजिए। सच मानिये! आपके बच्चे को ही मिलेगी परीक्षा में सर्वोच्च सफलता।

डाँटे नही! प्यार करें: यह शाश्वत सत्य है कि माता-पिता बच्चे की भलाई के लिए ही डाँटते हैं किन्तु यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि बच्चे डाँट से बनते नही बिगड़ते हैं और यह समय डाँटने का नही प्यार करने का है, पढ़ाने का नही प्रोत्साहन देने का है, चीखने चिल्लाने का नही प्यार भरे शब्द बोलने का है। अतः आप भूलकर भी बच्चे को डाँटे नही, उसको प्यार दें, स्नेह दें, आत्मीयता से परिपूर्ण शब्दों का प्रयोग करें। फिर आप देखेंगे कि आपका बच्चा असंभव को भी संभव कर सकता है। यह परीक्षा किस खेत की मूली है बस आवश्यकता आपके संयम की है। आप संयम व शान्ति से बच्चे पर निगाह रखे उसे प्रोत्साहित करें तब आप पायेंगे कि आपके बालक ने परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त किये हैं।

ईश्वर पर विश्वास करें: आप केवल दो पर विश्वास करें – एक अपने बालक पर और दूसरे परमपिता परमात्मा पर विश्वास करें, ईश्वर, खुदा, गॉड, गुरूनानक आप जिन्हें भी मानते हैं, उन पर विश्वास करें क्योंकि बिना ईश्वर के तो पत्ता भी नहीं हिलता है तो यह तो भारी भरकम परीक्षा का सवाल है। किसी ने कहा है —

तेरी सत्ता के बिना हे प्रभु मंगलमूल। पत्ता तक हिलता नही, खिले न कोई फूल।।
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Pt. Hari Om Sharma HarIपरिचय :-
पंडित हरि ओम शर्मा

 संपर्क : – 12, स्टेशन  रोड, लखनऊ

फोन नं0 : 0522-2638324
मोबाइल : 9415015045, 9839012365
ई मेल : praveensh33@gmail.com

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC

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